यह IFS अधिकारी 2015 से अपने ऑफिस में CCTV कैमरे क्यों लगा रहा है?
- Ayodhya Prasad Singh
- Published on 22 Jun 2023, 12:07 pm IST
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हाइलाइट्स
- आईएफएस अधिकारी आलोक कटियार ने अपने कमरे समेत पूरे ऑफिस में लगा रखे हैं सीसीटीवी कैमरे
- उनका उद्देश्य वर्कप्लेस पर ट्रांसपेरेंसी लाना है
- इससे लोग समय पर रहने के साथ सतर्क भी रहते हैं
कल्पना कीजिए कि आप किसी सरकारी अधिकारी से मिलने उनके ऑफिस पहुंचे हैं। घंटों इंतजार करते हैं, लेकिन नहीं जानते कि वह कहां हैं और अंदर क्या चल रहा है। हममें से ज्यादातर लोगों को कभी न कभी ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ा है। इससे न केवल वर्कप्लेस पर ट्रांसपेरेंसी प्रभावित होती है, बल्कि विजिटर भी बेचैन हो जाता है।
लेकिन एक अधिकारी हैं- छत्तीसगढ़ कैडर के 1993 बैच के आईएफएस अधिकारी आलोक कटियार। वह 2015 से ऑफिसों में ऐसे माहौल को बदलने की कोशिश कर रहे हैं। वह ट्रांसपेरेंसी लाने के लिए अपने कमरे से लेकर पूरे ऑफिस में कैमरे लगवाते हैं। ताकि प्रत्येक कर्मचारी को पता चले कि दूसरा क्या कर रहा है।
महत्वपूर्ण बात यह है कि न केवल कर्मचारी, बल्कि विजिटर भी रिसेप्शन, गैलरी और वेटिंग रूम में सीसीटीवी कैमरों के आउटपुट दिखाने वाली स्क्रीन पर देख सकते हैं कि कर्मचारी और अधिकारी बंद दरवाजे के पीछे क्या कर रहे हैं!इस बारे में अधिक जानकारी के लिए इंडियन मास्टरमाइंड्स ने उनसे बात की।
निगरानी के लिए
आमतौर पर ऑफिसों में निगरानी का काम बड़े अफसरों पर छोड़ दिया जाता है। लेकिन, उन्हें कौन देखता है?
इंडियन मास्टरमाइंड्स से बात करते हुए श्री कटियार ने कहा, “ट्रांसपेरेंसी सिर्फ यह नहीं है कि आपने किसी से प्रामाणिक कागजात मांगे और वह आपको दे देता है। मेरा मानना है कि हर कार्य में ट्रांसपेरेंसी दिखनी चाहिए। आपका नजरिया और तरीका जो भी हो, वह सब दिखना चाहिए। एक जनसेवक होने के नाते आपका कंडक्ट और कैरेक्टर भी ट्रांसपेरेंट होना चाहिए। इस पहल के पीछे यही मकसद था, जिससे हर कोई देख सके कि अधिकारी अंदर क्या करते हैं।”
तीसरी आंख
बात 2015 की है। उन्हें छत्तीसगढ़ ग्रामीण सड़क विकास एजेंसी के प्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया, जो एक बहुत ही महत्वपूर्ण योजना थी। इसे प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) चलाती है। उस समय विभाग में कई समस्याएं थीं। विभाग में भ्रष्टाचार की कई शिकायतें केंद्र तक पहुंची थीं। दर्जनों शिकायतें की गईं। जैसे, सड़क कहीं बनाने की जरूरत थी और बना दी गई कहीं और। इस वजह से केंद्र ने फंड रोक दिया था। उस समय ऑफिस में 200 से अधिक ठेकेदार रजिस्टर्ड थे।
श्री कटियार ने कहा, ”विभाग में ठेकेदारों की भीड़ लगी रहती थी। ऑफिस में रोजाना 50 से 60 ठेकेदार जुटते थे। उन्हें लगता था कि मैं जानबूझकर उनसे नहीं मिल रहा हूं। तभी मेरे मन में विचार आया कि पूरे ऑफिस को सीसीटीवी से लैस कर देना चाहिए। मैंने अपने कमरे में भी एक कैमरा लगा लिया, ताकि लोग देख सकें कि मैं अंदर क्या कर रहा हूं। मुझे लगा कि चूंकि मैं सबकी निगरानी कर रहा हूं, इसलिए मुझ पर भी नजर रखी जानी चाहिए।”
उस समय सीसीटीवी बहुत आम नहीं थे और बहुत कम जगहों पर लगाए जाते थे। लेकिन उन्होंने ये कैमरे पार्किंग समेत ऑफिस की हर जगह लगवा दिए। साथ ही उनके कमरे में एक बड़ी स्क्रीन भी लगाई गई थी, जहां से वह हर किसी पर नजर रखते हैं। सभी रिकॉर्डिंग सुरक्षित रहती हैं और रिकॉर्ड में रखी जाती हैं। यहां महीनों या सालों पुरानी रिकॉर्डिंग भी देखने को मिल सकती हैं।
सबको फायदा
तब यानी 2015 से जहां भी श्री कटियार तैनात रहे, उन्होंने ऑफिसों में सीसीटीवी कैमरे लगवाए। फिलहाल उनके पास तीन विभागों का चार्ज है। वे क्रेडा के चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर, जल जीवन मिशन के इन-चार्ज डायरेक्टर और प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के सीईओ हैं। उन्होंने तीनों ऑफिसों में सीसीटीवी कैमरे की व्यवस्था की है। उन्होंने कहा कि जब ऑफिस के बाहर लोग किसी अधिकारी से मिलने के लिए काफी देर तक इंतजार करते हैं, तो वे बहुत बेचैन हो जाते हैं। जानना चाहते हैं कि अंदर क्या हो रहा है और उन्हें इंतजार क्यों कराया जा रहा है।
श्री कटियार ने कहा, “यही कारण है कि हमने वेटिंग रूम में भी कैमरों का आउटपुट देने वाली एक स्क्रीन लगाई है। अब लोग हमें देख सकते हैं कि हम क्या कर रहे हैं। हमने इंट्री गेट पर भी कैमरे लगाए। इसका एक फायदा यह है कि अगर मैं ऑफिस में नहीं हूं, तो कैमरा बंद हो जाएगा और मेरे लिए आने वाले विजिटरों को पता चल जाएगा कि मैं अंदर नहीं हूं। इसलिए इंतजार करने की कोई जरूरत नहीं है।”
बदली सोच
2005 में सूचना का अधिकार कानून के तहत शासन में ट्रांसपेरेंसी लाई गई। लोग अधिक जागरूक और सचेत हो गए हैं, लेकिन भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई अभी भी जारी है।
इस बारे में पूछे जाने पर श्री कटियार ने कहा, “इस बारे में हर किसी की अपनी-अपनी सोच है। लेकिन अगर सब कुछ ट्रांसपेरेंट होगा तो निश्चित रूप से इसके बेहतर परिणाम मिलेंगे और लोग खुश होंगे।”
उन्होंने उस समय के बारे में एक दिलचस्प घटना भी बताई। तब कैमरे लगाने आए तकनीशियन को श्री कटियार के कमरे में भी एक कैमरा लगाने के लिए कहा गया था। उन्होंने यह कहते हुए मना कर दिया कि ऐसा नहीं होता है। अधिकारी को केवल देखने की अनुमति दी गई है।
उन्होंने कहा, “मेरे कमरे में कैमरा लगाने के बाद ठेकेदारों का रवैया बदल गया। विभाग में सुधार हुआ और केंद्र से फंड मिलने लगा।”
अच्छा रिस्पांस
इस पहल को सभी से बहुत अच्छी प्रतिक्रिया मिली है। दफ्तरों में कर्मचारी बहुत संयत होकर बात करने लगे। वे सिर्फ उतनी ही बात करते हैं, जितनी जरूरत होती है। वे समय के भी पाबंद हो गए, क्योंकि बाहर इंतजार कर रहे लोगों को पता चल जाता है कि उन्हें देर हो गई है। वहीं, हर बात रिकॉर्ड होने से ऑफिस आने वाले लोग गलत व्यवहार नहीं करते।
श्री कटियार ने कहा, “इससे आम जनता और मुझे दोनों को फायदा होने लगा। मैं स्वयं सभ्य और संयमित व्यवहार बनाये रखने का ध्यान रखता हूं।”
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