टीबी मुक्त भारत के लिए पहल: डीएम ने टीबी से पीड़ित 5 बच्चे गोद लिए
- Ayodhya Prasad Singh
- Published on 21 Oct 2021, 9:25 am IST
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हाइलाइट्स
- कन्नौज के डीएम और 2009 बैच के आईएएस अधिकारी राकेश कुमार मिश्रा ने एक पहल के तहत 5 बच्चों को गोद लिया
- बच्चों के इलाज और पौष्टिक आहार की जिम्मेदारी उठाएंगे डीएम
- जिले के अन्य अधिकारी और सक्षम लोग भी इस पहल में होंगे शामिल
- टीबी प्रभावित बच्चों के घर पहुंचकर, उन्हें पोषाहार देते हुए डीएम कन्नौज (क्रेडिट: सोशल मीडिया)
भारत सरकार ने लक्ष्य रखा है कि साल 2025 तक देश को टीबी (क्षय रोग) मुक्त बनाना है। इसके लिए लगातार जांच व उपचार की सुविधाओं में इजाफा किया जा रहा है। हर राज्य की सरकार और प्रशासनिक अमला अपने स्तर पर काम कर रहा है। इसी दिशा में उत्तर प्रदेश के कन्नौज जिले के डीएम ने एक ऐसी पहल की है, जिसकी हर तरफ तारीफ हो रही है और लोगों के लिए भी एक संदेश गया है।
2009 बैच के आईएएस और कन्नौज के जिलाधिकारी राकेश कुमार मिश्रा ने टीबी से पीड़ित 5 बच्चों को गोद लिया है और उनके खाने-पीने और इलाज की जिम्मेदारी खुद उठा रहे हैं। हाल ही में डीएम खुद इन बच्चों के घर पहुंचे और उन्हें पुष्टाहार दिया। इसके साथ ही डीएम ने संबंधित लेखपाल को बच्चों की समय-समय पर रिपोर्ट देने के निर्देश भी दिये हैं। साथ ही डीएम ने भरोसा दिया है कि जल्द ही इन गरीब बच्चों और इनके परिवारों की अन्य मूलभूत सुविधाओं के लिए व्यवस्था की जाएगी। राशन कार्ड से लेकर जॉब कार्ड और अन्य सभी सरकारी सुविधाओं की जांच-पड़ताल करके उन परिवारों को हर संभव मदद दी जाएगी।
आंकड़ों की बात करें तो कन्नौज जिले में साल 2019 में टीबी मरीजों की संख्या 3124 थी जो साल 2020 में घटकर 1765 रह गई। वहीं जनवरी 2021 से अब तक 490 सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों से व 36 प्राइवेट चिकित्सालयों से नए टीबी रोगी चिन्हित किए गए हैं। अभी तक कुल लगभग 200 बच्चे टीबी से पीड़ित हैं।
क्या है पहल
कन्नौज के डीएम राकेश कुमार मिश्रा ने इंडियन मास्टरमाइण्ड्स से एक खास बातचीत में कहा, “टीबी से पीड़ित जो बच्चे होते हैं, जांच के बाद जिला अस्पताल में उनका मुफ्त में इलाज किया जाता है। साथ ही इन्हें 500 रुपए महीने भी दिये जाते हैं। लेकिन टीबी जैसी बीमारी से लड़ने के लिए इतना कुछ ही पर्याप्त नहीं है। गरीब बच्चों को टीबी से निजात दिलाने के लिए हमे और प्रयासों की जरूरत है। इसीलिए जिले को टीबी से छुटकार दिलाने के लिये प्रशासन ने गरीब लोगों के लिए एक पहल शुरू की है। इस पहल में जिले के आलाधिकारियों से लेकर सामाजिक संस्थाएं, स्कूल-कॉलेज के प्रिन्सिपल और प्रबुद्ध व सक्षम लोगों को टीबी के मरीज गोद लेने हैं और उनके खाने-पीने व इलाज की जिम्मेदारी उठानी है। इसकी शुरुआत में ही कुछ लोगों की आनाकानी देख, मैंने सोचा कि इस नेक काम की पहल मैं खुद से करूं तो शायद एक बेहतर संदेश लोगों तक पहुंच सकता है। इसलिए मैंने 5 बच्चों को गोद लिया, ये बच्चे अब मेरी देखरेख में रहेंगे। उनके इलाज और पौष्टिक खाने की जिम्मेदारी मेरी रहेगी।”
मिश्रा आगे कहते हैं, “डॉक्टर्स का सुझाव है कि टीबी से पीड़ित बच्चों की देखभाल में अगर उन्हें पौष्टिक आहार दिया जाए तो उनके ठीक होने की संभावना बहुत बढ़ जाती है और वे जल्द ठीक होते हैं। डॉक्टरों के अनुसार सामान्यता भुना हुआ चना, गुड़, मूंगफली, मौसमी फल और पौष्टिक बिस्किट आदि इन बच्चों को दिये जाने चाहिए। अगर ये सब चीजें इन बच्चों को मिलते रहें, तो वे जल्द ठीक हो सकते हैं। इसीलिए हमारी इस पहल का उद्देश्य यही है कि बच्चों को गोद लेकर उन्हें पौष्टिक आहार उपलब्ध कराया जाए और इलाज में उनकी मदद की जाए। इसके अलावा उनकी कोई बहुत अधिक जरूरतें नहीं हैं।”
क्या कहते हैं टीबी के आंकड़े
डीएम मिश्रा ने बच्चों का इलाज शुरू करा दिया है। मिश्रा स्वयं पौष्टिक आहार लेकर बच्चों के घर भी गए और उन्हें किस तरह इस आहार का सेवन करना है, यह भी बताया। डीएम की इस पहल का बहुत सकारात्मक असर हुआ है और अब जिले के कई और अफसरों ने भी टीबी ग्रसित मरीजों को गोद लेना शुरू कर दिया है।
उत्तर प्रदेश टीबी के मरीजों के मामले में अव्वल स्थान पर है, यहां देश के लगभग 20 फीसदी टीबी मरीज हैं। साल 2020-21 में उत्तर प्रदेश में करीब 3 लाख 68 हजार 112 टीबी मरीजों को चिन्हित किया गया था, जबकि पूरे देश में यह आंकड़ा 18 लाख 11 हजार 105 मरीजों का था। देश का हर पांचवां टीबी मरीज यूपी से है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार देश में लगभग 4 लाख 80 हजार हर साल और 1400 लोग हर रोज टीबी से मरते हैं। कोरोना के कारण नए टीबी मरीजों की पहचान बहुत प्रभावित हुई है। इसीलिए लॉकडाउन खुलने के बाद से टीबी मरीजों के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा अभी तक कई विशेष खोजी अभियान चलाए गए हैं।
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