फायरमैन से आईएएस अधिकारी तक का सफर: ‘अपने जुनून को धधकने दो’!
- Ayodhya Prasad Singh
- Published on 3 Dec 2021, 10:30 am IST
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हाइलाइट्स
- केरल के आशीष दास आईएएस की एक नई लीग के अधिकारी हैं, जिनके सोचने और जिंदगी को देखने का नजरिया बिल्कुल जुदा है।
- वह ‘टॉपर्स’ से बिना भयभीत हुए, दूसरों के लिए उदाहरण स्थापित करने में विश्वास करते हैं।
- आशीष दास
हर साल भारत की सबसे कठिन परीक्षा मानी जाने वाली यूपीएससी उम्मीदवारों की सफलता की कई कहानियां सामने आती हैं। लेकिन, यह कहानी बेहद खास होने के साथ-साथ बिल्कुल अलग है। यह अग्निशमन सेवा में काम करने वाले एक फायरमैन से आईएएस अधिकारी बने आशीष दास की कहानी है। जो चीज इसे सबसे अलग और सबसे खास बनाती है, वह है दमकल विभाग में अपनी सेवा के अंतिम दिन तक आग बुझाने का उनका निर्णय! ये वाकई अद्भुत और प्रेरणादायक है।
साल 2012 में केरल के कोल्लम में एक फायरमैन की सेवा से दास मे अपने कैरियर की शुरुआत की। लेकिन उनके सपने बड़े थे और उनको पाने के लिए जीतोड़ मेहनत भी की जा रही थी। कई बार असफल होने के बाद आखिरकार साल 2019 में दास ने अपने पांचवें प्रयास में देशभर में 291 वीं रैंक के साथ यूपीएससी पास कर अपने सपने को साकार किया। इससे पहले उन्होंने चार असफल प्रयास किए।
बचपन से संघर्ष
दास का बचपन उनके अंतहीन संघर्षों की जीवनगाथा है। एक निम्न-मध्यम वर्गीय परिवार से आने के कारण उन्हें परिवार में गहन आर्थिक अस्थिरता का सामना करना पड़ा। इंडियन मास्टरमाइंड्स के साथ बात करते हुए, वो कहते हैं, “मैंने अपनी स्कूली शिक्षा कोल्लम से पूरी की और उसके बाद होटल मैनेजमेंट में स्नातक करने के लिए कर्नाटक चला गया। हालांकि, वहां मेरा मन नहीं लगा। मैंने किसी तरह होटल प्रबंधन में स्नातक पूरा किया, लेकिन इसे एक पेशे के रूप में नहीं अपनाया। इसलिए अब मेरे पास करने के लिए कुछ नहीं बचा था और मुझे अपने शिक्षा ऋण का भुगतान करने के लिए अन्य तरीके खोजने थे। यह मेरे लिए बहुत कठिन समय था।”
वो आगे कहते हैं, “मैंने नौकरी की तलाश शुरू कर दी और इस बीच मैं केरल लोक सेवा आयोग की ‘अग्नि और बचाव सेवा’ की परीक्षा में भी शामिल हुआ। मैंने पहली बार 2009 में परीक्षा दी थी और तीन साल बाद इसे पास किया था। बीच के इन तीन वर्षों के दौरान, मैंने सेल्समैन, कैटरिंग ऑफिसर आदि के रूप में विभिन्न पदों पर काम किया।”
नौकरी के लिए प्रतिबद्धता
उस वक्त केरल पीएससी की परीक्षा पास नौकरी पाना दास की एक मात्र उम्मीद और चाहत थी। उनके प्रयासों के फलदायी परिणाम मिले और 2012 में वह फायरमैन की सेवा के लिए चुने गए। वो कहते हैं, “मैं एक फायरमैन के रूप में राज्य सेवा में शामिल होने का बेसब्री से इंतजार कर रहा था, क्योंकि इस नौकरी में मुझे दिलचस्पी थी और यह जल्द ही मेरे लिए एक जुनून बन गया। हर दिन मेरे पास एक अवसर होता था, कि मैं लोगों को दुर्घटनाओं और आपदाओं से बचा सकूं। जब हम सफलतापूर्वक कोई बचाव अभियान चलाते थे, तब लोगों के चेहरों पर राहत देखकर खुशी मिलती थी। मेरा काम बहुत ही रोमांचक था और मैंने एक फायरमैन के रूप में इसका पूरा आनंद भी उठाया।”
यहां तक कि यूपीएससी में चुने जाने के बाद जब दास अग्निशमन विभाग की नौकरी छोड़कर जा रहे थे, तब भी अग्निशमन के लिए उनके जुनून ने उनका पीछा नहीं छोड़ा। उनके इस समर्पण ने बहुतों के दिल जीते। एक फायरमैन के रूप में उनकी सेवा का समर्पण विभाग में उनके अंतिम दिन तक दिख रहा था और वे विलाकुट्टी नाम की एक जगह पर एक बचाव केंद्र में एक स्वच्छता अभियान का संचालन कर रहे थे।
घटना को याद करते हुए उन्होंने कहा, “मेरा ड्यूटी पर यह आखिरी दिन था और विलाकुट्टी में एक बचाव केंद्र को कीटाणुरहित करने के लिए कहा गया था। वहां कोविड-19 की टेस्टिंग चल रही थी, क्योंकि दो-तीन दिन पहले केंद्र में करीब 12 पॉजिटिव केस मिले थे। इसलिए टेस्टिंग कराने से पहले उस जगह को सैनिटाइज करना जरूरी था। लोगों ने मुझे जाने के लिए हतोत्साहित भी किया, लेकिन मैं ना नहीं कह सका। मैं यह संदेश भी देना चाहता था कि हर काम समान है, क्योंकि अंततः यह समाज के फायदे के लिए किया जाता है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कोई व्यक्ति फायरमैन है या आईएएस, आईपीएस है या इंजीनियर या कुछ और। अंतत: वह व्यक्ति जनता की सेवा ही कर रहा है।”
उन सभी बचाव अभियानों, जिनमें दास शामिल थे, ने उन पर गहरी छाप छोड़ी। अभियानों ने उन्हें चीजों को एक अलग और अधिक उद्देश्यपूर्ण तरीके से देखने के लिए भी प्रेरित किया। जैसा कि उन्होंने कहा, “इन सफल बचाव कार्यों ने मुझे कुछ और अधिक बेहतर करने के लिए प्रेरित किया। मुझे लगता है कि एक तरह से उन्होंने यूपीएससी को पास करने में भी मेरी मदद की।”
आखिरकार यूपीएससी पास करना
दास के लिए, ‘फायरमैन से आईएएस अधिकारी बने’ का टैग प्राप्त करना पांच वर्षों की कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प का परिणाम था। इंडियन मास्टरमाइंड्स से बात करते हुए उन्होंने कहा, “हर साल मैंने अपनी गलतियों के आधार पर अपनी रणनीतियों में सुधार करने की कोशिश की और परिणाम आपके सामने है।”
दास ने यूपीएससी उम्मीदवारों के लिए एक संदेश भी साझा किया। “एक टॉपर की नकल करने की कोशिश मत करो, क्योंकि उसने परीक्षा पास कर ली है। इसके बजाय, अपने आप का सबसे अच्छा संस्करण बनें, और अपने जीवन को किसी परीक्षा जैसे संकीर्ण पैरामीटर के साथ न मापें। आपका मूल्य एक परीक्षा से कहीं अधिक है।”
दास के ये शब्द निस्संदेह बहुत ही प्रेरक हैं।
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