आदिवासी ग्रामीणों ने यूपीएससी सीएसई-2017 के टॉपर आईएएस अधिकारी का किया सम्मान, गांव का नाम बदलकर उनके नाम पर कर दिया
- Ayodhya Prasad Singh
- Published on 13 Aug 2023, 8:38 am IST
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हाइलाइट्स
- अनुदीप दुरीशेट्टी तेलंगाना कैडर के 2018 बैच के आईएएस अधिकारी हैं
- हाल ही में वह हैदराबाद जिले के सबसे कम उम्र के कलेक्टर और जिला मजिस्ट्रेट बने
- उन्होंने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा-2017 में देशभर में पहला स्थान हासिल किया था
पुरानी कहावत है कि ‘यदि आप दूसरों के साथ अच्छा करते हैं, तो वह अप्रत्याशित तरीके से आपके पास वापस आएगा।’ यह कहावत 2018-बैच के आईएएस अधिकारी और हैदराबाद के सबसे कम उम्र के कलेक्टर अनुदीप दुरीशेट्टी के मामले में सच साबित हुई। उन्होंने इतनी कम उम्र में जनता से इतना सम्मान और अनमोल पुरस्कार पा लिए हैं, जितना कई नौकरशाह अपने पूरे जीवन में नहीं कमा सके। भद्राद्री कोठागुडेम जिले के एक आदिवासी गांव के लोगों ने अपने गांव का नाम ही अनुदीप दुरीशेट्टी पर रख दिया है।
श्री दुरीशेट्टी को इस वर्ष जुलाई में भद्राद्री कोठागुडेम जिले में एडिशनल कलेक्टर (लोकल बॉडीज) के रूप में तैनात किया गया था। यहां उन्होंने एक आदिवासी गांव की लगभग 50 वर्षों से चली आ रही समस्या को हल कर दिया। उन्होंने न केवल समस्या का समाधान किया, बल्कि इसे अद्भुत तरीके से किया। सुब्बारावपेट ग्राम पंचायत में मध्य गुंपू नामक एक आदिवासी बस्ती में ऐसी सड़क नहीं थी, जो उन्हें ब्लॉक या मंडल की ओर मुख्य सड़क से जोड़ती। श्री दुरीशेट्टी ने फरवरी में इसके लिए पहल की। जमीन का अधिग्रहण किया और कुछ महीनों के भीतर सड़क बनवा दी। उनके नेक व्यवहार से प्रभावित होकर ग्रामीणों ने भी उनका एहसान सम्मान के साथ लौटा दिया। दरअसल आदिवासियों उनके नाम पर अपने गांव का ही नाम बदल दिया, जिसे अब अनुदीप गुंपू के नाम से जाना जाता है।
रास्ता
पिछले पांच दशकों में मध्य गुंपू के ग्रामीणों को मुख्य सड़क तक पहुंचने के लिए बहुत परेशानी उठानी पड़ती थी। खासकर किसी इमरजेंसी में। जिला मुख्यालय से इस गांव की दूरी महज 53 किलोमीटर है, फिर भी इनकी समस्या दशकों से बनी हुई थी। लेकिन श्री दुरीशेट्टी की पहल के बाद उनकी समस्या का समाधान हो गया। इस साल फरवरी में एक सड़क की नींव रखी गई थी। अब वहां बजरी वाली सड़क बनकर तैयार हो गई है।
इंडियन मास्टरमाइंड्स से बात करते हुए श्री दुरीशेट्टी ने कहा, “मैंने सड़क की इस समस्या को हल करने के लिए एक कदम उठाया। जमीन अधिग्रहण को लेकर दिक्कत थी। दरअसल कुछ किसान सड़क के लिए अपनी जमीन नहीं देना चाहते थे। उनके इनकार से मामला खिंच गया। इसलिए, मैंने किसानों से बात की। सभी जरूरी चीजें कीं और आखिरकार भूमि अधिग्रहण पूरा किया।”
श्री दुरीशेट्टी के लगातार प्रयासों से मंडल मुख्यालय तक कनेक्टिविटी की खातिर टोले से मुख्य सड़क तक सीसी रोड बिछाने के लिए आवश्यक 9.80 लाख रुपये मंजूर हो गए। जिला कलेक्टर से लेकर स्थानीय एमपीडीओ और पंचायत राज इंजीनियरिंग अधिकारियों तक, सभी ने सड़क को जल्द से जल्द पूरा करने के लिए गंभीरता से काम किया।
गांव के सरपंच वी चिन्ना राव ने कहा कि पहले ग्रामीणों को खेतों के बीच से गुजरने वाली मिट्टी की सड़क से जाना पड़ता था। वहीं बरसात के दिनों में तो स्थिति और भी खराब हो जाती थी।
उन्होंने आगे कहा, “इसीलिए हमने उनके नाम पर गांव का नाम बदलने का फैसला किया। सड़क बनने के बाद ग्राम पंचायत और गांव के निवासियों ने धन्यवाद के तौर पर इसका नाम बदलकर अनुदीप गुंपू खने का प्रस्ताव पास किया।”
ऐसे और कदम
नौकरशाहों के नाम पर गांवों या सड़कों का नाम बदलना वास्तव में लोगों के कल्याण के लिए उनके समर्पित और ईमानदार काम के प्रति प्यार और सम्मान दिखाने का बड़ा संकेत है। श्री दुरीशेट्टी से पहले कुछ और नौकरशाह रहे हैं, जिनके काम को आम लोग इस तरह से पहचानते थे।
2006 में तत्कालीन अविभाजित आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. वाईएस राजशेखर रेड्डी के चुनाव क्षेत्र में 1991 बैच के आईएएस अधिकारी जी अशोक कुमार ऐसे ही अधिकारी थी। उनके नाम पर कडप्पा जिले में एक गांव का नाम अशोक नगर रखा गया था। सीएम ने खुद गांव का नाम तत्कालीन कलेक्टर के नाम पर रखा था। जी अशोक कुमार ने कडप्पा जिले के जल्द विकास में बहुत मदद की थी।
इसी तरह तेलंगाना में आदिलाबाद जिले के एक गांव का नाम 2010 बैच की आईएएस अधिकारी दिव्या देवराजन के नाम पर ‘दिव्यगुडा’ रखा गया। उन्होंने जिला कलेक्टर के रूप में जिले में सदियों पुराने आदिवासी संघर्षों को हल किया था।
2012 बैच के आईएएस अधिकारी वी विष्णु का भी ऐसा ही नाम है।
उनके नाम पर तमिलनाडु के वकाइकुलम नाम के एक गांव का नाम बदलकर विष्णु नगर कर दिया गया। उन्होंने डिप्टी कलेक्टर के रूप में काम करते हुए इस पिछड़े गांव में बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधाएं पहुंचा दी थीं।
ऐसे हैं अनुदीप दुरीशेट्टी
अनुदीप दुरीशेट्टी तेलंगाना में जगत्याल के मेटपल्ली शहर के रहने वाले हैं। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा अपने गृह जिले के श्री सूर्योदय हाई स्कूल और श्री चैतन्य जूनियर कॉलेज से की। इसके बाद उन्होंने प्रतिष्ठित बिट्स पिलानी से इलेक्ट्रॉनिक्स और इंस्ट्रूमेंटेशन में इंजीनियरिंग (बी.टेक) पूरी की।
उन्होंने सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित कंपनियों में से एक Google के साथ भी काम किया है। इस दौरान वह यूपीएससी की तैयारी भी कर रहे थे। यूपीएससी सीएसई-2013 में उन्होंने पहली बार सिविल सेवा परीक्षा पास की और उन्हें भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) मिली। लेकिन वह 2014 और 2015 में सीएसई क्रैक नहीं कर सके। सीएसई-2017 में उन्होंने न केवल परीक्षा क्रैक की, बल्कि रैंक 1 भी हासिल की। परीक्षा के लिए एंथ्रोपोलॉजी उनका ऑप्शनल सब्जेक्ट था। वह उस समय हैदराबाद में कस्टम एंड इनडायरेक्ट टैक्सेस में असिस्टेंट कमिश्नर के रूप में कार्यरत थे।
हाल ही में जब उन्हें हैदराबाद के कलेक्टर के रूप में नियुक्त किया गया, तो शायद यह पहली बार था कि केवल पांच साल की सेवा वाले एक आईएएस अधिकारी को तेलंगाना की राजधानी का कलेक्टर बनाया गया।
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