मानव-वन्यजीव संघर्ष: हाथियों के हमले में कैसे बची महिला की जान
- Ayodhya Prasad Singh
- Published on 13 Oct 2021, 5:27 pm IST
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हाइलाइट्स
- जंगल के बीच जमीन घेरने गई एक महिला 12 से 14 हाथियों के झुंड में फंस गई
- वन विभाग की टीम ने मौके पर पहुंचकर उसे बचाया
- 2010 बैच की आईएफएस और धमतरी जिले की डीएफओ सतोविशा समाजदार ने अस्पताल पहुंचकर घायल महिला के स्वास्थ्य की जानकारी ली
छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में ‘मानव-वन्यजीव संघर्ष’ (मैन एनिमल कॉन्फ्लिक्ट) की एक ऐसी घटना हुई है, जिसने लोगों को एक बार फिर से आगाह किया कि प्रकृति और उसके रक्षकों से कोई खिलवाड़ न किया जाए और जंगल के बनाए नियमों का पूरी तरह पालन हो।
धमतरी जिले के नगरी तहसील के गांव दुगली के पास हथियो के झुंड से एक महिला मौत के मूंह से बच के वापस आई। सही वक्त पर पहुंचकर फॉरेस्ट विभाग के हिम्मती गार्ड्स ने उसकी जान बचा ली। जबकि वन विभाग की टीम ने क्षेत्र में मुनादी कराकर ग्रामीणों को जंगल की ओर नहीं जाने की सलाह दी थी।
क्या है घटना
दरअसल नगरी क्षेत्र में करीब 14 हाथियों का दल कई दिनों से विचरण कर रहा है। फॉरेस्ट विभाग ने इसके बारे में पहले से ही इलाके के लोगों को बता रखा था और सावधानी बरतने की सलाह दी थी। लेकिन इस बीच एक महिला सब अनसुना करती हुई जंगल में चली गई। उसी वक्त कुछ ग्रामीणों ने फॉरेस्ट गार्ड्स को इसकी खबर दी। सूचना पाते ही फौरन गार्ड्स अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचने के लिए निकल पड़े।
इस बीच महिला पर हाथियों के झुंड ने हमला कर दिया और एक हाथी ने महिला को सूंड से तेज टक्कर मार दी। तभी किस्मत से मौके पर फॉरेस्ट गार्ड्स पहुंच गए। हाथी अपने पैर से महिला को रौंदने ही वाला था, तभी गार्ड्स ने उसका ध्यान भटकाया और किसी तरह महिला को वहां से निकाला। उसके बाद गार्ड्स ने बड़ी मुश्किल से हाथियों को जंगल की ओर खदेड़ा। इस रोमांचक रेस्क्यू में महिला की जान तो बच गई, लेकिन हाथी की जोरदार टक्कर और दूर धकेलने की वजह से महिला के हाथ में फेक्चर हो गया। हालांकि अब वह पूरी तरह स्वस्थ है।
कारण
2010 बैच की आईएफएस अधिकारी और धमतरी जिले की प्रभागीय वनाधिकारी (डीएफओ) सतोविशा समाजदार ने इंडियन मास्टरमाइण्ड्स से बातचीत करते हुए कहा, “वन्य क्षेत्रों में रहने वाले लोग 2 बड़ी वजहों से जंगल में जाते हैं, एक तो अतिक्रमण के इरादे से, दूसरे जंगल के आस-पास अपने खेतों को देखने के लिए कि हाथी खेत में तो नहीं है। हालांकि इसके लिए शासन मुआवजा भी देता है। अगर हाथी किसी की फसल खा लेता है तो 22 हजार प्रति हेक्टेयर के हिसाब से मुआवजा दिया जाता है। लेकिन फिर भी लोग मानते नहीं हैं और जंगल में चले जाते हैं। यह घटना अतिक्रमण की वजह से हुई। लेकिन हमारे गार्ड्स ने मौके पर पहुंचकर उसकी जान बचा ली और तुरंत 108 पर कॉल करके उसे अस्पताल ले गए। जब हाथियों का इस तरह का विचरण होता है, उस वक्त प्रोटोकाल होता है कि कोई उस एरिया में नहीं जाएगा, फॉरेस्ट विभाग के कर्मचारी भी नहीं। क्योंकि हाथी का खतरा किसी भी जानवर से बड़ा खतरा होता है, हाथी अपनी जद में आने के बाद किसी को भी नहीं छोड़ता। लेकिन महिला की जान बचाने के लिए फॉरेस्ट टीम के सदस्यों ने जंगल में स्वयं की जान को जोखिम में डालकर रेस्क्यू किया।”
कैसे बचें!
“इस तरह की स्थिति से बचने के लिए एक ही तरीका है कि फॉरेस्ट विभाग ने जो गाइडलाइन बनाई हैं, उसे पूरी तरह से फॉलो करें। कृपया उनकी सलाह मानें। हाथी को देखने न जाएं, अगर आपके खेत में है तो उसे भगाने न जाएं। अगर आप हाथी के सामने नहीं जाएंगे और उससे दूर रहेंगे तो दिक्कत नहीं होगी। सबसे प्रमुख बात यही है कि हाथी से दूर रहें। ध्यान रखें कि हाथी जितना बड़ा जानवर है, उतना ही खतरनाक भी। वैसे तो वो शांत प्रकृति का होता है, लेकिन अगर उसे लगा कि आप उसे नुकसान पहुंचा सकते हैं तो वो जरूर हमला करेगा। एक बात और है कि हाथी की याददाश्त भी बहुत अच्छी होती है, वो कुछ भी भूलता नहीं है।”
“हाथी के हमलों से बचाव के तरीकों पर बात करते हुए डीएफओ सतोविशा”
हाथियों से बचाव और निरंतर उनकी देख-रेख के लिए धमतरी के फॉरेस्ट विभाग के पास एक गजराज वाहन है। उससे रात को रहवास इलाकों से हाथी को दूर रखा जाता है। निरंतर मुनादी कराई जाती है। चौकीदार जंगल से लड़की इकठ्ठा करके शाम को आग जलाते हैं। साइरन बजाया जाता है और लोगों को बताया जाता है कि हाथियों के विचरण वाले इलाकों से दूर रहें।
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