‘मिशन अरुणाचल फॉक्सटेल मिलेट्स’ से बदलेगी देवमाली के किसानों की किस्मत
- Bhakti Kothari
- Published on 17 Aug 2023, 1:50 am IST
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हाइलाइट्स
- आईएएस विशाखा यादव ने अपने क्षेत्र के किसानों के लिए शुरू की है 'मिशन अरुणाचल फॉक्सटेल मिलेट्स' प्रोजेक्ट
- इसके जरिए किसान अपनी उपज खुले बाजारों और बड़ी खुदरा दुकानों में बेच सकेंगे
- वह अब उनके लिए छोटी फूड प्रोसेसिंग यूनिट खोलने की भी योजना बना रही हैं
‘मिशन अरुणाचल फॉक्सटेल मिलेट्स’ प्रोजेक्ट बाजरा समेत मोटे अनाज को बढ़ावा देने और बड़े पैमाने पर मार्केटिंग के दरवाजे खोलने के मकसद से जिला प्रशासन और फार्म नेटिव ग्रुप की एक संयुक्त पहलकदमी है। इसे हाल ही में देवमाली की एडीसी विशाखा यादव ने अपने सब-डिविजन में लॉन्च किया है। यह उग्रवाद प्रभावित इलाका होने के अलावा नशीली दवाओं की लत की समस्याओं से जूझ रहा है। इससे जिले के चौतरफा विकास ठीक से नहीं हो पा रहा।इंडियन मास्टरमाइंड्स ने इस अधिकारी से विशेष रूप से बात की, जिन्होंने बाजरा परियोजना के बारे में काफी कुछ बताया। बाजरा को कंगनी भी कहा जाता है।
आइडिया
क्षेत्र में जागरूकता की कमी के कारण इस छोटे जिले के लोग आधुनिक शिक्षा और खेती से परिचित नहीं थे। दूसरी ओर यह जिला विशेष रूप से फॉक्सटेल बाजरा का गढ़ है। अचरज की बात यह कि यहां के किसानों को सेहत के लिए इसके बहुत फायदेमंद होने की जानकारी नहीं थी।
इंडियन मास्टरमाइंड्स से सुश्री यादव ने कहा, “एक दिन मैं कहीं जा रही थी। तभी एक छोटे से फॉक्सटेल बाजरा के खेत में पहुंच गई। वहां देखा कि क्षेत्र का लगभग हर घर इसे बाजरे की खेती कर रहा था। इसलिए कि वहां का क्लाइमेट और मिट्टी इस फसल के लिए इतनी अनुकूल थी कि इसके लिए किसी खास रखरखाव की जरूरत ही नहीं थी। जोखिम और समझ की कमी के कारण पीढ़ीगत फसलें तेजी से कम हो रही थीं। यह देख मुझे कुछ करने की जरूरत महसूस हुई।”
ट्रेनिंग
अधिकारी ने किसानों को समूहों में बांट कर सामूहिक खेती शुरू की। फिर बड़े ग्रुप बनाने के लिए एक प्राइवेट पार्टनर के साथ काम किया। उन्होंने इन किसानों को फॉक्सटेल बाजरा के महत्व के बारे में सिखाने के लिए कृषि विज्ञान केंद्रों का उपयोग किया और उन्हें इनकी खेती की तकनीकों, मिट्टी के चुनाव और सूखे/गीले अनाज को छांटने सहित अन्य चीजों को लेकर ट्रेंड किया।
वह कहती हैं, “हमने उनके लिए फॉरवर्ड और बैकवर्ड लिंकेज की योजना बनाई है, जिसमें हम उन्हें ऑर्गेनिक खेती के तरीके सिखाएंगे। साथ ही शुरुआती दौर में पेड़ लगाने के लिए उन्हें बहुत अच्छे किस्म के ऑर्गेनिक बीज देंगे। जब फसलों की कटाई की जाती है, तो उपज को अलग किया जाता है। एकत्र कर पैक किया जाता है और देश भर में ऑनलाइन या बड़े खुदरा स्टोरों में बिक्री के लिए प्रचारित किया जाता है।”
अधिकारी ने अगले पांच वर्षों के लिए रणनीति बनाई है, जिसके बाद उन्हें उम्मीद है कि किसान समूह आत्मनिर्भर हो जाएंगे। फिर बिना सहायता के इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाने में कामयाब होंगे।
रजिस्ट्रेशन
सुश्री यादव ने कृषि विभाग के साथ मिलकर सभी किसानों को रजिस्ट्रेशन फॉर्म दिलाने का भी काम किया, जिस पर उन्हें अपनी जानकारी भरनी होगी। साथ ही लिखना होगा कि उन्होंने सीजन के दौरान कितनी उपज पैदा की है।पैकेजिंग और मार्केटिंग से पहले उपज को एक जगह जमा कर गोदाम में भेजा जाएगा। परिवहन से लेकर बिक्री तक, सब कुछ प्राइवेट कंपनी और प्रशासन संभालेगा।
उन्होंने इंडियन मास्टरमाइंड से कहा, “किसानों को बस खेती और उत्पादन करना है। हम मार्केटिंग का ध्यान मुफ्त में रखेंगे।”
उनके मुताबिक, 1000 से अधिक किसान इस अभियान से जुड़ चुके हैं। उन्होंने अपनी उपज से जुड़े फॉर्म भी भर दिए हैं। बाजरा के पहले बैच की खेती की जा चुकी है। इस समय इसकी मार्केटिंग पर ध्यान दिया जा रहा है, और जल्द ही बिक्री के लिए तैयार हो जाएगा।
लाभ का बंटवारा
अधिकारी का इरादा अगले साल के अंत तक किसानों को ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन देने का भी है। इसके अलावा, जैसे-जैसे उपज बढ़ती जाएगी, वैसे-वैसे किसानों का लाभ भी बढ़ेगा। यह उन्हें मामूली मशीनों के रूप में दिया जाएगा, जो खेती के दौरान उनके लिए उपयोगी होंगे।
सुश्री यादव ने कहा, “लंबे समय में लाभ का मार्जिन स्थिर होने के बाद हम बाजरा कुकीज, नमकीन और अन्य वस्तुओं को बनाने के लिए लोकल लेवल पर छोटी-छोटी फूड प्रोसेसिंग यूनिटें खोलेंगे, जो प्रोडक्शन में मार्केट वैल्यू जोड़ देंगी।”
मॉडरेटर और रिसोर्स पर्सन के रूप में कार्यरत इस अधिकारी ने कहा कि इस अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष 2023 में मिशन का लक्ष्य बाजरा किसानों के जीवन में खुशहाली लाकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है। बाजरा के लिए ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन प्राप्त करने के भविष्य के प्रयासों की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि पहल का फल जमीनी स्तर तक मिलना चाहिए।यह ध्यान देने योग्य है कि तिरप जिले को इस वर्ष बाजरा उत्पादन के लिए “एक जिला, एक उत्पाद” स्कीम के तहत चुना गया है, ताकि नकदी संकट से जूझ रहे बाजरा किसानों की स्थिति सुधारी जा सके, विशेष रूप से देवमाली सब-डिविजन में।
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