कोविड में अनाथ हुए बच्चों का मसीहा बना ये युवा कलेक्टर, पढ़ाई का उठाया जिम्मा, घर भी दिए
- Ayodhya Prasad Singh
- Published on 9 Jun 2023, 2:29 pm IST
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हाइलाइट्स
- अलाप्पुझा के पूर्व डीसी वीआर कृष्ण तेज ने वैश्विक महामारी के दौरान अनाथ हुए 293 बच्चों की मदद की
- 2015 बैच के आईएएस अधिकारी की सामुदायिक पहल इन अनाथ बच्चों को 12वीं कक्षा तक शिक्षा प्रदान करेगी
- वह त्रिशूर में अपनी नई पोस्टिंग में भी इस पहल को दोहराएंगे
हमें हमेशा ऐसे नायकों की जरूरत पड़ती है, जिन्होंने अपने असाधारण कार्यों से समाज के लिए मिसाल कायम की हो। 2015 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी और अलाप्पुझा के पूर्व कलेक्टर वीआर कृष्णा तेजा एक ऐसे ही नायक हैं, जिन्हें कई लोग किसी मसीहा से कम नहीं मानते हैं।
उन्होंने ‘वी आर फॉर अल्लेप्पी’ पहल शुरू कर वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के दौरान अनाथ हुए 293 बच्चों को अपनी शिक्षा जारी रखने में मदद की। साथ ही इस पहल से वह कोरोना के दौरान मां-पिता दोनों या फिर किसी एक को भी गंवाने वाले बच्चों को पेट भरने में मदद कर रहे हैं।
सितंबर 2022 में आईएएस अधिकारी ‘वी आर फॉर अल्लेप्पी’ शुरू की थी। यह इतना लोकप्रिय हो गया है कि न केवल केरल के स्थानीय और पड़ोसियों ने, बल्कि कई सीएसआर और बाहर के व्यक्तियों ने भी इसमें पूरी तन्मयता से योगदान दिया है। अब तेज इस पहल को त्रिशूर में भी दोहराने की योजना बना रहे हैं। वह आजकल वहीं तैनात हैं।
समान विचारधारा वाले लोगों के साथ अलाप्पुझा में शुरू की गई इस नेक पहल के बारे में इंडियन मास्टरमाइंड्स से तेजा ने कहा, ‘हमारी कोशिश उन चेहरों पर मुस्कान वापस लाना है जिनके बचपन को कोविड ने बरबाद कर दिया था। इस पहल के माध्यम से बच्चों को व्यापक देखभाल और सुरक्षा मिलती है और हमारे लिए संतोषजनक है।’
वी आर फॉर अल्लेप्पीः
वैश्विक महामारी कोरोना वायरस की विनाशकारी दूसरी लहर के दौरान आद्या (बदला हुआ नाम) ने अपने माता-पिता दोनों को खो दिया। सिर्फ 16 साल की उम्र में उसका भविष्य अधर में था। 12वीं में अच्छे अंक लाने के बाद भी उसका भविष्य अचानक अंधकारमय हो गया था। तभी जिला प्रशासन की ‘वी आर फॉर अल्लेप्पी’ नामक सामुदायिक पहल उसके लिए वरदान साबित हुई। आज वह खराब आर्थिक स्थिति के बावजूद नर्सिंग में अपना करियर बना रही हैं। आद्या की तरह ही 292 बच्चे ऐसे हैं, जिन्हें तेज की पहल के कारण गॉडमदर मिली हैं, जो उनके पंखों को हवा दे रही हैं।
पिछले साल सितंबर में शुरू हुई इस पहल ने इस साल 31 मार्च तक 293 अनाथों की पहचान कर ली थी। इनमें से 13 ऐसे बच्चे हैं, जिनके माता-पिता दोनों गुजर गए हैं। जबकि 280 बच्चे ऐसे हैं, जिन्होंने वैश्विक महामारी के दौरान केवल अपनी मां या अपने पिता को खोया है।
सामुदायिक पहल के तहत इन बच्चों को तीन श्रेणियों में रखा गया है। प्राथमिक, माध्यमिक और स्नातक। इसी हिसाब से इनकी मदद की जा रही है। वैश्विक महामारी के कारण अनाथ हुए इन बच्चों में 73 छात्र अभी स्नातक की पढ़ाई पूरी कर रहे हैं। 37 बच्चे अभी 12वीं में हैं। इसके अलावा 65 छात्र अभी हाई स्कूल, 41 छात्र अभी मिडिल और 77 विद्यार्थी अभी प्राइमरी स्कूलों में पढ़ाई कर रहे हैं।
तेजा ने कहा, ‘इन सभी बच्चों को प्रायोजक दिए गए हैं, जिन्होंने उनकी शिक्षा पूरी होने तक उनका समर्थन करने का संकल्प लिया।’ ‘वी आर फॉर अल्लेप्पी’ टीम दरअसल कुछ सरकारी अधिकारी और सामाजिक व्यक्तियों का समूह है। इसका अध्यक्ष अलाप्पुझा के मौजूदा जिला कलेक्टर हुआ करेंगे। वह संबंधित सभी चीजों की निगरानी करेंगे।
बड़े लोग भी मददगारः
प्रायोजकों में सुपरस्टार अल्लू अर्जुन समेत कई बड़े नाम शामिल हैं। लगभग 100 छात्रों को इन्फोसिस के सह-संस्थापक और अलाप्पुझा के निवासी एसडी शिबूलाल मदद कर रहे हैं। इसने कई निजी कंपनियों को भी अपनी सीएसआर नीति के साथ आगे आने के लिए प्रेरित किया। इसके अलावा कई अन्य व्यक्ति भी इस नेक पहल का हिस्सा हैं।
तेजा कहते हैं, ‘पांच महीनों के भीतर ही हमें सभी 293 बच्चों की शिक्षा पूरी होने तक के लिए प्रायोजक मिल गए। इसके बाद वे लोग थे, जो बच्चों के रहने की व्यवस्था करते थे।’ करीब 10 अनाथ बच्चों को 6 लाख रुपये के नए घर मिले। लगभग 20 अन्य लोगों के घरों की मरम्मत कराई गई।
जगह नई, मिशन पुरानाः
आईएएस अधिकारी तेजा कवि बशीर बद्र की शायरी- जहां रहेगा वहीं रोशनी लुटाएगा.. के दीपक की तरह हैं। अब इऩका तबादला अलाप्पुझा से त्रिशूर हो गया है। लेकिन वो अब यहां भी 609 अनाथों के लिए इसी तरह की पहल शुरू करेंगे। कोरोना वायरस ने आम इंसानों के लिए परेशानियां खड़ी कर दी थीं, लेकिन कई लोगों में इसने मानवता को फिर से जगाया भी है।
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