क्रांतिकारी एफपीओ से किसानों की सुधर रही स्थिति
- Muskan Khandelwal
- Published on 4 Aug 2023, 2:16 am IST
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हाइलाइट्स
- विविध खेती में लगे किसानों के समूह बनाने के उद्देश्य से आईएएस अधिकारी आंजनेय कुमार सिंह ने शुरू की फार्मर प्रोड्यूसर्स कंपनी
- शुरुआती सफलता में सौर ऊर्जा संचालित कोल्ड स्टोरेज और बाद में 'आहार से उपचार' शामिल थे
- जीरो-कचरा वाली कृषि योजना को लागू करना है मकसद, ताकि भोजन की शुद्धता बनी रहे और उपभोक्ता भी जुड़े
कृषि क्षेत्र के लिए चुनौतीपूर्ण समय के बीच आईएएस अधिकारी आंजनेय कुमार सिंह ने 2020 में रामपुर के तत्कालीन जिला मजिस्ट्रेट के रूप में एक अभूतपूर्व पहल की थी। तब से इस पहल को कृषि और सामुदायिक कल्याण के लिए अपने अनोखे दृष्टिकोण के लिए राष्ट्रीय मान्यता हासिल है। फार्मर प्रोड्यूसर्स कंपनी (एफपीसी) क्षेत्र में किसानों के लिए एक गेम-चेंजर के रूप में उभरी है, जो उन्हें नए अवसर दे रही है।
इंडियन मास्टरमाइंड्स के साथ बात करते हुए मुरादाबाद के डिविजनल कमिश्नर आंजनेय कुमार ने इस पहल और इसके अब तक के परिणामों के बारे में काफी कुछ बताया।
किसान उत्पादक कंपनी
कृषि के महत्व और रोजगार देने और सकल घरेलू उत्पाद में योगदान में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका को पहचानते हुए सिंह ने एक विचार की कल्पना की थी। इसे बाद में किसान उत्पादक कंपनी (एफपीसी) के रूप में जाना जाने लगा। इसका उद्देश्य स्टोरेज, कीमती अनाज, लोकल बाजार सुविधा, मार्केटिंग, ब्रांडिंग, आत्मनिर्भरता, जैव विविधता और तकनीकी प्रशिक्षण पर ध्यान केंद्रित करते हुए विविध खेती में लगे किसानों का एक समूह बनाना था।
किसानों के साथ व्यापक बातचीत और कई बैठकों के बाद पहला रामपुर कृषक एफपीओ जुलाई 2020 में बनाया गया था। शुरुआत सदस्यों में केवल चार किसान थे। ट्रस्ट यानी विश्वास, ट्रांसपेरेंसी यानी पारदर्शिता और टुगेदरनेस यानी एकजुटता (3टी) के सिद्धांतों पर आधारित एफपीओ ने क्षेत्र में किसानों के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करने के लिए एक यात्रा शुरू की। अधिकारी ने बताया कि इस वक्त मुरादाबाद मंडल में करीब 80 एफपीओ हैं और सभी सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं। उन्होंने आगे बताया कि उन्होंने उन्हें ऑनलाइन मार्केटिंग से जोड़ा है, जो कि उनकी अपनी तरह की मार्केटिंग है। इसका नाम ओसी गंगा प्रोडक्ट्स पोर्टल है। जिसमें एफपीओ के संपर्क नंबर हैं।
अधिकारी ने कहा, ‘ऑनलाइन से लेकर ऑफलाइन मार्केटिंग, शॉपिंग, स्थानीय बाजार विकसित करना, उन्हें सीधे ग्राहकों से जोड़ना, हम इन सब पर काम कर रहे हैं।’
सोलर एनर्जी वाला कोल्ड स्टोरेज
एफपीओ की शुरुआती सफलताओं में से एक सौर ऊर्जा से संचालित कोल्ड स्टोरेज सुविधा की स्थापना थी।
सिंह ने इंडियन मास्टरमाइंड्स से कहा, ‘हम स्टोरेज के बारे में चर्चा कर रहे थे, जहां बाजार में कीमत अच्छी न होने पर किसान चीजें रख सकते हैं। लेकिन, सब्जियों और भोजन के बारे में क्या? तो, फिर सोलर कोल्ड स्टोरेज का विचार आया।’
इस सुविधा ने उपज को लंबे समय तक बचा कर रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस सफलता से उत्साहित होकर 100 मीट्रिक टन की कुल क्षमता वाले चार और सौर ऊर्जा संचालित कोल्ड स्टोर स्थापित किए गए। इससे बाजार पहुंच में वृद्धि हुई और किसानों की कमाई भी बढ़ी।
आहार से उपचार
एफपीओ केवल स्टोरेज सुविधाओं तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि उसने केमिकल से मुक्त और पौष्टिक कृषि उत्पादों को बढ़ावा देने का बीड़ा उठाया। श्री सिंह ने नवंबर 2020 में आहार से उपचार अभियान शुरू किया। इसका उद्देश्य विविध खेती के बारे में जागरूकता बढ़ाना और बाजरा, कोदो, क्विनोआ, काला गेहूं, मशरूम, आंवला, अलसी, तिल और मोरिंगा जैसे स्वस्थ उत्पादों की खपत को प्रोत्साहित करना है। इस अभियान के पॉजिटिव रिजल्ट मिले हैं। पोषण किट पाने वाले बच्चों में पोषण स्तर में सुधार देखा गया है।
संवर्धन-सुपोषित रामपुर एक पहल
रामपुर में इस पहल के प्रभाव ने अधिकारियों का ध्यान आकर्षित किया। श्री सिंह के उत्तराधिकारी आईएएस अधिकारी रवींद्र कुमार मंदर ने कार्यक्रम को जारी रखा। इसे फैलाया भी। उन्होंने इसका नाम बदलकर ‘संवर्धन-सुपोषित रामपुर एक पहल’ रखा। इस पहल को व्यापक समर्थन मिला। इसमें उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव भी शामिल थे, जिन्होंने इसे राज्य के अन्य जिलों में लागू करने का सुझाव दिया। परिणामस्वरूप, इस पहल को उत्तर प्रदेश के आठ अन्य जिलों में 22 एफपीओ के माध्यम से दोहराया गया है।संवर्धन-सुपोषित पहल कुपोषित बच्चों की सहायता करने और पोषण प्रबंधन में सुधार लाने में प्रभावी साबित हुई है। इसने समाज में कुपोषण के बारे में अधिक जागरूकता पैदा की है, जिससे अतिरिक्त सरकारी वित्तपोषण की आवश्यकता के बिना महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है।क्रांतिकारी मॉडल को आईसीएआर हैदराबाद सहित विभिन्न संगठनों द्वारा सम्मानित किया गया है और यह आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहे किसानों के लिए आशा की किरण बन गया है।
कमियां और सुधार
हालांकि, सिंह ने स्वीकार किया कि अभी भी कुछ कमियां हैं। इनमें एफपीओ की स्थिरता और तेज वृद्धि सुनिश्चित करना शामिल हैं। फोकस के क्षेत्रों में से एक कृषि के साथ संबद्ध गतिविधियों को जोड़ना है। साथ ही जीरो-कचरा वाली कृषि योजना को लागू करना है। भोजन की शुद्धता को बढ़ावा देना और किसानों एवं उपभोक्ताओं को स्वस्थ और केमिकल-मुक्त विकल्पों को अपनाने के लिए राजी करना प्रमुख चुनौतियां बनी हुई हैं। हमें किसानों और लोगों को स्वस्थ फसल उगाने और खाने के लिए मनाना होगा। ऐसे में एफपीओ ही एकमात्र रास्ता है। अभी तक हम 5-10 फीसदी तक ही पहुंच पाए हैं।सिंह और उनकी टीम विश्वास पैदा करने और सीधे मार्केटिंग की सुविधा के लिए उपभोक्ताओं के साथ सीधे एफपीओ को जोड़ने पर सक्रिय रूप से काम कर रही है। वे आशावादी हैं कि किसानों और उपभोक्ताओं के बीच एक मजबूत बंधन हो जाने से एफपीओ को और अधिक विकास और सफलता मिलेगी।वह कहते हैं कि हम उपभोक्ताओं के बारे में शायद ही चर्चा करते हैं। इसलिए, हम एफपीओ को सीधे उपभोक्ताओं से जोड़ने पर काम कर रहे हैं, ताकि दोनों के बीच विश्वास कायम हो।
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