यूपीएससी: लगातार बेहतर प्रदर्शन कर रहे मुस्लिम उम्मीदवारों की संख्या में इस साल गिरावट
- Ayodhya Prasad Singh
- Published on 15 Oct 2021, 3:20 pm IST
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हाइलाइट्स
- इस साल यूपीएससी में कुल सफल उम्मीदवारों में 29 मुस्लिम समुदाय से हैं
- साल 2016 से यूपीएससी में अल्पसंख्यक समुदाय के छात्र बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं
- इस साल सफल उम्मीदवारों में मुस्लिमों की संख्या 4 फीसदी है, जबकि पिछले साल 5 फीसदी थी
- सदफ चौधरी, यूपीएससी-2020, एआईआर 23
देश की सबसे कठिन परीक्षा मानी जाने वाली यूपीएससी में साल-दर-साल मुस्लिम अभ्यर्थियों का प्रदर्शन बेहतर होता गया है। हालांकि पिछले साल के मुकाबले इस साल मुस्लिम उम्मीदवारों के रिजल्ट में थोड़ी गिरावट आई है। संघ लोक सेवा आयोग यानी यूपीएससी की परीक्षा में इस साल 29 मुस्लिम उम्मीदवार चुने गए हैं, जबकि पिछले साल यह संख्या 44 थी। 29 सफल मुस्लिम उम्मीदवारों में 22 पुरुष और 7 महिला हैं। उत्तराखंड के हरिद्वार की सदफ चौधरी ने मुस्लिम उम्मीदवारों में टॉप करते हुए 23 वीं रैंक हासिल की है।
2016 से लगातार बेहतर हुआ है रिकॉर्ड
साल 2016 से देश की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा में मुस्लिम उम्मीदवारों की संख्या बेहतर होनी शुरू हुई थी। इस साल यूपीएससी में कुल सफल हुए उम्मीदवारों में लगभग 4 फीसदी मुस्लिम उम्मीदवार हैं, जबकि पिछले साल लगभग यह संख्या लगभग 5 फीसदी थी। वहीं, साल 2018 में कुल सफल मुस्लिम उम्मीदवार लगभग 4 फीसदी थे।
2016 में भारतीय प्रशासनिक सेवाओं में पहली बार यूपीएससी के तहत 50 मुस्लिम अभ्यर्थियों का चयन हुआ था। इसमें भी 10 सफल उम्मीदवारों ने शीर्ष 100 में जगह बनाई थी। इसके बाद 2017 बैच में 50 और 2018 बैच में 28 मुस्लिम परीक्षार्थी यूपीएससी में चुने गए थे। वहीं, 2012, 13, 14 और 15 बैच के लिए यह संख्या क्रमश: 30, 34, 38, और 36 थी।
सफलता के पीछे प्रमुख कारक
2016 के बाद से सफल मुस्लिम उम्मीदवारों का प्रतिशत लगभग 5 फीसदी रहा है, जो एक बड़ी उपलब्धि कही जा सकती है। क्योंकि आजादी के बाद से यह संख्या लगभग 2.5 प्रतिशत ही थी। अल्पसंख्यक मामलों के एक सदस्य के अनुसार पिछले चार वर्षों में मुस्लिम उम्मीदवारों के प्रदर्शन में काफी सुधार हुआ है।
गौरतलब है कि 2006 की सच्चर समिति की रिपोर्ट ने सरकारी नौकरियों में मुसलमानों के कम प्रतिनिधित्व पर ध्यान दिलाते हुए उसे बढ़ाने की वकालत की थी। उसके बाद से सरकारों ने कई योजनाओं और छात्रवृत्तियों के माध्यम से अल्पसंख्यकों की शिक्षा और उनके प्रतिनिधित्व पर अच्छा खासा ध्यान दिया है।
पिछले कुछ सालों में, पूरे देश में ऐसे कई कोचिंग सेंटर भी सामने आए हैं जो विशेष रूप से मुस्लिम उम्मीदवारों के लिए मुफ्त या सस्ती कोचिंग प्रदान करते हैं। इनमें जामिया मिल्लिया इस्लामिया की मुफ्त आवासीय कोचिंग अकादमी (आरसीए), हमदर्द स्टडी सर्कल और आगाज फाउंडेशन आदि प्रमुख हैं।
कुछ समय पहले की एक रिपोर्ट के अनुसार, कुल प्रशासनिक अधिकारियों में केवल 3 प्रतिशत आईएएस अधिकारी, 1.8 प्रतिशत भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) अधिकारी और 4 प्रतिशत आईपीएस अधिकारी मुस्लिम समुदाय से थे, जबकि 2011 की जनगणना के अनुसार देश में मुस्लिम समुदाय की जनसंख्या लगभग 15 फीसदी है।
इस साल का प्रदर्शन
इस साल सफल हुए मुस्लिम परीक्षार्थियों में फैजान अहमद (58 वीं रैंक), मंजर हुसैन अंजुम (125 वीं रैंक), शाहिद अहमद (129 वीं रैंक), शहंशाह के एस (142 वीं रैंक), मोहम्मद आकिब (203 वीं रैंक) शीर्ष रैंक पर हैं। वहीं, इस साल मुस्लिम उम्मीदवारों में टॉप करने वाली सदफ चौधरी की यह दूसरी कोशिश थी। अपने पहले प्रयास में वह प्रारंभिक परीक्षा में ही कामयाब नहीं हुई थी। सदफ ने वैकल्पिक विषय के रूप में राजनीतिक विज्ञान लिया था और बिना किसी कोचिंग की मदद के यह परीक्षा पास की है। सदफ विदेश सेवा में जाकर भारत का प्रतिनिधित्व करना चाहती है।
इस साल आए यूपीएससी-2020 परीक्षा परिणामों में कुल 761 उम्मीदवार पास हुए हैं, जिनमें 545 पुरुष और 216 महिलाएं हैं। सफल हुए उम्मीदवारों में से 263 सामान्य वर्ग के, 86 आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) से, 220 अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), 122 अनुसूचित जाति (एससी) और 61 अनुसूचित जनजाति (एसटी) के हैं।
सिविल सर्विसेज परीक्षाओं का आयोजन प्रति वर्ष यूपीएससी तीन चरणों में करता है, जिनमें प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार शामिल हैं। इन परीक्षाओं के माध्यम से भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस), भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) और भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) सहित कई अन्य सेवाओं के लिए उम्मीदवारों का चयन होता है।
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