छतीसगढ़ पुलिस की पहल, शुरु हुआ आदिवासियों का सालों से बंद साप्ताहिक बाजार
- Ayodhya Prasad Singh
- Published on 28 Dec 2021, 11:03 am IST
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हाइलाइट्स
- अबूझमाड़ के जंगलों में पुलिस की शानदार पहल, नक्सलियों के भय को हराकर शुरू किया साप्ताहिक बाजार
- 5 जिलों के हजारों आदिवासियों को होगा फायदा, पहले 30 किलोमीटर दूर जाना पड़ता था
- नारायणपुर जिले के एसपी गिरिजा शंकर जायसवाल से इंडियन मास्टरमाइण्ड्स ने की बात, विस्तार से जाना बाजार का महत्व
छत्तीसगढ़ के बेहद दुर्गम क्षेत्र अबूझमाड़ में पुलिस ने स्थानीय ग्रामीणों की एक बरसों की मुराद पूरी की है। पुलिस सुरक्षाबलों ने यहां सकारात्मक पहल करते हुए ग्रामीणों के लिए साप्ताहिक बाजार की शुरुआत की है। स्थानीय क्षेत्र में माओवादियों के भय से यह बाजार शुरू नहीं हो पा रहे थे। नारायणपुर जिले में आने वाला अबूझमाड़ नक्सलियों का गढ़ माना जाता रहा है। अबूझमाड़ में ही कडियामेटा एक ऐसा इलाका है, जहां सालों से नक्सलियों के डर से ग्रामीण आदिवासी साप्ताहिक बाजार तक नहीं लगा पा रहे थे। लेकिन अब पुलिस के सहयोग से उनकी एक बड़ी समस्या हल हो गयी है।
बाजार का उद्देश्य स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसरों से जोड़कर नक्सलवाद से मुकाबला करना भी ही। इसके साथ ही अब उन स्थानीय ग्रामीणों को बड़ी राहत मिलेगी, जिन्हें दैनिक जरूरतों का सामान खरीदने के लिए कई किलोमीटर पैदल जाना पड़ता था। कडियामेटा इलाके को 5 जिलों का संगम भी कहा जाता है। यह इलाका छत्तीसगढ़ के दंतेवाडा, बीजापुर, कोण्डागांव, जगदलपुर और नारायणपुर के केन्द्रबिंदु पर मौजूद है। इस बाजार के शुरू होने से 5 जिलों के हजारों आदिवासियों को बड़ा लाभ होगा। वे अपनी वन्य उपज सहित अन्य समान की यहां खरीद और विक्री कर पाएंगे। इंडियन मास्टरमाइण्ड्स ने नारायणपुर जिले के एसपी गिरिजा शंकर जायसवाल से इस संबंध में बात की और विस्तार से इस बाजार का महत्व जाना।
कहां है अबूझमाड़
अबूझमाड़, नाम से ही अर्थ का पता चलता है। अबूझ मतलब जिसको बूझना संभव ना हो और माड़ यानि गहरी घाटियां और पहाड़। यह एक पहाड़ी वन क्षेत्र है, जो लगभग 5000 वर्ग किलोमीटर में फैला है। यह गोंड, मुरिया, अबुज मारिया और हलबास सहित भारत की स्वदेशी जनजातियों का घर है। अबूझमाड़ यह एक अत्यंत दुर्गम इलाका है। लगभग 5000 वर्ग किलोमीटर के इस इलाके में कुछ वक्त पहले तक कोई पक्की सड़क तक नहीं थी। चारों ओर घने जंगल वाले अबूझमाड़ का कुछ हिस्सा महाराष्ट्र और कुछ आंध्रप्रदेश में भी पड़ता है।
बाजार हुआ रौनक
एसपी गिरिजा शंकर जायसवाल के नेतृत्व में पुलिस के जवानों ने कड़ी मेहनत करके बाजार की जगह तैयार की है। कडियामेटा के साप्ताहिक बाजार शुरू करने के लिए सफाई से लेकर सारी तैयारियां खुद पुलिस के जवानों ने ही की है। जिला मुख्यालय से 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ये बाजार, अबुझमाड़ के के घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र में है है। यहां पहले भी ग्रामीणों ने बाजार शुरू करने की कोशिश की थी, लेकिन नक्सलियों ने होने नहीं दिया। इसलिए आदिवासियों को लगभग 30 किलोमीटर दूर तक दैनिक जरूरत की चीजें और अन्य सामान लेने के लिए जाना पड़ता था। लेकिन पिछले साल यहां पुलिस कैम्प खुलने के बाद से ही ग्रामीण आदिवासियों में विश्वास जागा। लेकिन अब पुलिस के सारी तैयारियों के बाद साप्ताहिक बाजार शुरू हो चुका है। प्रत्येक शनिवार को यह बाजार लगेगा।
जिले के एसपी आईपीएस गिरिजा शंकर जायसवाल कहते हैं, “यह काफी दूरस्थ इलाका है। लेकिन 5 जिलों का संगम होने के कारण, बाजार में हजारों लोग आएंगे। उनको खरीददारी के लिए अब एक ही जगह पर सब मिल जाएगा। साथ ही पुलिस सुरक्षा के लिए लिए हर वक्त मौजूद रहेगी। हमारा कैंप बाजार के पास में ही है, हमारे पुलिस के जवान लोगों की सुरक्षा के लिए तैनात रहेंगे। इस बाजार से दर्जनों गांवों के हजारों लोगों को फायदा होगा। इसके साथ ही तमाम ग्रामीण उत्पाद बाजार में बिक्री के लिए आने से रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।”
पुलिस और जनता के बीच बढ़ेगा विश्वास
नारायणपुर एसपी का मानना है कि पुलिस की इस पहल से आम आदिवासी जनता और प्रशासन के बीच विश्वास बढ़ेगा। यह सिर्फ एक बाजार भर नहीं होगा, बल्कि इससे आम लोगों का जीवन सुलभ होगा और लोगों का आपस में कनेक्ट बढ़ेगा। हमारी पुलिस लगातार प्रयास कर रही है कि लोगों के अंदर किसी तरह का भय न रहे और वे व्यापार से लेकर अपने सारे काम बिना किसी दबाव के कर सकें।
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