PR की नौकरी कितनी कठिन है, दिल्ली पुलिस की PRO सुमन नलवा से जानिए
- Sharad Gupta
- Published on 3 Jul 2023, 11:26 am IST
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हाइलाइट्स
- 1996 बैच की आईपीएस अधिकारी सुमन नलवा दिल्ली पुलिस का वह चेहरा हैं, जो मीडिया के कठिन सवालों का आसानी से जवाब देती हैं
- जनसंपर्क अधिकारी और प्रवक्ता के रूप में उनका रोजाना फर्जी खबरों और प्रचार से पाला पड़ता है
- वह कहती हैं कि उनका काम आसान नहीं है, क्योंकि दिल्ली राजधानी है और देश में कहीं भी जो कुछ भी होता है तो उसकी गूंज यहां भी होती है
आईपीएस अधिकारी सुमन नलवा के नाम से दिल्लीवाले, खासकर पत्रकार जरूर परिचित हैं। वह दिल्ली पुलिस का चेहरा हैं, जो कठिन सवालों को भी आसानी से सुनतीं और जवाब देती हैं। दिल्ली पुलिस की पीआरओ रूप में वह अपने विभाग से संबंधित सवालों का पेशेवर तरीके से जवाब दे रही हैं और बहुत अच्छा काम कर रही हैं।इंडियन मास्टरमाइंड्स के साथ खास बातचीत में सुमन नलवा ने दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता के पद तक की अपनी यात्रा के बारे में बताया। पब्लिक रिलेशंस (जनसंपर्क) में अपने प्रवेश के बारे में खुलकर बात की। यह भी बताया कि आज जब जनता से उनका सीधा सरोकार नहीं है, तब अभी उन्हें क्या करना पसंद है।
एसबी से लेकर पीआर तक
AGMUT कैडर की 1996 बैच की आईपीएस अधिकारी बहुत बाद में पीआर में आईं। दरअसल इसके पीछे दिलचस्प कहानी है। वह चार साल तक डीसीपी के रूप में विशेष शाखा में रहीं, जहां उनका काम खुफिया जानकारी जुटाना था। उन दिनों को याद करते हुई सुमन कहती हैं, ‘वह एक बहुत ही अराजक दौर था, क्योंकि उस समय हमारे यहां बहुत सारे आंदोलन चल रहे थे। हमारी सीमाओं पर किसान बैठे थे, सीएए विरोधी प्रदर्शनकारी थे और कोविड का मामला भी जारी था।’उस दौरान उन्होंने सोशल मीडिया देखना शुरू किया और उससे खुफिया जानकारी लेनी शुरू कर दी। उन्होंने कुछ चिंताजनक रुझान देखे। कुछ अलग तरह की विचारधाराएं, कुछ भारत विरोधी प्रचार किए जा रहे थे। शासन के सभी चेहरों, सबसे पहले वर्दीधारी लोगों को विशेष तरह से निशाना बनाया जा रहा था।इसके बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि कुछ एजेंसियों द्वारा ठोस प्रयास किए जा रहे थे, जिसे मैं देख सकी और इसे अधिकारियों को बताया। मैंने इस प्रचार का मुकाबला करने की आवश्यकता पर जोर देना शुरू कर दिया जो हम पर थोपा जा रहा था। मुझे लगता है कि इसी के परिणामस्वरूप सीनियर अधिकारियों को अहसास हुआ कि मुझे इस विषय में काफी दिलचस्पी है और मुझे एक अतिरिक्त जिम्मेदारी के रूप में सोशल मीडिया संभालने का काम सौंपा गया।’अगले 4-5 महीनों में उन्होंने सोशल मीडिया पर कई अभियान शुरू किए। इसमें न केवल यह दिखाया कि दिल्ली पुलिस क्या कर रही है, बल्कि फर्जी खबरों और प्रचार का आक्रामक तरीके से मुकाबला भी किया, जो काम कर गया। नलवा कहती हैं, ‘उस सफलता के कारण ही मैं दिल्ली पुलिस की अतिरिक्त पीआरओ बन पाई।’
बिल्कुल भी आसान नहीं है काम
हालांकि, एक बार उन्हें अहसास हुआ कि अगर कोई इसे गंभीरता से लेता है तो यह बिल्कुल भी आसान नहीं है। इसमें कोई शक नहीं कि दिल्ली पुलिस एक बड़ा संगठन है, लेकिन यह भारत की राजधानी की पुलिसिंग के बारे में भी है।उन्होंने मौजूदा स्थिति को स्पष्ट करते हुए कहा, ‘देश में कहीं भी जो कुछ भी होता है उसका असर दिल्ली पर पड़ता है। फिर से अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर अलग-अलग राजनीतिक, धार्मिक और वैचारिक खेल चल रहे हैं। और, एक छोटी-सी दुर्घटना से बड़ा बवाल हो सकता है। इसलिए, हमें न केवल उन चीजों को पहचानने में बहुत सक्रिय रहना होगा जो एक बड़ा खतरा बनने वाली हैं, बल्कि इन्हें शुरू में ही रोकना होगा। यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई गलत प्रचार न किया जाए।’
टीम बनाई
मार्च 2022 में दिल्ली पुलिस के पीआरओ के रूप में कार्यभार संभालने के बाद उन्होंने सबसे पहले अपनी मदद के लिए एक टीम का चयन किया। वह बताती हैं कि यह बहुत सीधा और सरल काम नहीं है।टीम की तारीफ करते हुई वह कहती हैं कि पूरी टीम ने अद्भुत काम किया। शुरुआत में हम इस पर पकड़ बनाने के लिए दिन-रात काम कर रहे थे। हर कोई सब कुछ कर रहा था, क्योंकि यह हमारे लिए बहुत नया था। अब यह सुव्यवस्थित हो गया है और हम अधिक सहज हैं, क्योंकि हर कोई अपनी नौकरी और जिम्मेदारियों को जानता है।चुनौतियां हैं, मगर मजा आ रहा है
वह मानती हैं कि यह एक बहुत ही चुनौतीपूर्ण पोस्टिंग है। साथ ही, उन्होंने इसमें आनंद भी भरपूर लिया है। सुमन कहती हैं, ‘मैंने इसका भरपूर आनंद लिया है और अब भी इसका आनंद ले रही हूं। फर्जी खबरों और दुष्प्रचार का मुकाबला करने के अलावा हम बहुत रचनात्मक भी रहे हैं और जागरूकता अभियान चला रहे हैं, जिन्हें पूरे भारत में सराहा जा रहा है। इससे एक बार फिर हमारा मनोबल बढ़ा है।’
जब PR नहीं करती
दिल्ली पुलिस के लिए सोशल मीडिया संभालने और उसके प्रवक्ता होने के अलावा नलवा को पढ़ने का भी काफी शौक है। वह कहती हैं कि व्यक्तिगत रूप से मुझे पढ़ना अच्छा लगता है! मुझे हमेशा अधिक ज्ञान प्राप्त करने और जो पढ़ा है, उसे लागू करने में रुचि रहती है।वह योगाभ्यास करती हैं। आसपास के माहौल को पॉजिटिव और खुशहाल रखना पसंद करती हैं। नलवा कहती हैं कि आज के युग में जब हम इतने संकट में हैं, इतने क्रोध में हैं, इतने गुस्से में हैं, मेरा लक्ष्य है – इससे कैसे उबरा जाए।व्यक्तिगत स्तर पर तनाव को दूर करने के लिए वह सचेत रूप से ध्यान लगाने और समय पर योगाभ्यास करने की कोशिश करती हैं। लेकिन, यह सिर्फ उन्हीं तक सीमित नहीं है। वह कहती हैं, ‘मैं अपने आस-पास के लोगों को क्रोध से दूर रखने, दुख से दूर रहने और उनके दृष्टिकोण में अधिक सकारात्मक होने के लिए प्रभावित करने का प्रयास करती हूं। नौकरी पर अपना सर्वश्रेष्ठ देने के साथ-साथ अपने परिवार को भी अपना सर्वश्रेष्ठ देना मेरा लक्ष्य है।’
ऐसी हैं वह
नलवा के पास इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में डिग्री है और ब्रिटेन के एसेक्स यूनिवर्सिटी से अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून में भी डिग्री है। उन्होंने घरेलू हिंसा और महिलाओं के प्रति क्रूरता पर तीन पुस्तकों का सह-लेखन किया है। इनमें सबसे हालिया किताब, कमरा 103: नानकपुरा थाना है। उनकी किताबें मुख्य रूप से अस्वीकृति और निराशा का सामना करने वाली परित्यक्ता महिलाओं की कहानियों को दर्शाती हैं। उन्हें सराहनीय सेवा के लिए राष्ट्रपति पदक भी मिला है।दिल्ली पुलिस के पीआरओ के रूप में उनकी ताजा पहल, उनके द्वारा होस्ट किया गया एक वीडियो पॉडकास्ट है, जिसका नाम ‘राइज विद खाकी’ है। इसे बहुत सारे व्यूज और सुर्खियां मिल रही हैं। वह इस श्रृंखला के दूसरे भाग में अपने प्रिय प्रोजेक्ट, राइज विद खाकी के बारे में विस्तार से बात करेंगी। तो, दिल्ली पुलिस की पीआरओ सुमन नलवा के बारे में अधिक जानने के लिए पढ़ते रहें इंडियन मास्टरमाइंड्स…
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