हिमाचल में पार्वती घाटी और उत्तरी गोवा के बीचों पर ड्रग्स पर लगाम
- Sharad Gupta
- Published on 28 Jun 2023, 1:22 am IST
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हाइलाइट्स
- मशहूर पर्यटक स्थल हिमाचल प्रदेश की पार्वती घाटी और उत्तरी गोवा के बीच ड्रग्स के हॉटस्पॉट के रूप में भी जाने जाते हैं
- जहां कसोल की पगडंडियों में युवा रहस्यमय तरीके से लापता हो जाते हैं, वहीं उत्तरी गोवा की बीच पार्टियों में ड्रग्स के ओवरडोज से लोग मर जाते हैं
- कुल्लू जिले के एसपी और उत्तरी गोवा के एसपी (क्राइम) ने ड्रग्स के खतरे को रोकने के लिए किए गए उपाय बताए
हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में पार्वती घाटी में कसोल और उत्तरी गोवा में अंजुना और वागाटोर बीच रेव पार्टियों के लिए मशहूर हैं। विदेशी और घरेलू टूरिस्ट दरअसल ट्रांस-टेक्नो संगीत, साइकेडेलिक रोशनी और ड्रग्स में खुद को खो देने के लिए इन स्थानों पर आते हैं। ये स्थान युवाओं के बीच लोकप्रिय हैं। विशेष रूप से वे, जो वीड या सिंथेटिक ड्रग्स के आदी हैं। और कभी-कभार ऐसे शौकिया भी जो आराम पाने, संकोच दूर करने और बिना सोचे-समझे डांस करने के लिए उस ड्रग्स या उस गोली का सेवन करते हैं।अक्सर ड्रग्स का कॉकटेल घातक ओवरडोज का कारण बनते हैं। इससे पुलिस को सतर्क रहना पड़ता है। चूंकि ये स्थान लगभग हमेशा भीड़भाड़ वाले होते हैं, इसलिए पुलिस को यूजर्स, डीलरों और ड्रग कार्टेल पर नज़र रखते हुए हर समय हाई अलर्ट पर रहना पड़ता है।इंडियन मास्टरमाइंड्स ने इन जिलों में ड्रग्स के खिलाफ लड़ाई के बारे में जानने के लिए कुल्लू की एसपी साक्षी वर्मा कार्तिकेयन और उत्तरी गोवा के एसपी (क्राइम) निधिन वाल्सन से बात की।पार्वती घाटी को बना रहे सुरक्षित
इस साल जनवरी में कुल्लू जिले की पुलिस सुपरिटेंडेंट के रूप में कार्यभार संभालने के तुरंत बाद ही आईपीएस अधिकारी साक्षी वर्मा कार्तिकेयन ने घोषणा की थी कि ड्रग्स की आमद से निपटना और पार्वती घाटी को पर्यटकों के लिए सुरक्षित बनाना उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता होगी। इंडियन मास्टरमाइंड्स से बात करती हुई हिमाचल प्रदेश कैडर की 2014 बैच की अधिकारी ने मैटरनिटी लीव के बाद जब कुल्लू की एसपी बनीं, तो उन्होंने अपनी शुरुआत के बारे में जानकारी दी। 11 महीने के बच्चे की मां नशे के खिलाफ अपनी लड़ाई में मातृत्व को आड़े नहीं आने देती हैं।उन्होंने कहा कि स्थानीय पंचायतों, विशेषकर महिला मंडलों तक पहुंचने से उन्हें इस लड़ाई में बहुत मदद मिली है। कुछ महिला मंडलों ने संकल्प लिया है कि वे अपने क्षेत्र में ड्रग्स की तस्करी नहीं होने देंगे। हम उन क्षेत्रों में सीसीटीवी लगा रहे हैं और पुराने अपराधियों पर नजर रख रहे हैं।उन्होंने बताया कि यहां के कुछ क्षेत्रों में भांग अपने आप उगती है। जब स्थानीय लोगों को इसकी अच्छी कीमत मिलने लगी, तो वे इसकी खेती कमर्शियली करने लगे। मलाणा में पाई जाने वाली भांग सबसे बेहतरीन मानी जाती है। इसे मलाणा क्रीम के नाम से जाना जाता है। अंतरराष्ट्रीय और घरेलू दोनों बाजारों में इसकी बहुत अच्छी कीमत मिलती है। हालांकि, इसे गुप्त रूप से उगाया जाता है, क्योंकि यह अवैध है।कार्तिकेयन कहती हैं, ‘वन विभाग के सहयोग से हम उन क्षेत्रों की पहचान कर रहे हैं, जहां भांग की खेती की जा रही है। इस काम के लिए ड्रोन का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। हमारा विचार यह है कि उन्हें बोआई करने से रोका जाए और उनमें भय पैदा किया जाए।’
कसोल में युवा क्यों लापता हो जाते हैं?
अधिकारी ने माना कि कसोल क्षेत्र में युवाओं के लापता होने के कई मामले सामने आए हैं। अभी हाल में लापता हुए एक युवक की वह जांच कर रही हैं, जो ट्रेक पर निकलने के बाद से लापता है। उनके अनुसार, पहले ज्यादातर ऐसे मामले नशीली चीजों का सेवन करने और फिर पार्वती नदी में डूबने या अकेले ट्रेक के दौरान फिसल कर गहरी घाटियों में गिरने के कारण होते थे।उन्होंने कहा, ‘सोलो ट्रेक का अभी चलन है, लेकिन यह बहुत खतरनाक हो सकता है। खासकर यदि आप नशीली दवाओं या शराब का सेवन करते हैं। यहां के ट्रेक काफी कठिन हैं और आप एक अपरिचित इलाके में चले जाते हैं। इसलिए, यदि आप फिसल कर गिर गए, तो आपको बचाने वाला कोई नहीं होता है। इसके अलावा, यहां के झरने आदि टूरिस्टों को लुभाते हैं। वे उन्हें देखने पार्वती नदी की ओर जाते हैं, जहां दुर्घटनावश डूबने की घटना होती है।’इससे निपटने के लिए उनका विभाग SADA (विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण) की इंट्री वाली जगहों पर पर्चे बांटकर और सरकारी वाहनों और जगहों पर पर्चे चिपकाना अनिवार्य बनाकर टूरिस्टों को जागरूक कर रहा है। इन पर्चों में चेतावनी दी गई है कि ड्रग्स की तस्करी एक अपराध है और नशे की हालत में काफी गहरी पार्वती नदी के पास जाना खतरनाक हो सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि सभी ट्रैकर्स को ‘हैंड बैंड ट्रैकर्स’ देने की योजना है, ताकि पुलिस उनके ठिकाने का पता लगा सके। उन्होंने कहा कि इसे लगभग अंतिम रूप दे दिया गया है, केवल वित्तीय पहलू पर ध्यान दिया जा रहा है, क्योंकि इसमें भारी लागत शामिल होगी।रेव पार्टियों पर लगाम लगाने के बारे में उन्होंने कहा कि इनमें से कुछ पार्टियों पर छापे मारने के अलावा, हम उन पार्टियों में पहले से ही पुलिस बल तैनात कर रहे हैं, जिनके पास रात 10 बजे तक की अनुमति है, ताकि पुलिस की मौजूदगी सुनिश्चित हो सके।साथ ही उन्होंने बताया कि ज्यादातर स्थानीय लोग और कुछ नेपाली प्रवासी भांग की खेती में शामिल हैं। वैसे ‘नियंत्रित खेती’ को वैध बनाने के बारे में सरकारी स्तर पर बातचीत चल रही है, क्योंकि हैश बनाने के लिए उपयोग किए जाने वाले राल के अलावा पौधों का भी उपयोग किया जाता है। इससे बैग और यहां तक कि जूते भी बनाते हैं, जो स्थानीय लोगों के लिए आजीविका का एक स्रोत है।
ड्रग डिटेक्शन मशीन से मदद
उत्तरी गोवा सनबर्न के लिए मशहूर है, जो वागाटोर समुद्र तट पर हर साल होने वाला तीन दिन का इलेक्ट्रॉनिक म्युजिक और डांस फेस्टिवल है। पिछले साल तक इस फेस्टिवल के दौरान ड्रग्स के अत्यधिक सेवन (ओडी) से लोगों का मरना एक नियमित घटना थी। पिछले साल क्या अलग था? उत्तरी गोवा पुलिस ने पहली बार मौजूद लोगों पर ड्रग्स डिटेक्शन मशीन का प्रयोग किया। उत्तरी गोवा के एसपी (क्राइम) निधिन वाल्सन ने इंडियन मास्टरमाइंड्स से कहा, ‘मुंह से स्वाब लिया जाता है और पांच मिनट के भीतर मशीन पता लगा लेती है कि क्या कोई ड्रग्स लिया गया है या नहीं और वह कैसा है।’समय पर पता लगने के कारण इस बार ओडी से मौत का कोई मामला सामने नहीं आया। हालांकि, अभी शुरुआती आधार पर केवल कुछ मशीनों का उपयोग किया जा रहा है और अधिक मशीनों की खरीद पाइपलाइन में है।
विदेशियों के डिटेंशन सेंटर
एक और सफल पहल विदेशी डिटेंशन सेंटर है, जहां बिना वीजा वाले या खत्म हो चुके वीजा वाले विदेशियों को रखा जाता है और फिर उनके देशों में भेज दिया जाता है। इससे उत्तरी गोवा में विदेशी तस्करों की संख्या में कमी आई है। वाल्सन कहते हैं, ‘विदेशी ड्रग तस्करों की सूची में नाइजीरियाई टॉप पर हैं। वे या तो अकेले या बहुत छोटे ग्रुप में काम करते हैं। वैसे सभी बड़े विदेशी ड्रग माफियाओं को गोवा से जड़ से उखाड़ दिया गया है और देश से बाहर कर दिया गया है।’इसके अलावा, वाल्सन ने बताया कि ड्रग्स का पता लगाने के लिए कूरियर एजेंसियों पर कड़ी नजर रखना, समुद्र तटों की निगरानी के लिए ड्रोन का उपयोग करने वाले विशेष तटीय बल, नारकोटिक्स डिवीजन और अपराध शाखा एक साथ काम करना, अन्य सभी विभागों के साथ तालमेल बनाना, पड़ोसी राज्यों के साथ खुफिया जानकारी साझा करना और नियमित रूप से काम करना शामिल है। स्कूलों और कॉलेजों में जागरूकता शिविरों ने उत्तरी गोवा में ड्रग्स के खिलाफ लड़ाई में योगदान दिया है।
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