सीमा पर गांवों का जीवन बदल रही है गुरदासपुर की आबाद पहलकदमी
- Muskan Khandelwal
- Published on 14 Aug 2023, 9:03 pm IST
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हाइलाइट्स
- आईएएस अधिकारी हिमांशु अग्रवाल ने पंजाब के गुरदासपुर में भारत-पाकिस्तान सीमा से लगे क्षेत्रों में विकास के लिए शुरू की है पूर्ण सीमा क्षेत्र विकास (AaBAD) योजना
- अब तक इसके तीन कार्यक्षेत्र हैं: आबाद शिविर, हुनर हाट और संजीवनी कैंप
- अधिकारी ने इस पहल में तीन और बातें जोड़ने की योजना बनाई है- आबाद येलो पेजेज, सुपर 30 और सुपर स्पोर्ट्स
पंजाब का गुरदासपुर देश में समृद्ध इतिहास और सांस्कृतिक विरासत वाला जिला है। लेकिन पाकिस्तान से लगे होने के कारण उसे कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इसलिए वहां के लोगों के जीवन में बदलाव लाने, सुरक्षा और खुशहाली को बढ़ावा देने के लिए चौतरफा विकास वाले कदमों की जरूरत है।इसी को ध्यान में रखते हुए 2014 बैच के आईएएस अधिकारी और गुरदासपुर के डिप्टी कमिश्नर डॉ. हिमांशु अग्रवाल ने आबाद (AaBAD) यानी पूर्ण सीमा क्षेत्र विकास पहल को लेकर सोचा। श्री अग्रवाल पंजाब के एक और सीमाई जिला फिरोजपुर में पले-बढ़े हैं। इतना ही नहीं, इससे पहले वह एक दूसरे सीमाई जिला फाजिल्का में कलेक्टर भी रह चुके हैं, जहां उन्हें पहली बार मिशन एएबीएडी का विचार आया था। इसका मकसद था- सीमाई इलाकों का चौतरफा विकास करना। पिछले साल जब वह गुरदासपुर जिले में तैनात थे, तब उन्होंने इस पहल को दोहराया और बढ़ाया।इस पहल में तीन कार्यक्षेत्र हैं – एएबीएडी सेवा वितरण शिविर यानी सर्विस डिलीवरी कैंप, एएबीएडी संजीवनी कैंप (स्वास्थ्य) और एएबीएडी हुनर हाट यानी कौशल विकास (स्किल डेवलपमेंट)।
आबाद कैंप
एएबीएडी यानी आबाद शिविरों का उद्देश्य सीमावर्ती क्षेत्रों में ग्रामीण स्तर पर सरकारी सेवाएं मुहैया कराना है। ये शिविर लोकल लोगों के बीच सरकारी योजनाओं के बारे में जागरूकता पैदा करने और उन्हें अपनी शिकायतें दर्ज करने के लिए एक मंच देने का काम करते हैं।
सरकारी अधिकारी स्थानीय समुदायों के साथ जुड़ने, कार्यक्रमों और सेवाओं के बारे में जानकारी देने और समस्याओं को हल करने के लिए सीमा पर बसे गांवों का दौरा करते हैं। इन शिविरों में 20 से अधिक विभाग भाग लेते हैं। ये विभाग जाति, पेंशन, स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास, जॉब कार्ड और पानी की सप्लाई और स्वच्छता सेवाओं के सर्टिफिकेट बांटते हैं।
इंडियन मास्टरमाइंड्स के साथ बातचीत में श्री अग्रवाल ने कहा, ”मैं खुद इन शिविरों का दौरा करता हूं। पुलिस जवान युवाओं को पुलिस में भर्ती के लिए जागरूक करते हैं। बीएसएफ अधिकारी सीमावर्ती गांवों के युवाओं को उनकी शिक्षा के बाद सशस्त्र बलों में शामिल होने के लिए प्रेरित करते हैं। साथ ही लोगों को ड्रोन और नशीली दवाओं की गतिविधियों पर रिपोर्ट करने के बारे में जागरूक करते हैं।”
इस तरह ग्रामीणों को जिला मुख्यालय गए बगैर और सरकारी ऑफिसों में अपनी बारी का इंतजार किए बिना अपनी शिकायतों को ऊपर तक पहुंचाने का मौका मिल जाता है। उन्होंने कहा, “यही इन शिविरों का असल उद्देश्य है। पहले तो वे अपने दरवाजे पर इतनी बड़ी प्रशासनिक मशीनरी देखकर चौंक गए। फिर सोचा कि यह कोई मेला या वीआईपी समारोह है, लेकिन बाद में उन्हें एहसास हुआ कि यह शिविर केवल उनके लिए है। तब जाकर बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लेना शुरू किया।”
उपलब्धि
इन शिविरों से हासिल खास उपलब्धियों पर श्री अग्रवाल, जो एमबीबीएस डॉक्टर हैं, ने कहा- “गुरदासपुर के एक गांव और फाजिल्का के एक गांव के लोगों ने अपने क्षेत्रों में बहुत कम, बल्कि ना के बराबर मोबाइल नेटवर्क रेंज की शिकायत की। जब हमारे सामने यह मुद्दा आया, तो हमने मोबाइल नेटवर्क कंपनियों से अनुरोध किया। कुछ लिखा-पढ़ी के बाद उनकी रेंज की काफी सुधार हो गया। लोग बहुत खुश थे, क्योंकि वे अब आसानी से इंटरनेट का उपयोग कर सकते थे। इसने इस तथ्य से हमारी आंखें खोलीं कि आज लोग मोबाइल और इंटरनेट को अपना बुनियादी अधिकार और सुविधा मानते हैं।”
गुरदासपुर में शिविर दिसंबर 2022 में शुरू हुए और अब तक 50 से अधिक गांवों को डीसी ने खुद निजी तौर पर कवर किया है। जबकि 200 से अधिक गांवों को उनकी टीम द्वारा कवर किया गया है। इन शिविरों से 25,000 से अधिक लोगों को लाभ हुआ है।
प्रशासन ने परियोजनाओं की फंडिंग के लिए विभिन्न सरकारी योजनाओं जैसे एमजीएनआरईजीएस, 15वें वित्त आयोग, स्वच्छ भारत मिशन, स्थानीय पंचायत निधि आदि का गठजोड़ किया है।
आबाद हुनर हट
यह विचार आबाद यानी एएबीएडी शिविरों में से एक से निकला, जब गांव की कुछ महिलाओं ने नौकरियों के लिए डीसी से संपर्क किया। वह कहते हैं, “उन्होंने हमें बताया कि वे कुछ नौकरी करना चाहती हैं और पैसा कमाना चाहती हैं। उन्होंने बताया कि वे अपने खाली समय में अचार बनाती हैं और गांव में ही बेचती हैं। हमने उन्हें एसएचजी यानी स्वयं सहायता समूह बनाने के लिए प्रोत्साहित किया। फिर एनआरएलएम योजना के तहत उन्हें फंड दिलाया। हमारे पीएसडीएम (पंजाब कौशल विकास मिशन) कर्मचारियों की मदद से कौशल प्रशिक्षण दिया गया। उत्पादों की पैकेजिंग और ब्रांडिंग में सहायता की गई, जिससे एएबीएडी हुनर हट का निर्माण हुआ।”
हुनर हट के पास इस समय 78 से अधिक एसकेयू के साथ जिले के विभिन्न ब्लॉकों के 32 एसएचजी के उत्पाद हैं। यह दुकान 1 फरवरी, 2023 से चालू है। एसएचजी के तैयार किए सामानों की बिक्री के 1,88,320 रुपये की बिक्री हो चुकी है। ये सारी कमाई इन समूहों की महिला सदस्यों के पास ही गई।एसएचजी के एक सदस्य सुखविंदर कौर हैं। वह जूट बैग, किनारी या झालर और फुलकारी जैसे प्रोडक्ट तैयार करती हैं। वह कहती हैं, “हम अपने प्रोडक्ट को बेचने वाले प्लेटफार्म दिलाने के लिए जिला प्रशासन के आभारी हैं। हम हमारे सामान गांव में ही बिक पाते थे। अब इसे एएबीएडी के रूप में नए सिरे से ब्रांडिंग के बाद ना केवल सामान बेहतर दिखता है, बल्कि हम इसे महंगे में भी बेच रही हैं। ”
श्री अग्रवाल ने एसएचजी के काम का समर्थन करने के लिए डीसी कॉम्प्लेक्स में उपयोग किए जाने वाले उत्पादों की खरीद का आदेश दिया है। अधिकारियों को हुनर हट से खरीदारी के लिए कहा जाता है। हुनर हट की पेशकशों को बढ़ावा देने के लिए एक प्रोडक्ट लिस्ट और सोशल मीडिया हैंडल भी बनाए गए हैं। इसके अलावा, केंद्रीय जेल की महिला कैदियों को घरेलू सामान बनाने और दुकान पर देने के लिए प्रेरित और ट्रेंड किया गया है।
ईएसएआरएएस प्रोजेक्ट के साथ सहयोग
जिला प्रशासन ने एसएचजी को ई-कॉमर्स विक्रेता बनने में सहायता करने के लिए फाउंडेशन फॉर डेवलपमेंट रूरल वैल्यू चेन्स (एफडीआरवीसी) के ईएसएआरएएस प्रोजेक्ट के साथ भी जोड़ दिया। SARAS की टीम ने हुनर हट का दौरा किया और लगभग 100 प्रोडक्ट का ऑर्डर दिया। इससे गुरदासपुर जिले के एसएचजी को देशभर में पहचान मिली।
आबाद संजीवनी शिविर
आबाद यानी एएबीएडी संजीवनी शिविर शुरुआती दौर में बीमारियों की पहचान करने और उनका इलाज करने में मदद करते हैं। इससे जटिलताओं और अस्पताल में भर्ती होने का जोखिम कम हो जाता है। ऐसे शिविर स्वास्थ्य विभाग और रेड क्रॉस सोसाइटी की ओर से जिले के सीमावर्ती गांवों में लोगों को हेल्थ सुविधाएं मुहैया कराने के लिए लगाए जाते हैं। इन शिविरों में दी जाने वाली सेवाओं में मेडिकल संबंधी सलाह, सामान्य बीमारियों का इलाज, जरूरी दवाएं और अधिक गंभीर मामलों के लिए रेफरल सर्विस शामिल हैं।
सेवाओं में मेडिकल चेक-अप, कोविड-19 वैक्सीनेशन, यूडीआईडी सर्टिफिकेट के बारे में जागरूकता, हेल्थ और वेलफेयर सेंटर, आम आदमी क्लिनिक, राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम कार्यक्रम के लाभ, सरकारी स्कूल के बच्चों के लिए मुफ्त चेक-अप, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना और स्वास्थ्य विभाग द्वारा एनसीडी कार्यक्रम शामिल हैं।इतना ही नहीं, अंतरराष्ट्रीय सीमा पर अलग-अलग जगहों पर दो एंबुलेंस तैनात रहती हैं।
सीमावर्ती गांवों में स्वास्थ्य सेवाओं के लिए डॉक्टरों, फार्मासिस्टों, आशा और आंगनवाड़ी वर्कर की टीम गांवों का दौरा करती है। अधिकारी ने कहा, “अब तक आबाद यानी एएबीएडी संजीवनी शिविरों से कुल 37,950 लोगों को लाफ हुआ है।”
आगे की योजनाएं
प्रशासन आगे तीन और वर्टिकल- एएबीएडी येलो पेज, सुपर 30 और सुपर स्पोर्ट्स जोड़ने की योजना बना रहा है। इन सभी का उद्देश्य गुरदासपुर के सीमावर्ती गांवों का खुशहाली के साथ चौतरफा विकास करना है। अब तक लागू की गई पहलों ने विकास को बढ़ावा देने, सरकारी सेवाएं, स्वास्थ्य देखभाल के अलावा महिलाओं और वंचित समुदायों को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
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