‘आजचा दिवस माझा’: गंजम जिले के डीएम की कहानी, जिनके संघर्षों को मुख्यमंत्री ने भी सराहा!
- Ayodhya Prasad Singh
- Published on 27 Oct 2021, 9:58 am IST
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हाइलाइट्स
- ओडिशा के गंजम जिले के डीएम और 2013 बैच के आईएएस अधिकारी विजय अमृता कुलांगे संघर्षों की भट्टी से तप कर निकले है।
- विजय ने अपने जीवन पर एक किताब भी लिखी है, उनके द्वारा उठाए गए कदमों से जिले में आए हैं कई बड़े बदलाव।
- उनकी पूरी कहानी हम आपको दो हिस्सों में पेश करेंगे, पहले हिस्से में उनकी सिविल सेवा यात्रा और युवाओं के लिए संदेश है। जबकि दूसरे हिस्से में उनकी पहलों से जिले में आए बदलाव और जीवन के प्रति उनका नजरिया है...!
- प्रेरणादायक व्यक्तित्व: 2013 बैच के आईएएस अधिकारी विजय अमृता कुलांगे
सफलता की कहानियां कई तरह की होती हैं। कुछ बहुत ही अद्वितीय, बहुत ही बेजोड़ जिनके जैसी शायद दूसरी न मिलें। और कुछ ऐसी भी होती हैं जो सुनने या पढ़ने में बहुत ही साधारण सी लगती हैं, लेकिन उनका असर बहुत बड़ा होता है। ये कहानियां हर एक आम इंसान को सफलता की राह दिखाती हैं, उसे जिंदगी के असल मायने समझाती हैं।
ओडिशा के गंजम जिले के डीएम और 2013 बैच के आईएएस अधिकारी विजय अमृता कुलांगे की भी कहानी कुछ ऐसी ही है, जहां हर दिन कोई न कोई चुनौती है, निराशा के बादल हैं, रुकावटें हैं, अपनी नौकरी बचाने के लिए जूझना है और साथ में परिवार के साथ भी सामंजस्य बनाए रखना है। लेकिन इन सब चुनौतियों से विजय ने जिस तरह से लड़ा और जो मुकाम हासिल किया, उसी वजह से उनकी कहानी साधारण होते हुए भी बहुत खास है।
उन्होंने 5 बार लगातार ‘महाराष्ट्र लोक सेवा आयोग’ की परीक्षा दी और 3 बार पास भी किया। उसके बाद देश की सबसे कठिन मानी जाने वाली यूपीएससी परीक्षा दी और पूरे देश में 176 वीं रैंक हासिल करते हुए आईएएस बने। उनका अभी तक का पूरा जीवन हर रोज खुद को बेहतर बनाने की एक संभावना जैसा है।
अपने इन संघर्षों को आईएएस विजय ने खुद ही शब्दों में पिरोया और मराठी भाषा में एक किताब लिखी। ‘आजचा दिवस माझा’ (‘Aajcha Diwas Maza’ – Today is mine) नाम की किताब अपने जीवन में संघर्ष-पथ पर चलने वाले हर एक छात्र को पढ़नी चाहिए। हाल ही में इस किताब के उड़िया संस्करण ‘अजीरा दिनती मोरा’ (Ajira Dinati Mora) का ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने विमोचन किया था। मुख्यमंत्री ने भी इसे युवाओं के लिए बेहद प्रेरणादायक पुस्तक कहा है।
शुरुआत
विजय महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के रहने वाले वाले हैं। उनके पिता गांव में दर्जी थे और सिर्फ 200 रुपए रोजाना उनकी आमदनी थी। परिवार की आर्थिक स्थिति को कुछ सहारा मिल सके, इसलिए उनकी मां भी दिहाड़ी पर खेतों में मजदूरी किया करती थीं।
इंडियन मास्टरमाइण्ड्स से एक खास बातचीत में गंजम जिले के डीएम विजय कहते हैं, “दूसरों की तरह मैंने शुरुआत से ही कभी भी सिविल सेवा के ख्वाब नहीं देखे। मेरा सपना डॉक्टर बनने का था, लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि मैं मेडिकल की पढ़ाई कर सकूं। मेरे माता-पिता कहते थे कि कोई नौकरी कर लो, जिससे हम सबको सहारा मिल जाये। उसके बाद जो चाहते हो वो कर लेना।”
विजय ने फिर इंटरमीडियट के बाद डिप्लोमा इन एडुकेशन (डी.एड.) किया और प्राइमरी स्कूल में शिक्षक की नौकरी करने लगे। परिवार की भी आर्थिक स्थिति कुछ बेहतर हुई और इस बीच साल 2002 में अपने कैरियर के शुरुआती दिनों में ही उनकी शादी हो गई। लेकिन जैसा कि विजय बताते हैं कि शिक्षक की नौकरी करते हुए उन्हें इस बात का एहसास हुआ कि वो इससे बेहतर कर सकते हैं। इस नौकरी तक ही रुक जाना शायद खुद के साथ न्याय नहीं होगा। इसके बाद उन्होंने राज्य लोक सेवा आयोग की परीक्षा के लिए तैयारी शुरू की। एक तरफ परिवार और नौकरी पर भी ध्यान देना है, तो दूसरी तरफ अपनी तैयारी भी करनी है। विजय के लिए मुश्किल था, लेकिन नामुमकिन नहीं।
अधिकारी बनना
विजय ने बिना किसी कोचिंग के खुद से तैयारी की। विजय कहते हैं, “मैं महाराष्ट्र लोक सेवा आयोग के अपने पहले 2 प्रयासों में फेल हो गया। लिखित परीक्षा पास कर इंटरव्यू तक तो पहुंचा, पर वहां कुछ नंबर से ही रह गया। लेकिन अपने तीसरे प्रयास में मैंने परीक्षा पास कर ली और मुझे सेल टैक्स इंस्पेक्टर का पद मिल गया। अपने चौथे प्रयास में मुझे तहसीलदार का पद मिला। और लगातार अपने पांचवे प्रयास में पूरे महाराष्ट्र में मेरी दूसरी रैंक आई।”
अपने पांचवे प्रयास के वक्त विजय अहमदनगर में ही तहसीलदार के पद पर थे। राज्य लोक सेवा आयोग की परीक्षा में उनकी शानदार कामयाबी देख उस वक्त वहां के कलेक्टर ने विजय की हौसला अफजाई की और उनसे यूपीएससी परीक्षा में बैठने के लिए कहा। साथ ही उन्हें ये भी बताया कि दोनों परीक्षाओं का सिलेबस भी बहुत मिलता-जुलता है, दोनों में 2 वैकल्पिक विषय लेने होते हैं, इसलिए उन्हें आसानी होगी। अपने सीनियर से मिले प्रोत्साहन के बाद विजय ने भी यूपीएससी का मन बना लिया और खुद से ही तैयारियों में जुट गए। साल 2012 में प्री परीक्षा से पहले विजय ने 1 महीने की छुट्टी ली, फिर मेंस परीक्षा से पहले 4 महीने की छुट्टी ली और परीक्षा पास करते हुए इंटरव्यू तक पहुंच गए। और आखिरकार विजय अपने पहले ही प्रयास में 176 वीं रैंक के साथ यूपीएससी परीक्षा में सफलता हासिल करते हुए आईएएस बने।
तैयारी
विजय ने अपनी तैयारी बिना किसी कोचिंग के बहुत ही स्मार्ट तरीके से की। उनके ऑप्शनल विषय इतिहास और भूगोल थे। खास बात ये है कि विजय ने परीक्षा अपनी मातृभाषा मराठी में दी।
विजय कहते हैं, “तैयारी का सबसे बेहतर सलीका ये है कि सिलेबस क्या है, ये जान लीजिये और उस पर पूरा फोकस करिए। सिलेबस के हिसाब से ही पढ़िए, न की बस पढ़ते जाइए। पिछले सालों के सभी पेपर कई बार हल करिए। साथ ही खुद के छोटे-छोटे नोट्स भी जरूर बनाइये। इस सबसे बढ़कर संक्षिप्त में बात को कैसे समझें और सामने वाले को समझाएं, इस पर भी फोकस करिए। अपनी एक अलग सोच जरूर विकसित करिए। थोड़ा सा ऐनलिटिकल (विश्लेषणात्मक) बनिए।”
विजय का साफ तौर पर मानना है कि यूपीएससी परीक्षा सिर्फ किताबी ज्ञान तक सीमित नहीं है, यहां आपके पूरे व्यक्तित्व और सोच की भी परीक्षा होती है। इसलिए खुद को बेहतर बनाते जाएं और अपनी एक अलग सोच विकसित करें।
संदेश
यूपीएससी के छात्रों के लिए विजय का संदेश है कि दो प्लान रखिए। विजय कहते हैं, “अगर आपका प्लान ए सफल नहीं हुआ, तो प्लान बी पे जाइए। जीवन में व्यावहारिक रहना बहुत जरूरी है, इसमें कहीं से कुछ भी गलत नहीं है। कैरियर के बहुत से ऑप्शन आपके सामने रहते हैं, कोई भी चुन लीजिए और अपना बेस्ट दीजिए। सफल होने का बस एक ही मंत्र है कि जो भी करिए उसमें अपना एवरेस्ट यानी सर्वोच्च पाने की कोशिश करिए। जीवन में उत्कृष्टता बहुत खूबसूरत चीज है, उसे पाने की आदत बना लीजिए।”
विजय की एक और खास बात है कि वो एक बहुत ही अच्छे फॉटोग्राफर हैं। हालांकि, वो खुद को एक शौकिया फॉटोग्राफर ही बताते हैं, लेकिन अगर आप उनकी फोटोग्राफी देखेंगे तो जान पाएंगे कि उनकी खींची फोटोज कितनी लाजवाब होती हैं।
विजय के लिए उनकी किताब का शीर्षक ही उनके जीवन का मोटो या यूं कहें कि जीवन जीने का सलीका है। ‘आजचा दिवस माझा’ मतलब ‘आज मेरा है’, विजय इस सिद्धान्त पर चलते हैं। उनका कहना है कि कल बीत चुका है और आने वाले कल के बारे में हम कुछ नहीं जानते। इसलिए सिर्फ आज हमारा है और उसी को भरपूर जी लीजिए। आईएएस विजय की कहानी सच में बहुत प्रेरणादायक है, यूपीएससी पास करने के बाद की उनकी यात्रा तो और भी रोचक है, लेकिन वो दास्तां हम जल्द ही दूसरे हिस्से में पेश करेंगे….!
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