अरुणाचल में कम्युनिटी रिजर्व का कमाल: लकड़ी काटने वालों को बना दिया वन बचाने वाला
- Jonali Buragohain
- Published on 3 Aug 2023, 10:31 am IST
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हाइलाइट्स
- लोकल बुगुन जनजाति को वन बचाने के अभियान में शामिल करने से बदली स्थिति
- यह प्रोग्राम विशेष रूप से बुगुन लिओसिचला नाम के पक्षी पर केंद्रित है
- सिंगचुंग गांव के पास के जंगलों में खोजा गया यह एक पासेरिन पक्षी है
अरुणाचल प्रदेश के पश्चिमी कामेंग जिले में स्थित सिंगचुंग वन कभी लकड़ी के कारोबार का केंद्र था। वह अब इस बात का बढ़िया उदाहरण है कि वन को बचाने में समाज को शामिल करने से कैसे अच्छे फल मिल सकते हैं।सिंगचुंग सब-डिविजन मुख्य रूप से बुगुन लोगों का इलाका है। बुगुन दरअसल अरुणाचल प्रदेश की एक अनुसूचित जनजाति है। सिंगचुंग ग्राम परिषद के साथ विचार कर राज्य के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग ने 2017 में सिंगचुंग सामुदायिक (कम्युनिटी) वनों के 17 वर्ग किलोमीटर को कम्युनिटी रिजर्व घोषित करके वन संरक्षण के लिए एक प्रगतिशील कदम उठाया। ऐसा वन्यजीव (संरक्षण) कानून, 1972 की धारा 36 सी के तहत किया गया। तब से वनों की सुरक्षा और संरक्षण में बुगुन लगे हुए हैं। संरक्षण कार्यक्रम विशेष रूप से सिंगचुंग गांव के पास के जंगलों में खोजे गए पासेरिन पक्षी बुगुन लिओसिचला पर केंद्रित है। इस खोज ने लोकल लोगों में वन को बचाने संबंधी जागरूकता पैदा की।
इंडियन मास्टरमाइंड्स ने कम्युनिटी रिजर्व में जनता की भागीदारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अरुणाचल प्रदेश के फॉरेस्ट कंजरवेटर (वन्यजीव) और आईएफएस अधिकारी मिलो टैसर से बात की।
बुगुन लिओसिचला का घर
सिंगचुंग में ईगलनेस्ट वाइल्डलाइफ सेंचुरी के पास के क्षेत्र में अलग-अलग तरह के पक्षी बहुत सारे हैं। वास्तव में जब पक्षियों की बात आती है, तो यह क्षेत्र एक ग्लोबल पावरहाउस है, जिसमें वार्ड्स ट्रोगोन और बेलीथ्स ट्रैगोपैन जैसी दुर्लभ प्रजातियां हैं। ऐसे में बेगुन लिओसिचला (लिओसिचला बुगुनोरम) की खोज ने इसकी उपलब्धियों में एक और कामयाबी जोड़ दी है।वन्यजीव (संरक्षण) कानून-1972 की शेड्यूल-I में लिस्टेड बुगुन लिओसिचला को पहली बार 1995 में खगोल भौतिकीविद (astrophysicist) डॉ. रमना अथरेया ने देखा था, जिन्होंने बाद में 2006 में पक्षी को एक नई प्रजाति घोषित किया था।ईगलनेस्ट वन्यजीव अभयारण्य के डीएफओ भी रह चुके मिलो टैसर ने कहा, “ऐसा माना जाता है कि दुनिया में इसके केवल 14 से 20 जोड़े मौजूद हैं। यह पक्षी ज्यादातर अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम कामेंग जिले में ईगलनेस्ट वन्यजीव अभयारण्य के पास सिंगचुंग बुगुन विलेज कम्युनिटी रिजर्व में देखा जाता है। वैसे इसे ईगलनेस्ट वन्यजीव अभयारण्य में और इसके बाहर शेरगांव और बोमडिला के पास एक बार देखा गया है, लेकिन कहीं और से इसकी सूचना नहीं मिली है।”
संरक्षण करके कमाई
पक्षी पर्यटन (Bird tourism) पहली बार 2005 में शुरू किया गया था। सिंगचुंग ग्राम परिषद के सदस्य पक्षी देखने वालों, प्रकृति प्रेमियों और साहसिक पर्यावरण-पर्यटकों का पूरा साथ देते हैं। ताकि यहां के इको सिस्टम को कोई नुकसान न हो। दरअसल वे राज्य वन और पर्यावरण विभाग की कम्युनिटी रिजर्व मैनेजमेंट कमेटी का हिस्सा हैं। ग्राम परिषद ने क्षेत्र में एक समुदाय-आधारित वन्यजीव पर्यटन कार्यक्रम को भी संस्थागत बनाया। इस प्रकार स्थानीय लोग प्रकृति का संरक्षण करते हुए अतिरिक्त कमाई करते हैं।
श्री टैसर कहा, “लोगों को संरक्षण के लाभों का एहसास हुआ। इसलिए 2017 में 17 वर्ग किलोमीटर के कम्युनिटी रिजर्व की घोषणा हुई। इसकी अधिसूचना जारी हुई। आज समुदाय के कई सदस्य पक्षी पर्यटन में लगे हुए हैं, जो उनके लिए भारी कमाई का जरिया बन गया है।”
यूथ पैट्रोलिंग
इसके अलावा, सिंगचुंग गांव के 12 बुगुन नौजवान रोजाना जंगलों में गश्त करते हैं और कम्युनिटी रिजर्व के गेट पर अवैध शिकार विरोधी शिविर में रहते हैं। युवाओं को इंसानों और जंगली जीवों के बीचे के संघर्षों से निपटने के लिए ट्रेंड किया जाता है। वे स्कूली बच्चों के लिए प्रकृति की सुरक्षा लेकर शिक्षा देते हैं। साथ ही कई साहसिक गतिविधियां चलाते हैं, जिससे रिजर्व के लिए आमदनी होती है।
जैव विविधता का भंडार
सिंगचुंग गांव के बुगुन समुदाय के जंगल विश्व स्तर पर महत्वपूर्ण जैव विविधता का असाधारण भंडार हैं। इनमें लाल पांडा और गोल्डन कैट जैसी करिश्माई पशु प्रजातियां, लेडी-स्लीपर ऑर्किड जैसी लुप्तप्राय पौधों की प्रजातियां और कुछ सबसे शानदार ओक और रोडोडेंड्रोन वन शामिल हैं। यह जंगल हाथियों, एशियाई काले भालू, गौर और अन्य प्रजातियों का भी घर हैं। दुनिया भर से पर्यटक यहां लिओसिचला, पर्पल कोचोआ, हनी गाइड और वार्ड्स ट्रोगोन देखने आते हैं।
ऐसे हुआ कायापलट
वैसे कुछ साल पहले तक हालात बहुत अलग थे। ये ही जंगल कभी लकड़ी के कारोबार का केंद्र थे। बड़े पैमाने पर कटाई होती थी। लकड़ी के कारोबार को कंट्रोल करने के लिए लोगों ने रास्ता निकाला। जैव विविधता के भंडार और जल संसाधनों की रक्षा के लिए सिंगचुंग ग्राम परिषद ने पहल की। उसने किसी भी तरह के शिकार, पेड़ों की कटाई, गैर-लकड़ी वन उपज का संग्रह और बिना अनुमति के रिजर्व में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया।श्री टैसर ने कहा, “1996 के बाद सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी किए गए लॉगिंग प्रतिबंध आदेश के बाद बुगुन जंगलों में लॉगिंग ऑपरेशन भी कम हो गए। यही वह समय था, जब शोधकर्ताओं द्वारा इस क्षेत्र की वैज्ञानिक रूप से खोज की जा रही थी। ईगलनेस्ट वन्यजीव अभयारण्य के आसपास समृद्ध जैव विविधता की खोज के साथ लोकल लोगों को संरक्षण के लाभों से परिचित कराया गया।इसके अलावा स्कूलों में जागरूकता कार्यक्रम शुरू किए गए। पिछले पांच वर्षों में ईगलनेस्ट रिजर्व के आसपास के 12 स्कूलों के 400 से अधिक छात्रों ने सिंगचुंग ग्राम परिषद की सक्रिय भागीदारी के साथ पर्यावरण और वन विभाग द्वारा चलाए जाने वाले एनुअल रेसिडेंशियल वाइल्डलाइफ कैंप्स में भाग लिया है।
इन छात्रों ने कम्युनिटी रिजर्व की अनूठी फूल-पौधों और जीवों के बारे में सीखा है। साथ ही जाना है कि दुर्लभ बुगुन लिओसिचला की रक्षा फौरन करनी होगी। 12 स्थानीय स्कूलों के 50 से अधिक शिक्षकों को विशेष रूप से स्कूली पाठ्यक्रमों में जैव विविधता संरक्षण को शामिल करने के लिए ट्रेंड किया गया था।
बुगुन समुदाय को पुरस्कार
2018 में सिंगचुंग बुगुन विलेज कम्युनिटी रिजर्व को जंगली प्रजातियों के संरक्षण की श्रेणी में राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण (एनबीए) द्वारा सम्मानित किया गया था। बुगुन वाले क्षेत्र में नई खोजों और रेंज की बढ़ती सूची में अबोर हिल्स अगामा, जेर्डन के रेड-स्पॉटेड पिट वाइपर, और लुडलो की भूटान महिमा और तिब्बती ब्रिमस्टोन जैसी तितलियां शामिल हैं।
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