आईपीएस अधिकारी कुछ हट के: बंदूकें, कैमरा और फोटोग्राफी
- Ajay
- Published on 7 Oct 2021, 1:59 pm IST
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हाइलाइट्स
- डाइरेक्टर जनरल (महानिदेशक) रैंक के एक सेवारत आईपीएस अधिकारी सोमेश गोयल एक बेहतरीन फोटोग्राफर और वन्यजीव प्रेमी व शानदार लेखक भी हैं।
- पूरे देश में उनकी कई फोटो-प्रदर्शनी आयोजित की जा चुकी हैं और उन्होंने कई किताबें लिखी हैं।
- फोटो क्रेडिट- सोमेश गोयल
मैं पहली बार सोमेश गोयल से कुछ साल पहले मिला था, जब उन्होंने नई दिल्ली की एक प्रतिष्ठित गैलरी में अपनी लुभावनी तस्वीरों की ‘प्रकृति और वन्यजीव फोटो-प्रदर्शनी’ का आयोजन किया था। वर्तमान में, वह हिमाचल प्रदेश में महानिदेशक (जेल) हैं।
एक मुकम्मल फोटोग्राफर, शानदार लेखक और एक प्रभावी प्रशासक सोमेश गोयल युवा सिविल सेवकों के लिए एक बड़ी प्रेरणा हैं। ‘मल्टी-टास्किंग’ फ्रेज के कॉरपोरेट शब्दकोश में आने से बहुत पहले ही गोयल इसके पर्यायवाची बन चुके थे।
तो चलिये सीधे सोमेश गोयल से ही बात करते हैं कि वो उन चीजों के बारे में क्या और कैसे सोचते हैं जो उन्हें सबसे ज्यादा पसंद हैं-
सवाल: आमतौर पर लोग एक आईपीएस अधिकारी को एक प्रकृति और वन्यजीव प्रेमी/फोटोग्राफर/लेखक के साथ नहीं जोड़ते हैं, लेकिन आप ये तीनों हैं। इसके बारे में कुछ बताइए?
गोयल: मुझे इसमें कोई द्वंद नहीं दिखता। एक सख्त पुलिस अधिकारी का भी कोमल और संवेदनशील पक्ष हो सकता है। एक पुलिस अधिकारी के रूप में, आपको नकारात्मकता, अपराध, हिंसा, आतंकवाद आदि से निपटना होता है। नौकरी के तनाव से मुक्त होने के लिए आपको एक शौक का पीछा करने की जरूरत होती है। मेरा निर्वाण प्रकृति में है। मैं अक्सर किसी वन्यजीव अभयारण्य या प्रकृति की गोद में चला जाता हूं। भारत कई संस्कृतियों और साझा विरासत वाला एक सुंदर देश है। मुझे महसूस होता है कि भारत को देखने को लिए मुझे 20 साल और चाहिए।
मैं साहित्य और पत्रकारिता का छात्र रहा हूं। लेखन मेरे स्वभाव में है। मेरे कैडर हिमाचल प्रदेश ने मुझे देश की कुछ सबसे आकर्षक जगहों जैसे-लाहौल और स्पीति, किन्नौर, पांगी आदि की यात्रा करने का एक शानदार अवसर प्रदान किया है। मैंने इन इलाकों पर भी किताबें लिखी हैं। साथ ही वन्यजीवों और शिमला के पक्षियों पर किताबों के साथ, बीएसएफ और एसएसबी पर कॉफी टेबल बुक्स भी लिखी है।
सवाल: वन्यजीव/फोटोग्राफी करने की शुरुआत कैसे हुई?
गोयल: अपने स्कूल के दिनों से ही मैं फोटोग्राफी करता आ रहा हूं। हम स्कूल ट्रिप पर जाते थे और कैमरा मेरा सबसे अच्छा साथी होता था। सौभाग्य से हमारे स्कूल और कॉलेज में एक फोटो प्रोसेसिंग प्रयोगशाला थी। मैंने अपनी चार दशकों से अधिक फोटोग्राफी में Agfa Isoly II कैमरे के साथ फोटोग्राफी की शुरुआत की और आधुनिक डिजिटल उपकरणों में स्नातक किया है।
कॉर्बेट नेशनल पार्क की यात्रा ने मुझे वन्यजीव प्रेमी में बदल दिया। कॉर्बेट देश के सबसे दर्शनीय और समृद्ध पार्कों और बाघ संरक्षित क्षेत्रों में से एक है। यह पहली नजर का प्यार था और यह प्रेम संबंध 30 सालों से अधिक समय से भी जारी है। वन्यजीव अभयारण्य हर बार इतना कुछ नया पेश करते रहते हैं कि वहां जाने की प्रेरणा बरकरार रहती है और आप अगली बार जाने के लिए उत्सुक रहते हैं।
मेरे पक्षी-प्रेमी सफर की शुरुआत देर से हुई। दिल्ली में एक पोस्टिंग के दौरान ‘ओखला बर्ड सैंक्चुअरी’ में बर्ड वॉचर्स के समूह में शामिल होने के लिए एक मित्र की ओर से आए एक आमंत्रण ने एविफौना (पक्षियों की प्रजातियां) की समझ में दिलचस्पी पैदा की। मैंने शिमला में हिमाचल बर्ड्स की स्थापना की है और हमें 2012 में आजादी के बाद पहली बार शिमला की एविफौना विविधता का एक सर्वेक्षण करने पर गर्व है। यह एक रोचक संयोग है कि इस तरह का आखिरी सर्वेक्षण भी एक पुलिस अधिकारी और पक्षी विज्ञानी ह्यूग व्हिसलर द्वारा ही किया गया था, जो ब्रिटिश भारत में कांगड़ा जिले के पुलिस अधीक्षक थे।
ए. ई. जोन्स एक प्रख्यात पक्षी विज्ञानी थे जिनका शिमला में बेहद सफल कपड़े का व्यवसाय था। उन्होंने अंग्रेजों के चले जाने के बाद भी भारत में ही रहना चुना। उन्होंने शिमला के आम पक्षियों पर एक किताब लिखी थी जिसमें अब सुधार की जरूरत थी। मुझे खुशी है कि मैंने इसमें कुछ और जरूरी जानकारी जोड़ी और इसका रंगीन चित्रण कर इसे संशोधित किया।
कैलाश मानसरोवर यात्रा और काजीरंगा में एक हाथी प्रभारी
सवाल: हमारे पाठकों के लिए अपने कुछ उन दिलचस्प किस्से-कहानियों को साझा करिए जो आपके जुनून से जुड़ी हुई हैं और जिनको आप दशकों से बहुत रुचि के साथ कर रहे हैं?
गोयल: सबसे पहले, वन्य जीवन और फोटोग्राफी के लिए मेरा जुनून मुझे देश और विदेश में सबसे रोचक और प्राचीन स्थानों पर ले गया। हर एक यात्रा स्वयं को खोजने वाली यात्रा रही। 1996 में मैंने कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए 35 विविध तीर्थयात्रियों के एक समूह का नेतृत्व किया। हमारे अमले में शामिल तीर्थयात्रियों, कुलियों, टट्टुओं और घोड़ों की कतार लगभग एक किलोमीटर लंबी हुआ करती थी, इसका खयाल रखना एक चुनौती थी। फिर घोड़े और टट्टूओं के रंग या शयनकक्ष में बिस्तर को लेकर आपस में लड़ने वाले लोगों के मानवीय स्वभाव के साथ डील करना, बहुत कुछ सीखने वाला अनुभव था। इस तीर्थयात्रा पर मुझे उस अप्रत्यक्ष शक्ति का एहसास हुआ, जिसे हम भगवान कहते हैं।
वारिया नाम के गुजरात के एक स्कूल शिक्षक ने इस यात्रा पर जाने के लिए पैसे उधार लिए थे। वह गठिया (गाउट) से पीड़ित थे और यात्रा के लिए अयोग्य ठहराए जाने के डर से उन्होंने चिकित्सा अधिकारियों से यह छिपा लिया था। वह एक टट्टू भी किराए पर नहीं ले सकते थे, क्योंकि उनके पास पैसे का अभाव था। पहले कुछ दिनों की ट्रेकिंग से ही उनका गठिया बढ़ गया और वो बहुत दर्द में थे। अधिकांश तीर्थयात्री चाहते थे कि मैं उन्हें पीछे छोड़ दूं, लेकिन मैंने ऐसा करने से मना कर दिया। मैंने वारिया को घुटनों के ऊपर गर्म खारा पानी लगाकर, इसे भगवान शिव पर छोड़ने की सलाह दी। अपने कमरे में, मैंने वारिया की यात्रा के लिए प्रभु से प्रार्थना की। प्रातः काल लगभग 5 बजे वारिया मेरे कमरे में बड़े उत्साह के साथ आए, क्योंकि भगवान शिव की कृपा से उनके घुटनों की पूरी सूजन चली गयी थी और वह इस कठिन तीर्थयात्रा को सफलतापूर्वक पूरा करने में सक्षम हो चुके थे।
मेरे जंगलों में कुछ डरावने अनुभव भी हुए हैं। ऐसा ही एक है, जब काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में एक जंगली जंगली हाथी ने हमारा पीछा किया गया था। वह लगभग हमारी जिप्सी के करीब आ गया था, हमारा ड्राइवर घबरा गया क्योंकि हाथी ने हम पर हमला कर दिया था और हड़बड़ी में ड्राइवर वाहन नहीं चला पाया। यह भिड़ंत अभी भी हमारे रोंगटे खड़े कर देती है।
इस तरह की दूसरी मुठभेड़ रणथंभौर टाइगर रिजर्व में हमारे राष्ट्रीय पशु बाघ के साथ हुई थी। हमने एक छोटी सी पुलिया के बगल में जिप्सी खड़ी की थी और एक बाघिन की तस्वीरें ले रहे थे जो हमारी ही तरफ आ रही थी। मैं फोटो लेने में इतना तल्लीन हो गया कि मुझे महसूस ही नहीं हुआ कि बाघिन ने हमारी ओर उस छोटे से बांध की तरफ चलना शुरू कर दिया है। मैं अब बाघिन पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पा रहा था। जब मैंने इस तकनीकी मुद्दे के हल के लिए कैमरे की जांच करने की खातिर अपनी नजरें घुमाई, तो मैंने कैमरे की बैरल के ठीक सामने बाघिन को पाया। हमारा ड्राइवर दीपक बिना किसी गति के ठहर सा गया, बस गाड़ी की हल्की आवाज आती रही। बाघिन ने उदासीनता से आगे बढ़ने से पहले मुझे आखिरी बार गौर से देखा।
युवाओं के लिए संदेश
सवाल: एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी होने के नाते आपके पास युवा सिविल सेवकों के लिए क्या संदेश है? यह तब बहुत प्रासंगिक हो जाता है, जब किसी भी कीमत पर अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए छात्रों पर प्रतिकूल दबाव डाला जाता है।
गोयल: मैं आपके पाठकों और इच्छुक सिविल सेवकों के साथ यह साझा करना चाहूंगा कि अकेले अकादमिक उत्कृष्टता एक अच्छा नागरिक बनने के लिए पर्याप्त नहीं हो सकती है। आपको एक सम्पूर्ण व्यक्तित्व की आवश्यकता होती है। यह अतीत की माई-बाप संस्कृति की तुलना में लोगों की सेवा है। यह सिर्फ एक और कार्य नहीं है। इसके लिए पूरी तरह प्रतिबद्धता चाहिए। जो लोग सिविल सेवा परीक्षा पास नहीं कर पाते हैं, उन्हें निराश नहीं होना चाहिए। अपने चारों ओर देखो। बहुत सारे शिक्षाविद्, चिकित्सक, इंजीनियर, उद्योगपति, व्यवसायी, सेवा प्रदाता हैं जो राष्ट्र निर्माण में इतना योगदान दे रहे हैं।
सवाल: आपने कई पुस्तकें भी लिखी हैं। क्या आप इनके बारे में कुछ बता सकते हैं और पुस्तक लिखते समय आपका अनुभव जो भी रहा उसके बारे में भी।
गोयल: जी हां, मैंने 10 किताबें लिखी हैं। अधिकांश पुस्तकें उन इलाकों पर हैं जहां मुझे सेवा करने का अवसर मिला।
भविष्य की योजनाएं
सवाल: सेवानिवृत्ति के बाद की क्या योजना है? मेरा अनुमान है कि आप फोटोग्राफी और लेखन को दोगुने जोश के साथ आगे बढ़ाएंगे!
गोयल: ऐसा होने का इंतजार है! तब मैं एक स्वतंत्र पक्षी बन जाऊंगा। फोटोग्राफी और लेखन के लिए मेरे पास वक्त होगा। और यात्रा के लिए भी। मैं अपने दिल के करीब रहने वाले मुद्दों पर भी लिखने के लिए स्वतंत्र होऊंगा, जैसे- आचरण नियमों के प्रतिबंध के बिना पुलिसिंग और सुधार। मुझे लगता है कि मैं इसका आनंद लूंगा।
सवाल: मुझे लगता है कि एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी होने के नाते आप अन्य कई लोगों की तुलना में अवैध शिकार के खतरे पर बेहतर बता सकते हैं। एनटीसीए द्वारा किए गए उपायों से बाघ विलुप्त होने के कगार से वापस लौट आए हैं। क्या आपको लगता है कि हमें और अधिक कड़े कानून बनाने की जरूरत है या समस्या सिर्फ उनके कार्यान्वयन में निहित है। असम में वन गश्ती दल राइनो शिकारियों से निपटने के लिए एके-47 से लैस हैं। क्या आपको लगता है कि इस तरह के उपाय भारत के अन्य संवेदनशील क्षेत्रों जैसे टाइगर रिजर्व आदि में किए जाने चाहिए?
गोयल: वन्यजीव क्षेत्र में अवैध व्यापार अरबों डॉलर का है। शिकारी और अपराधी जानवरों के अवैध शिकार और उनके अंगों को अवैध रूप से बेचने के ‘एक बार के आर्थिक फायदे’ के बारे में सोचते हैं। एनटीसीए ने अच्छा प्रदर्शन किया है। बाघ एक साहसी जानवर है। इसे अकेला छोड़ दें और यह अपनी स्थिति सुधार लेगा। अन्य प्रजातियों ने भी लचीलापन दिखाया है।
हमारे पास पर्याप्त कानून हैं। बेहतर कार्यान्वयन सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। हमें एक बहुआयामी दृष्टिकोण रखना होगा। प्रवर्तन में शामिल सभी एजेंसियों को हमारे प्राकृतिक आवासों के सुरक्षित और सरंक्षण में समान भागीदार होना चाहिए। असम सबसे सटीक उदाहरण है जहां शिकारी अभी भी सक्रिय हैं। यह समस्या उत्तर-पूर्व में विद्रोहियों और दक्षिण एशियाई बाजारों तक आसान पहुंच दोनों से भी जुड़ी हुई है। सभी कमजोर क्षेत्रों में एक केन्द्रित जागरूकता अभियान लॉन्च किए जाने की जरूरत है। जब मैं भूटान से सटी अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर असम में तैनात था, तब मुझे महसूस हुआ कि मेरे सभी सैनिक साथी बोडोलैंड में तैनात हैं और मानस टाइगर रिजर्व मेरे अधिकार क्षेत्र में आता है। बाघ को देखना बहुत मुश्किल था। गैंडों को अभी-अभी छोड़ा गया था और उनमें से एक को कुछ ही समय में बेच दिया गया। मैंने इस क्षेत्र में एक बाघ या राइनो को मारने की जगह जीवित रखने के वित्तीय लाभों के बारे में जागरूकता अभियान शुरू करने का फैसला किया। वन्यजीव स्थानीय समुदायों को अच्छे आजीविका के अवसर प्रदान कर सकते हैं क्योंकि आगंतुकों को रहने के लिए गाइड, जंगल के वाहन चालक, होटल और लॉज आदि की आवश्यकता होती है। जब वन्यजीव संरक्षण में स्थानीय समुदायों की रुचि निहित होती है, तो यह सभी के लिए फायदे का सौदा होगा।
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