पटियाला की भीषण बाढ़ में बिना रुके लोगों को बचाने वाली आईएएस अधिकारी खुद 7 दिनों के बाद मिलीं 3साल की बेटी से
- Ayodhya Prasad Singh
- Published on 21 Jul 2023, 3:44 am IST
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हाइलाइट्स
- उन्होंने फंसे हुए स्थानीय लोगों से वादा किया कि वह उन्हें जल्द ही बाहर निकाल लेंगी
- उन्होंने और उनकी टीम ने लोगों को सुरक्षित निकालने के लिए दिन-रात काम किया
- आईएएस अधिकारी साक्षी सहनी में पटियाला में आए बाढ़ में बचाओ अभियान चलाया
घर में महज तीन साल की बेटी थी। फिर भी वह उसे घर में छोड़कर पंजाब के पटियाला शहर में आई अब तक की सबसे भीषण बाढ़ से लोगों को बचाने निकल पड़ीं। उन्होंने व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाया और समय रहते स्थिति से निपट लिया। दिन-रात काम करके हजारों लोगों की जान और उनके सामान को बचाया। इस दौरान सात दिनों के बाद वह दोबारा अपनी बेटी से मिल सकीं। उन्होंने फोन पर अपने माता-पिता द्वारा भेजी गई उसकी तस्वीरें देखीं, जो एक नैनी के साथ बेटी की देखभाल कर रहे थे। 2014 बैच की आईएएस अधिकारी और पटियाला की डिप्टी कमिश्नर साक्षी साहनी स्थानीय लोगों के लिए नायिका बन गई हैं। इसलिए कि उन्होंने उन्हें बचाने के लिए पानी की परवाह किए बगैर दिन-रात स्थिति की निगरानी की। लोगों को बाहर निकलने के लिए मनाया। संवेदनशील इलाकों में उनके घरों की सुरक्षा की और शहर को सभी के लिए सुरक्षित महसूस कराने की कोशिश की।इंडियन मास्टरमाइंड्स ने इस अधिकारी से बात की, जिन्होंने विनम्रतापूर्वक श्रेय लेने से इनकार कर दिया। बस इतना कहा कि वह जो कर रही थीं, वह सिर्फ उनके कर्तव्य का हिस्सा था।
बाढ़ की चपेट में है पटियाला
चूंकि उत्तर भारत में भारी मानसूनी वर्षा हो रही थी, इसलिए पंजाब का पटियाला जिला इससे सबसे अधिक प्रभावित हुआ। शहर में पानी बह रहा है। जलनिकासी व्यवस्था ठप है। लोगों को रोजमर्रा के काम करने के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है। भारी बारिश और बाढ़ के पानी ने लोगों को जान बचाने के लि एमजबूर कर दिया है। लेकिन, प्रशासन ने समय पर कदम उठाया। एनडीआरएफ और सेना के सहयोग से चीजें जल्द ही नियंत्रण में आ गईं।
बाढ़ नियंत्रण
यूं तो जिले भर में बाढ़ नियंत्रण के लिए कार्य किए गए हैं। फिर भी शिवालिक, चंडीगढ़,मोहाली आदि के ऊपरी हिस्से में पानी की मात्रा का अनुमान नहीं लगाया जा सकता था। वास्तव में, घग्गरया बड़ी नदी नदी में कोई दरार नहीं थी, लेकिन अत्यधिक बरसात के कारण 9 से 10जुलाई के बीच विभिन्न स्थानों पर पानी भर गया था।
साहनी कहती हैं, ‘जब 9 तारीख की सुबह लगातार बारिश हो रही थी, तो हमने पहले ही बड़ी नदी से सटी सभी कॉलोनियों के लिए अलर्ट जारी कर दिया था। निकासी शुरू कर दी थी और राहत शिविर बना दिए थे। राजपुरा सब-डिवीजन भी अलर्ट पर था, क्योंकि घग्गर की निगरानी का पहला बिंदु पटियाला के सरला में है।’
हालांकि, मोहाली जिले से पानी का बड़ा प्रवाह एसवाईएल (सतलुज यमुना लिंक नहर) में प्रवेश कर गया, जो सीधे नीलम अस्पताल और चितकारा यूनिवर्सिटी के कैंपस में चला गया। इससे स्थिति खतरनाक हो गई।
साहनी ने कहा- हमने तुरंत बचाव अभियान चलाया। सुनिश्चित किया कि 14 गंभीर मरीजों सहित नीलम अस्पताल के सभी मरीजों को तुरंत हटा लिया जाए। चितकारा ऑपरेशन देर रात तक जारी रहा। जब हमने पचीसधारा, एसवाईएल और घग्गर में पानी लबालब देखा, तो हमें लगा कि हमें सेना-एनडीआरएफ की सहायता की आवश्यकता होगी और तुरंत उनकी मदद ली। सेना ने चितकारा में महत्त्वपूर्ण अभियान चलाया, जबकि एनडीआरएफ ने घनौर और राजपुरा में गांवों को खाली कराने में मदद की।
चितकारा ऑपरेशन में जहां 9तारीख की रात तक सेना को बुलाया गया था, राजपुरा में चितकारा विश्वविद्यालय से लगभग 3000छात्रों को तत्काल निकाला गया था। साहनी पूरे ऑपरेशन के दौरान मौजूद रहीं, जो 10तारीख की सुबह तक जारी रहा।
बड़ी चुनौती
बड़ी चुनौती लोगों को वहां से निकालने की थी, क्योंकि वे लोग अपना घर छोड़ने में बहुत झिझक रहे थे। साहनी के अनुसार, निकालने के काम के दौरान यह सबसे कठिन हिस्सा था। जब पानी का स्तर कम था, तो प्रशासन ने निकासी के लिए ट्रैक्टर ट्रॉलियों का इस्तेमाल किया, लेकिन जब पानी का स्तर बहुत अधिक बढ़ गया तो उन्हें फिर से एनडीआरएफ और सेना की बड़ी क्षमता वाली मोटर नौकाओं और नौकाओं को काम पर लगाना पड़ा।
साहनी ने कहा, ‘जब पानी शहरी इलाकों में फैलना शुरू हो गया था,तो हमने तुरंत बाढ़ के पानी के अगले प्रवाह की आशंका जताई और सभी निचली कॉलोनियों को अलर्ट पर रखा। हमने लोगों को निकालने के लिए संसाधन भी जुटाए।’
स्थानीय लोग उस महत्त्वपूर्ण समय में अपने बीच मौजूद अधिकारी की सराहना करते हैं और किसी भी अफवाह या गलत सूचना को दूर करने के लिए उनके साथ लगातार संवाद करने के लिए दाद भी देते हैं। उन्होंने मौके से लोगों को लाइव अपडेट भी दिया। उन्होंने उन कॉलोनियों में लोगों को सचेत किया, जहां जलस्तर बढ़ने की आशंका थी और जिन्हें जल्द ही खाली कराया जाना था।वह रोजाना सुबह 2 या 3बजे तक लगातार मैदान पर रहती थीं।थोड़ा आराम करती थीं और अगले दिन सुबह 6बजे मैदान पर फिर से मैदान में निकल जाती थीं। उन्होंने अपने निजी मोबाइल नंबर पर भी कॉल अटेंड करना शुरू कर दिया, क्योंकि सरकारी नंबर पर कॉल की बाढ़ आ गई थी।
बचाव अभियान
उन्होंने हेल्पलाइन नंबर जारी किए थे।सभी निचले इलाकों पर बचाव कार्यों की निगरानी के लिए एक समर्पित नोडल अधिकारी था।ये कार्रवाई देर रात तक चलती रही। उन्होंने महसूस किया कि लोगों को वास्तविक स्थिति की जानकारी की आवश्यकता है, अन्यथा हर जगह बहुत अधिक घबराहट होती। वह कहती हैं कि इसलिए, मैंने खुद को विभिन्न आरडब्ल्यूए के व्हाट्सएप समूहों में जोड़ा और अपने नोडल अधिकारियों को भी जोड़ा। बचाव कार्यों के बारे में वास्तविक स्थिति कीजानकारी दी गई और सवालों के जवाब दिए गए ।साथ ही, उन्होंने ट्रेनिंग ले रहीं आईएएस अधिकारी अक्षिता के माध्यम से फंसे हुए व्यक्तियों के बीच वितरण के लिए सूखे राशन के पैकेट और दवाओं की व्यवस्था की, ताकि लोग भूखे न रहें। उन्होंने चिकित्सा समस्याओं वाले किसी भी व्यक्ति और गर्भवती महिलाओं और शिशुओं को पहले निकालने को प्राथमिकता दी।
साहनी ने कहा, ‘एक समय ऐसा भी आया था, जब किसी स्थान तक पहुंचने की कोशिश करते समय हमें लगभग 3 बजे सुबह सुलर रोड से गुजरना पड़ता था। अंधेरा था और थोड़ा पानी था। लेकिन पानी का स्तर तेजी से बढ़ा और ऊपर ही बढ़ता जा रहा था।एक समय ऐसा आया, जब हमें पता ही नहीं चल रहा था कि सड़क कहां है और नदी कहां है।यह चिंता का क्षण था और हम सभी ने थोड़ी प्रार्थना की। शुक्र है कि हमें जल्द ही सड़क साफ मिल गई और हम सुरक्षित बाहर निकल आए।’
गलत सूचनाओं से लड़ना
संकट के समय में हमेशा गलत सूचनाएं आती रहती हैं। लेकिन कई नए कदम उठाते हुए प्रशासन इससे निपटा। उन्होंने आधिकारिक समूहों के माध्यम से संदेश भेजे और लोगों को व्यक्तिगत रूप से सूचित करने के लिए अपनी टीमें भी भेजीं। फेसबुक, व्हाट्सएप और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर व्यापक रूप से साझा किए गए संदेश लोगों के लिए आशा की किरण बनकर आई, जब चीजें निराशाजनक दिख रही थीं।उनका ऐसा ही एक संदेश था कि डियर ऑल, मैं साक्षी साहनी, डीसी, पटियाला हूं। मैं समझती हूं आप काफी चिंतित हैं। लेकिन हम आपके लिए यहां हैं। हमें आपकी आवश्यकता है – 1. पहली मंजिल पर जाएं। किसी भी कीमत पर ग्राउंड फ्लोर पर कोई नहीं होना चाहिए। 2. बचाव कार्य जारी रहने तक हम डिनर पैकेट भेज रहे हैं। 3.हालात को देखते हुए आपको नावों या ट्रॉलियों द्वारा बचाया जाएगा।सेना पहले से ही वहां मौजूद है। हम कुछ स्थानों पर ट्रैक्टर और ट्रॉलियों का भी उपयोग कर रहे हैं। 4. ये आदर्श परिस्थितियां नहीं हैं, लेकिन हम आप सभी को सुरक्षित बाहर निकाल लेंगे। 5. यदि कोई ऐसा व्यक्ति है जिसे चिकित्सीय समस्याएं हैं, वह गर्भवती है या स्तनपान करा रही है, उनके शिशु हैं, तो उन्हें प्राथमिकता देना बेहतर होगा। हम किसी भी हालत में आप सभी को बाहर निकाल लेंगे… धन्यवाद।
टीम को दिया श्रेय
स्थिति और ऑपरेशन के बारे में बताते हुए साक्षी अपनी टीम के प्रत्येक सदस्य का उल्लेख करना नहीं भूलीं। उन्होंने जोर देकर कहा कि इन लोगों के बिना ऑपरेशन संभव नहीं था।साथ ही उन्होंने कहा कि उनकी टीम ने लगातार काम किया और सभी ने असाधारण मेहनत की। सोशल मीडिया पर हम टीम पटियाला केलिए जो प्रोत्साहन देख रहे हैं, उसके लिए मैं सभी को धन्यवाद देती हूं। अन्य जिलों में भी पंजाब सरकार डीसी और उनकी टीमों के माध्यम से यह सुनिश्चित कर रही है कि लोगों तक राहत पहुंचे। मैं बस इतना कहना चाहती हूं कि हमने अपना काम किया। यह सुनिश्चित करना हमारा कर्तव्य था कि हर कोई सुरक्षित रहे। अंत में वह कहती हैं कि हमने वैसा ही किया। अब हमें यह सुनिश्चित करने पर काम करना है कि लोगों का जीवन सामान्य हो जाए और हमारी सभी टीमें इसके लिए कड़ी मेहनत कर रही हैं।
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