IRTS अधिकारी इति पांडेय ने कैसे कॉमरेड्स मैराथन पूरी कर रचा इतिहास, 11.47 घंटे में तय की 88.7 Km की दूरी
- Sharad Gupta
- Published on 17 Jun 2023, 10:21 am IST
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हाइलाइट्स
- इति पांडेय भारतीय रेलवे की पहली ऐसी महिला अधिकारी हैं, जिन्होंने दक्षिण अफ्रीका का कॉमरेड्स मैराथन पूरा किया
- 1995 बैच की 51 वर्षीय आईआरटीएस अधिकारी ने पीटरमैरिट्जबर्ग से डरबन तक 88.7 किलोमीटर की दूरी 11.47 घंटे में पूरी की
- वह अभी मध्य रेलवे में मुंबई में चीफ कर्मशियल मैनेजर के पद पर तैनात हैं
जैसे ही 51 वर्ष की आईआरटीएस अधिकारी इति पांडेय ने फिनिशिंग लाइन पार की, उन्होंने अपना पांच साल पुराना सपना पूरा कर लिया। किसी भी रनर के लिए इस पल से बढ़कर कुछ नहीं होता है। फिर जब कॉमरेड्स मैराथन हो, तो आनंद दोगुना हो ही जाता है। कोई आश्चर्य नहीं कि वह रो रही थीं, क्योंकि उन्होंने गर्व से भारतीय झंडा थाम रखा था। इसे बेटी ने उन्हें दिया था।उस समय और कुछ मायने नहीं रखता था। उन्हें उस वक्त इसका भी खयाल नहीं था कि वह दक्षिण अफ्रीका में हर साल होने वाले कॉमरेड्स मैराथन को पूरा करने वाली भारतीय रेलवे की पहली महिला अधिकारी हैं। यह अपने आप में एक रिकॉर्ड है। यहां उन्होंने 8 घंटे प्रति किलोमीटर की रफ्तार से 11.47 घंटे में 88.7 किलोमीटर की दूरी तय की।
दक्षिण अफ्रीका से ही इंडियन मास्टरमाइंड्स को दिए एक विशेष इंटरव्यू में आईआरटीएस अधिकारी इति पांडेय ने अपने कामरेड के अनुभव को साझा किया। उनके अनुभव किसी भी व्यक्ति को अपने सपने को पूरा करने के लिए प्रेरित करेगा, क्योंकि उनका कहना है कि अगर आप लगातार सपने का पीछा करेंगे तो एक दिन जरूर यह पूरे होंगे। एक दिन में नहीं होंगे, लेकिन एक दिन जरूर होंगे।
अल्टीमेट ह्यूमन रेस
कॉमरेड्स मैराथन को इसके चुनौतीपूर्ण इलाकों, खड़ी पहाड़ियों और अप्रत्याशित मौसम के कारण अल्टीमेट ह्यूमन रेस भी कहा जाता है। यह दुनिया के सबसे कठिन मैराथन में से एक है। इसमें किसी भी रनर की शारीरिक और मानसिक सहनशक्ति की सीमा की परीक्षा होती है। अमूमन मैराथन 90 किलोमीटर की होती है, लेकिन इस बार यह एक क्रिकेट स्टेडियम में खत्म हुई। इसलिए यह 88.7 किलोमीटर की थी।अधिकतर रनर इसे पूरा नहीं कर पाते हैं, क्योंकि इस में पांच कट ऑफ प्वाइंट्स रहते हैं। अगर कोई रनर तय मियाद में किसी भी कट-ऑफ को पार नहीं करता है, तो उसे तुरंत डिसक्वालीफाई कर दिया जाता है।
इति कहती हैं, ‘मैंने 8 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से 11.47 बजे दौड़ पूरी की। मैंने अपना पहला कट-ऑफ 3 घंटे 45 मिनट में पूरा किया। मैं इस दौरान अपने साथ दो बोतल पानी ले गई थी। लेकिन, इसके बाद मैंने अपने साथ पानी नहीं रखा। इसलिए कि हर 2 किलोमीटर पर एक हाइड्रेशन पॉइंट था। वहां स्थानीय लोग पानी, कोक, आइसक्रीम कैंडी बांटते थे और सबसे महत्त्वपूर्ण यह कि हर समय हमारा उत्साह बढ़ाते रहते थे।’इति ने बताया कि 50 से अधिक उम्र की महिलाओं को वहां ‘मामा’ कहा जाता है। इसलिए स्थानीय लोगों ने उन्हें इती मामा, आप इसे पूरा कर सकती हैं! चलो! चलो भी!! कह कर हौसला बढ़ाया।
कैसे की तैयारी
यह दौड़ पर्वतों पर होनी थी और पूरी तरह पहाड़ी दौड़ ही थी। इसलिए उन्हें उसी अनुसार तैयारी करनी थी। वह कहती हैं, ‘कॉमरेड्स का सबसे दिलचस्प हिस्सा ट्रेनिंग था। मैं मुंबई के मालाबार हिल्स में ट्रेनिंग रन के लिए गई थी।’इति किसी रनिंग ग्रुप में भी नहीं शामिल हुईं। इसके बजाय उन्होंने अकेले प्रशिक्षण लेने का विकल्प चुना। वह बताती हैं, ‘मैंने एक शेड्यूल प्लान किया। मैंने एक हफ्ते में 90 किलोमीटर का माइलेज तय करने का निश्चय किया। मैंने प्रशिक्षण के दौरान कुल मिलाकर 1400 किलोमीटर की दूरी तय की।’वह तड़के तीन बजे उठ कर दौड़ने के लिए चली जाती थी। उन्होंने बताया कि ऐसा उन्होंने इसलिए किया, क्योंकि उनका वक्त उनका अपना नहीं है। उऩकी 24 घंटे की नौकरी है और उन्हें ड्यूटी पर कभी भी बुलाया जा सकता है। रेलवे में हर तरह की इमरजेंसी हो रही है।नौकरी के अलावा उन्हें घर और बच्चों को भी संभालना था। इसलिए, उन्हें एक सुंतलित रूटीन बनानी थी।
जब दौड़ना शुरू किया
उन्होंने 2005 में अपने पति के साथ दौड़ना शुरू किया था। तब एक दोस्त ने उन्हें मुंबई मैराथन में भेजा। तब से उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्होंने 70 हाफ मैराथन, 4 फुल मैराथन, 4 स्टेडियम रन में दौड़ लगाई है और 5 पोडियम फिनिश जीत चुकी हैं।इति कहती हैं, ‘रनर अन्य प्रतिष्ठित मैराथन, जैसे 42 किलोमीटर लंबे बोस्टन, लंदन, टोक्यो मैराथन पहले और कॉमरेड लास्ट में करते हैं। लेकिन, मैंने पहले कॉमरेड्स के साथ शुरुआत करके इसमें बदलाव ला दिया। अब, कॉमरेड्स की तुलना में अन्य सभी रन एक छोटे बच्चे की तरह लगते हैं।’
इति पांडेय के पति वीरेंद्र ओझा 1993 बैच के आईआरएस-आईटी अधिकारी हैं। वह भी एक तेजतर्रार रनर हैं और 2017 में कॉमरेड्स मैराथन में भाग लेने वाले देश के पहले नौकरशाह थे।
फिनिशिंग लाइन छूने का अनुभव
जैसे ही उन्होंने फिनिश लाइन पार किया, पांडे ने काफी उत्साह महसूस किया। सबसे बढ़कर, उन्होंने देशभक्ति महसूस की। वह बताती हैं, ‘मैंने अपनी बेटी से भारतीय झंडा लेते ही रोना शुरू कर दिया। मैंने पहले कभी इतनी देशभक्ति महसूस नहीं की थी। उस पल में मैंने अपने देश, परिवार, दोस्तों और उन सभी के बारे में सोचा जिन्होंने इस यात्रा में मेरी मदद की थी।’इति के लिए मैराथन का सबसे कठिन हिस्सा 52-57 किलोमीटर के बीच था। यह एक कठिन चढ़ाई थी जो खत्म होने का नाम नहीं ले रही थी।
वह कहती हैं, ‘मेरी मांसपेशियां गुरुत्वाकर्षण के खिलाफ काम कर रही थीं। हालांकि, 23 किलोमीटर के उच्चतम बिंदु पर मैं फिर भी दौड़ रही थी, न कि चल रही थी। मैंने खुद को भरोसा दिलाया कि मैं इस हिस्से को भी पूरा कर सकती हूं और वहां एक छोटा सा भांगड़ा किया!’
रनिंग मेरे लिए थेरेपी है। उन्होंने समझाया कि यह मेरी प्रार्थना है। उन पलों में मैं आनंद से पूरी तरह से विभोर हो जाती हूं। दौड़ना मुझमें सर्वश्रेष्ठ लाता है। मैं सबसे ज्यादा खुश तब होती हूं, जब दौड़ रही होती हूं। यह वही है, जो मुझे परिभाषित करता है। यही कारण है कि कॉमरेड्स की अपनी दौड़ में उन्होंने कभी थका हुआ महसूस नहीं किया। वह बताती हैं कि दौड़ पूरी करने के बाद उन्हें दर्द का अहसास हुआ, मगर वह सुखद लग रहा था।
सपनों को मत छोड़ो
पांडे सभी से कहती हैं कि सभी सपनों की अपनी लाइफ होती है। उन्हें बहुत देर बंद करके मत रखो। बाहर निकलो और तुरंत उन पर काम शुरू करो। सपने को पूरा करने पर आपको जो खुशी और गर्व महसूस होता है, उसका कोई विकल्प नहीं है। कुछ भी आपको अपने अलावा सीमित नहीं कर सकता। तो बस अपने आप को पहचानें और इसके लिए बढ़ चलें।
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