29 माओवादियों को मारकर सुरक्षा बलों पर बड़ा हमला नाकाम करने वाले आईपीएस अधिकारी सोमय मुंडे को उनकी बहादुरी के लिए शौर्य चक्र दिया गया
- Ayodhya Prasad Singh
- Published on 2 Aug 2023, 11:44 am IST
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हाइलाइट्स
- आईपीएस अधिकारी सोमय मुंडे को भारत के राष्ट्रपति ने शौर्य चक्र से सम्मानित किया है
- उन्होंने गढ़चिरौली में एक बड़ा नक्सल विरोधी अभियान चलाया, जिसमें नक्सली नेता समेत कई अन्य मारे गए
- अशोक चक्र और कीर्ति चक्र के बाद तीसरा सबसे बड़ा वीरता पुरस्कार है शौर्य चक्र
वह 2021 की 12 जुलाई की रात थी। प्रतिबंधित सीपीआई (माओवादी) संगठन के खूंखार माओवादी कमांडर मिलिंद तेलतुंबडे लगभग 120 भारी हथियारों से लैस नक्सलियों के साथ महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले के मर्दिनटोला गांव के आसपास के जंगलों में इकट्ठा हुआ। सभी नक्सली सुरक्षा बलों पर बड़े हमले की योजना बना रहे थे। यदि वे सफल हो जाते तो यह सुरक्षा बलों पर सबसे भयानक हमलों में से एक होता। लेकिन वे सफल नहीं हो सके। इसके बजाय, उन्होंने अपनी मौत बुला ली।2016 बैच के आईपीएस अधिकारी और गढ़चिरौली के तब के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (ऑपरेशन) सोमय मुंडे द्वारा एक नक्सल विरोधी अभियान की रूपरेखा तैयार की गई थी और उनके नेता मिलिंद तेलतुंबडे सहित 29 नक्सलियों को मार गिराया गया था। अधिकारी की टीम के दो सदस्यों को गोलियां लगीं। कई लोग बुरी तरह घायल हो गए। लेकिन उन्होंने बहादुरी दिखाई और गढ़चिरौली के पुलिस इतिहास में सबसे सफल ऑपरेशनों में से एक को अंजाम दिया।आईपीएस अधिकारी सोमय मुंडे को नक्सलियों के खिलाफ असाधारण बहादुरी और उन्हें खत्म करने के लिए भारत के राष्ट्रपति द्वारा प्रतिष्ठित शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया। आईआईटी बॉम्बे से पढ़ाई करने वाले मुंडे अभी लातूर के एसपी हैं। इंडियन मास्टरमाइंड्स ने मुंडे से उस नक्सली ऑपरेशन के बारे में जानने के लिए बात की, जिसने उन्हें शौर्य चक्र दिलाया था।
नहीं भूलती वह रात
12 जुलाई, 2021 को गढ़चिरौली पुलिस को अपने स्रोतों से पता चला कि पीएलजीए के नक्सली सुरक्षा बलों पर बड़ा हमला करने की योजना बना रहे। लगभग 120-130 भारी हथियारों से लैस विद्रोही ऐसी घटना को अंजाम दे सकते हैं। इसके बाद गढ़चिरौली के तब के एसपी अंकित गोयल की देखरेख में गढ़चिरौली के एएसपी (ऑपरेशन) सोमय मुंडे द्वारा एक नक्सल विरोधी अभियान की रूपरेखा तैयार की गई थी। उन्होंने नक्सल अभियानों में पूरी तरह ट्रेंड सी-60 कमांडो और 25 पुलिस कर्मियों की एक टीम का नेतृत्व किया।जैसे ही कमांडो एक पहाड़ी के पास पहुंचे, वहां छिपे 90-100 हथियारबंद माओवादियों ने फायरिंग करते हुए हमला कर दिया। मुंडे और उनकी 25 जवानों की टीम ने डटकर मुकाबला किया। पूरे ऑपरेशन में 300 जवान शामिल थे।
- मुंडे ने इंडियन मास्टरमाइंड्स को बताया, ‘सूचना के आधार पर हमने अपने ऑपरेशन की योजना बनाई। हमने इसे 12 जुलाई की रात को लॉन्च किया और 13 जुलाई को सुबह-सुबह गोलीबारी शुरू हो गई। ये ऑपरेशन पूरे दिन करीब 10 घंटे तक चला। इसके बाद हम 29 नक्सलियों को मार गिराने में सफल रहे। उनके शव भी बरामद किए। यह एक विशाल पहाड़ी वन क्षेत्र था। हमने मौके से बड़ी संख्या में ऑटोमेटिक हथियार बरामद किए।’
उनकी टीम के दो जवानों को गोली लगी। कुछ घायल भी हुए। नायक टीकाराम कटेंगे के दाहिने हाथ और दाहिने कंधे पर दो गोलियां लगीं, लेकिन वे दो घंटे से अधिक समय तक माओवादियों से जमकर लोहा लेते रहे। उन्होंने अपनी राइफल को अपने बाएं हाथ में ले लिया और जवाबी कार्रवाई जारी रखी, जबकि मुंडे और उनकी टीम ने कवर फायर दिया। उन्होंने और उनके छह लोगों के आक्रमण समूह ने छह भारी हथियारों से लैस माओवादियों को मार गिराया।गोलियों की बौछार के बावजूद मुंडे और उनकी टीम ने बचे हुए माओवादियों पर हमला बोल दिया। वे तीन और माओवादियों को मारने और घायल जवानों को मंडराते खतरे से बचाने में सफल रहे। इस दौरान नक्सली कमांडो पर अंधाधुंध फायरिंग करते रहे।एक जवान के सिर में भी गोली लगी। लेकिन सभी बच गए। इस ऑपरेशन में कोई हताहत नहीं हुआ। मुंडे ने अपने सीनियर अफसरों को इस बात के लिए मना लिया कि उन्हें ग्राउंड जीरो पर लगभग दो घंटे तक यानी दोपहर 12 से 2 बजे तक इंतजार करने की अनुमति दी जाए, ताकि माओवादियों के पीछे हटने और बाद में अपने साथियों के शव बरामद करने के लिए लौटने की चाल को नाकाम किया जा सके।
मुंडे उस रात को याद करते हुए कहते हैं, ‘तेलतुंबडे तीन राज्यों-एमपी, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में नक्सली आंदोलनों का लीडर था। वह बहुत हाई प्रोफाइल था। उस पर 50 लाख रुपये का इनाम था। लेकिन वह अपनी योजनाओं को लागू कर पाता, हमने अपने हमले की योजना बनाई और उसे बेअसर कर दिया।’
समर्पण
मुठभेड़ की योजना बनाने और उसका नेतृत्व करने वाले मुंडे ने कटेंज को मार्डिनटोला मुठभेड़ के नायकों में से एक बताया। उन्होंने अपना पुरस्कार पुलिस बलों को समर्पित करते हुए कहा कि नक्सल विरोधी अभियानों के खिलाफ टीम का नेतृत्व करने में मैं भाग्यशाली महसूस करता हूं। मैं यह पुरस्कार उन 202 कर्मियों को समर्पित करना चाहता हूं, जिन्होंने पिछले चार दशकों में गढ़चिरौली जिले में चरमपंथ से लड़ते हुए अपनी जान गंवाई है।मुंडे के साथ पुलिस नायक टीकाराम कटेंगे और रवींद्र नेताम को भी शौर्य चक्र से नवाजा गया।
सफर
33 वर्षीय सोमय विनायक मुंडे नांदेड़ जिले के देगलूर के रहने वाले हैं। उनके माता-पिता डॉक्टर हैं। पिता जनरल सर्जन और मां स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं। उनकी एक छोटी बहन है।
उन्होंने आईआईटी बॉम्बे से केमिकल इंजीनियरिंग में बीटेक किया। बाद में उन्होंने एम.टेक की पढ़ाई भी वहीं से पूरी की। 2013 में बी.टेक पूरा करने के बाद उन्होंने यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी। उन्होंने यूपीएससी सीएसई-2015 पास किया और 2016 बैच (एआईआर 69) के आईपीएस अधिकारी बन गए।उनकी पहली पोस्टिंग औरंगाबाद जिले के वैजापुर में हुई थी। इसके बाद उन्होंने अमरावती जिले में एएसपी और गढ़चिरौली जिले में एडिशनल एसपी के तौर पर काम किया। उन्होंने कई साहसिक ऑपरेशनों को अंजाम दिया है। उन्हें नक्सल विरोधी विशेषज्ञ माना जाता है। मार्च 2021 में वह छत्तीसगढ़ क्षेत्र के अबुझमाल में एक नक्सली इलाके में गए और उनके ठिकाने को नष्ट कर दिया। उनके हथियार भी जब्त कर लिए। 21 मई, 2021 को उनकी कमान में गढ़चिरौली के एटापल्ली में 13 नक्सली मारे गए।
आईआईटी के दिन
आईआईटी में अपने दिनों को याद करते हुए उन्होंने कहा, ‘आईआईटी बॉम्बे में मेरा अनुभव वास्तव में बहुत अच्छा था। यह हमारे देश के प्रमुख संस्थानों में से एक है। यह हर क्षेत्र के छात्रों को बहुत अच्छा माहौल प्रदान करता है। आपको हर क्षेत्र में आईआईटियन मिल जाएंगे। चाहे वह मंत्रालय हो, नौकरशाही हो, या कॉर्पोरेट जगत हो। आईआईटी बॉम्बे एक बहुत ही विविध वातावरण प्रदान करता है। वे आपको पहल करने और अपने जुनून का पालन करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।’
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