इस अधिकारी ने झारखंड के नक्सल प्रभावित गांवों को पटरी पर ला दिखाया
- Muskan Khandelwal
- Published on 20 Jun 2023, 11:05 am IST
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हाइलाइट्स
- आईएएस अधिकारी अनन्य मित्तल नक्सल प्रभावित पश्चिमी सिंहभूम जिले में ग्रामीणों के जीवन में ला रहे हैं बदलाव
- पुलिस पिकेट और स्वास्थ्य केन्द्रों में बिजली उपलब्ध कराने के लिए सोलर पावर प्लांट लगाए गए हैं
- कम्युनिकेशन और एजुकेशन को बढ़ाने के लिए पब्लिक हेल्प सेल और वर्चुअल रियलिटी लैब शुरू की गई हैं
झारखंड में कई नक्सल पॉकेट हैं। पश्चिमी सिंहभूम इनमें से एक जिला है। यह कभी नक्सलियों से बुरी तरह प्रभावित हुआ करता था। हालांकि, सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले ग्रामीण अब राहत की सांस ले रहे हैं। इसलिए कि चीजें निश्चित रूप से बेहतर हो रही हैं।
जिले के सुदूर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले ग्रामीणों के जीवन में सुधार लाने के लिए डिप्टी कमिश्नर अनन्य मित्तल की मेहनत रंग लाई है और जीवन की क्वालिटी में सुधार हो रहा है। इंडियन मास्टरमाइंड्स से बात करते हुए मित्तल ने बदलाव लाने के लिए जिले में की गई पहल के बारे में काफी कुछ बताया।
दूरदराज के इलाकों में लोगों की स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए अंजदबेड़ा और तुंबहका गांवों में हेल्थ कैंप लगाया गया था। जाहिर है, सुरक्षा बलों के सहयोग से लगाया गया था। सदर अस्पताल चाईबासा की मेडिकल टीम ने 135 स्थानीय लोगों का इलाज कर जरूरी मेडिकल सलाह और दवाएं दीं। इसके अलावा एडमिनिस्ट्रेटिव और पुलिस अधिकारियों ने ग्रामीणों के साथ बातचीत की। उन्हें उन विभिन्न सरकारी योजनाओं के बारे में बताया, जिनका वे लाभ उठा सकते हैं। साथ ही उन्हें बेहतर जीवन जीने के लिए प्रेरित भी किया।
सोलर एनर्जी से आई जानः
श्री मित्तल ने बताया, “दूरदराज और कठिन क्षेत्रों में बिजली की कमी को दूर करने के लिए हमने 13 पुलिस पिकेट और शिविरों में 25KWp क्षमता वाले सोलर एनर्जी पर आधारित ऑफ-ग्रिड पावर प्लांट लगाए हैं।” इस पहल से न केवल बिजली से चलने वाली मशीनों और उपकरणों को चलाए रखना आसान हो गया है, बल्कि आसपास के क्षेत्रों में पर्याप्त रोशनी भी हो गई। इससे वहां तैनात कर्मियों की सुविधा और क्षमता में वृद्धि हुई।
पब्लिक हेल्प सेलः
इसके अलावा, दूरदराज के क्षेत्रों के लोगों के सामने आने वाली चुनौतियों को पहचानते हुए जिला प्रशासन ने एक पब्लिक हेल्प सेल शुरू किया। बता दें कि पहले लोकल मुद्दों को हल करने के लिए जिला मुख्यालय जाना पड़ता था। लेकिन इस पहल ने लोगों को जिला प्रशासन से इस नंबर – 06582-256301- पर सीधा संपर्क आसान बना दिया। उन्हें व्हाट्सएप नंबर 9279452376 भी दिए गए हैं। इस ईमेल आईडी [email protected] के जरिये भी जिला प्रशासन से संपर्क किया जा सकता है। इतना ही नहीं, कलेक्ट्रेट में ट्रेजरी रूम बन जाने से सरकारी कार्यक्रमों और योजनाओं का अधिकतम लाभ सुनिश्चित करते हुए समस्याओं के समय पर समाधान की सुविधा भी मिल गई है।
शारीरिक फिटनेसः
शिक्षा के साथ-साथ शारीरिक फिटनेस को बढ़ावा देने के लिए अधिकारी और उनकी टीम ने जिले भर के 28 रेसिडेंशियल एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन में ओपन जिम बना दिए हैं। अधिकारी ने कहा, “हमारी आने वाली पीढ़ियों के चौतरफा विकास को बढ़ावा देने के लिए सिट-अप बोर्ड, स्काई वॉकर, क्रॉस ट्रेनर और शोल्डर बिल्डर्स जैसे जिम उपकरण उपलब्ध कराए गए हैं।”
स्कूलों में उन्नत शिक्षाः
वहीं, वर्चुअल वातावरण में क्वालिटी वाली शिक्षा देने के लिए जिले के आठ सरकारी रेसिडेंशियल स्कूलों को वर्चुअल रियलिटी लैब से लैस किया गया है। इन प्रयोगशालाओं ने छात्रों को ज्ञान पाने में लगने वाला समय कम कर दिया है। एनिमेटेड प्रयोगों और व्यापक सामग्री कवरेज के साथ वीआर लैब्स ने शिक्षा गतिविधियों को समृद्ध किया। साथ ही शिक्षकों को पढ़ाने के तरीकों में सुधार के लिए इनोवेटिव टूल्स प्रदान किए।
इसमें व्यावहारिक सामग्री के साथ 3डी दृश्य में 100 अध्याय-आधारित 500+ एनिमेटेड एक्सपेरिमेंट्स शामिल हैं, जो विषयवार पूरा कवरेज देता है।
श्री मित्तल यही नहीं रुकते। उन्होंने 269 स्कूलों की मरम्मत कराई और जिला खनिज फाउंडेशन ट्रस्ट (डीएमएफटी) के तहत विभिन्न संस्थानों में अतिरिक्त क्लास रूम बनवाए। संसाधन उपयोग में सुधार लाने और दूर-दराज से छात्रों को आकर्षित करने के लिए मौजूदा स्कूलों के बुनियादी ढांचे को बढ़ाया जा रहा है।
बढ़ाया रोजगार और पर्यटनः
इसके अलावा, जिले में रोजगार और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए श्री मित्तल ने विभिन्न विभागों को जोड़ते हुए जलाशय क्षेत्रों में स्थानीय युवाओं के मछली पकड़ने के आठ समूहों को सहायता दिलाई। कई स्थानों में मछली पकड़ने वाले समूहों को समर्थन मिला। इससे पिंजरा पालन यानी केज कल्चर, मछली पालन और पर्यटकों के लिए नौका विहार को सक्षम बनाया गया। रोजगार के अवसरों की दिशा में इस नए नजरिये का उद्देश्य दूर-दराज के इलाकों से पलायन को रोकना और समुदायों को सशक्त बनाना था।
पश्चिमी सिंहभूम जिले में किए गए ऐसे विकासात्मक कामों ने निश्चित रूप से दूर-दराज के समुदायों में पॉजिटिव बदलाव लाए हैं। श्री मित्तल कहते हैं, “इन प्रयासों का उद्देश्य निवासियों के जीवन को सशक्त और उत्थान करना है। साथ ही दूर-दराज के क्षेत्रों और मुख्यधारा के विकास के बीच की खाई को पाटना है।”
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