बरेली के नए डीएम बने मानवेंद्र सिंह, मिल चुका है एशिया का नोबेल, शिक्षा और जल क्षेत्र में किया है शानदार काम
- Indian Masterminds Bureau
- Published on 25 Oct 2021, 11:55 pm IST
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हाइलाइट्स
- आईएएस मानवेंद्र सिंह बने बरेली के नए डीएम, राष्ट्रीय जल और रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से हो चुके हैं सम्मानित
- इससे पहले फर्रुखाबाद के डीएम की जिम्मेदारी संभाल रहे थे मानवेंद्र सिंह
- मानवेंद्र पहले भी बरेली में बतौर एडीएम कर चुके हैं काम, अब संभालेंगे डीएम का जिम्मा
- 2010 बैच के आईएएस अधिकारी मानवेंद्र सिंह (क्रेडिट: सोशल मीडिया)
उत्तर प्रदेश सरकार ने शनिवार की देर रात 10 जिलों के डीएम बदल दिये। आइएएस अधिकारी मानवेंद्र सिंह को बरेली का नया जिलाधिकारी बनाया गया है। इससे पहले वो फर्रुखाबाद के डीएम की जिम्मेदारी संभाल रहे थे।
पीसीएस से प्रोन्नति होकर 2010 बैच के आईएएस अधिकारी बने मानवेंद्र सिंह को एशिया के नोबेल कहे जाने वाले रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। यही नहीं, उन्हें भारत के केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय जल पुरुस्कार से भी सम्मानित किया गया है। ये पुरस्कार उन्हें जल मंत्री नितिन गडकरी ने प्रदान किया था।
वहीं, बरेली के वर्तमान डीएम नितीश कुमार को अब अयोध्या की जिम्मेदारी दी गई है। आईएएस मानवेंद्र सिंह को ललितपुर में एक छोटी सी गुमनाम ‘ओडी नदी’ को पुनर्जीवित करने का श्रेय जाता है। उनके इस काम से जिले के जल स्रोतों का भी पुनरुद्धार हुआ और मानवेंद्र सिंह को कई पुरस्कार मिले।
फर्रुखाबाद में अपने कार्यकाल के दौरान उन्हें सरकारी शिक्षा व्यवस्था बहुत से सुधारों के लिए जाना जाता है। मूलरूप से औरैया जिले के रहने वाले मानवेंद्र सिंह स्वास्थ्य विभाग में विशेष सचिव, ग्रेटर नोएडा और मथुरा विकास प्राधिकरण के सीईओ, मेरठ में एडीएम सिटी, बरेली और फिरोजाबाद में एडीएम प्रशासन और चित्रकूट धाम में अपर आयुक्त पद पर रह चुके हैं। साथ ही वो उत्तर प्रदेश प्रमोटी आइएएस यूनियन के अध्यक्ष भी रहे हैं।
मानवेंद्र ने अपने गृह जिले की तहसील विधूना की ग्राम पंचायत तिलकपुर कैथाला के अपने गांव के प्राथमिक स्कूल को गोद लिया है। और अपने निजी खर्च से उसकी कायापलट करते हुए कॉन्वेंट स्कूल जैसा बना दिया है। मानवेंद्र विधूना क्षेत्र से पांच बार विधायक रहे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी गजेंद्र सिंह के सुपुत्र हैं।
मानवेंद्र सिंह एक कवि भी हैं। उन्होंने कई कविताएं लिखीं हैं और कई कवि सम्मेलनों की शोभा बढ़ा चुके हैं। उनकी एक प्रसिद्ध कविता है-
‘आस्तीन के सांप दिखाई नहीं देते महसूस किए जाते हैं, बहुत करीब होने का एहसास भी दिलाते हैं, इनके दंश से मरता नहीं कोई लेकिन, जख्म बहुत गहरे दे जाते हैं।’
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