पीसीएस में टॉप करने वाला किसान का बेटा अब तुरंत फाइलें निपटाने के लिए मशहूर
- Ayodhya Prasad Singh
- Published on 11 Aug 2023, 1:32 pm IST
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हाइलाइट्स
- गौरव श्रीवास्तव यूपी के देवरिया में हैं एडिशनल डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट (एडमिनिस्ट्रेशन)
- वह 2014 बैच के यूपीपीसीएस अधिकारी हैं, उन्होंने दो बार पीसीएस परीक्षा पास की है
- उन्होंने एसएससी ग्रेजुएट लेवल भी पास किया है, कुछ समय तक ऑडिटर के रूप में भी काम किया
देश में सरकारी दफ्तर लालफीताशाही और लेटलतीफी के लिए जाने जाते हैं। काम पूरा कराने के लिए किसी को भी लंबी-चौड़ी कागजी कार्रवाई के अलावा फाइल मूवमेंट की कठिन प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। वैसे जिन लोगों की फाइलें 2014 बैच के यूपी पीसीएस अधिकारी गौरव श्रीवास्तव के पास हैं, उन्हें इंतजार करने की जरूरत नहीं है। इसलिए कि वह अपनी डेस्क या हाथ में आते ही फाइलें तुरंत निपटा देते हैं। वह तुरंत उन पर दस्तखत कर उन्हें क्लियर कर देते हैं, चाहे वह कहीं भी हों।
हाल ही में श्रीवास्तव का एक वीडियो वायरल हुआ था। इसमें वह कार के बोनट पर सरकारी फाइलों पर दस्तखत करते नजर आ रहे थे। 16 अगस्त 2022 को जब से उन्होंने एडीएम (ई) के रूप में देवरिया में काम संभाला है, तब से जिले के लोग उनकी प्रशंसा करते नहीं थक रहे हैं। उनका कहना है कि वे ‘साहब’ से कहीं भी मिलकर अपना काम करा सकते हैं और अपनी समस्याओं का समाधान करा सकते हैं। वे जो कहते हैं वह सच है, क्योंकि अधिकारी न केवल समस्याओं का तुरंत समाधान करते हैं, बल्कि बहुत ही सरल तरीके से करते हैं।
इंडियन मास्टरमाइंड्स ने श्री श्रीवास्तव से उनकी अनूठी कार्यशैली और उनकी सिविल सेवा यात्रा के बारे में जानने के लिए बात की।
अनूठी शैली
उनकी पहली पोस्टिंग संत कबीरनगर जिले में हुई। दरअसल वहीं से उनकी कार्यशैली की चर्चा होने लगी। देवरिया में अपनी वर्तमान पोस्टिंग पर आने से पहले वह सिटी मजिस्ट्रेट के रूप में प्रयागराज में तैनात थे। वह जहां भी जाते हैं, लोग उन्हें एक अधिकारी के रूप में हमेशा प्यार और सम्मान देते हैं।
वायरल वीडियो के बारे में श्री श्रीवास्तव ने कहा, ”जब मैं एक मीटिंग से दूसरी मीटिंग में जा रहा था, तो कुछ जरूरी फाइलें मेरे पास आईं। मैं उन पर दस्तखत करने के लिए तब तक इंतजार कर सकता था, जब तक वे मेरी मेज पर नहीं पहुंच जातीं। लेकिन मुझे एक मीटिंग में जाना था और ऑफिस जाने का समय नहीं था। इसलिए मैंने फाइलें कार के बोनट पर रखीं, उन्हें एक-एक करके जांचा और उन पर दस्तखत कर दिए। शायद आम लोगों को भी हमसे यही उम्मीद है कि हम किसी भी फाइल को लटकाएंगे नहीं और काम तुरंत करेंगे।”
उनका मानना है कि सिविल सेवा में अधिकारियों से लोगों को बहुत उम्मीदें होती हैं। वह उन्हें जीना चाहते हैं। यदि उन्हें लगता है कि फाइल में कुछ भी गलत नहीं है, तो उसे रोककर रखने और प्रक्रिया में देरी करने का उन्हें कोई मतलब नहीं दिखता। उन्होंने कहा, ”सिर्फ फाइलें ही नहीं, अगर सब कुछ ठीक है तो किसी भी काम में देरी नहीं होनी चाहिए। इसके लिए जरूरी नहीं है कि आप अपने ऑफिस में ही कुर्सी पर बैठे हों। आप अपनी फाइलें कहीं से भी आगे बढ़ा सकते हैं। मैं यही करता हूं और इसे अपने कर्तव्य का हिस्सा मानता हूं।”
सिविल सेवा तक की यात्रा
श्री श्रीवास्तव उत्तर प्रदेश में बस्ती के रहने वाले हैं। उनके पिता किसान हैं। उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा गांव से की, तो 12वीं तक की पढ़ाई ब्लॉक स्तर पर की। उन्होंने इंटरमीडिएट की पढ़ाई महादेव शुक्ल इंटर कॉलेज गौर, बस्ती से पूरी की। उसके बाद उन्होंने ग्रेजुएशन की पढ़ाई इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से की। उन्होंने अपनी मास्टर डिग्री भी इसी यूनिवर्सिटी से पूरी की।
ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी शुरू कर दी। 2002 में उन्होंने एसएससी ग्रेजुएशन लेवल की परीक्षा पास की। उन्हें ऑडिटर का पोस्ट मिला। 2009 में उनका चयन डिविजनल अकाउंट ऑफिसर के पद पर हुआ। इस बीच वह यूपी पीसीएस परीक्षा की तैयारी भी कर रहे थे।
पीसीएस-2010 में उन्होंने पहली बार परीक्षा पास की और 2013 में ट्रेजरी ऑफिसर के पद पर तैनाती मिली। लेकिन उनका सपना एसडीएम बनने का था। इसलिए पीसीएस-2012 में उन्होंने चौथी रैंक के साथ परीक्षा पास की और उन्हें मनचाहा पद मिला।
काम के तरीके को सरल बनाना
किस बात ने उन्हें ऐसी कार्यशैली अपनाने के लिए प्रेरित किया? यह पूछने पर उन्होंने कहा, ”प्रशासन का काम आम आदमी के जीवन को आसान बनाना होता है। इसलिए मैं हमेशा लोगों की बात सुनता हूं और उनकी समस्याओं को जल्द से जल्द हल करने का प्रयास करता हूं। अगर चीजें सही हैं, तो उनमें देरी क्यों? मैं इस बात का खयाल रखता हूं कि जल्दबाजी में मुझसे कोई गलती न हो जाए। अगर मुझे किसी फ़ाइल में कोई गलत जानकारी दिखती है, तो मैं उसे ठीक से जांचने, उसे ठीक करने के मकसद से बाद के लिए रख लेता हूं और उसके बाद ही उसे क्लियर करता हूं।”
उन्होंने कहा कि लोग उनके पास बहुत उम्मीद लेकर आते हैं। ऐसे में यह उनकी जिम्मेदारी है कि उनकी तुरंत मदद करें और उनकी मुश्किलें कम करें। और यह काम अधिक से अधिक आसान बना कर करें। उन्होंने कहा, “और अगर हम ऐसा करने में सफल होते हैं, तो इससे बेहतर कोई मेहनताना नहीं हो सकता है।”
सच्ची मिसाल
उन्होंने कई बार याद किया, जब उन्होंने दशकों पुरानी समस्याओं का समाधान किया और लोगों ने बदले में उन्हें आशीर्वाद दिया। वह कहते हैं, “ऐसे मामले थे, जहां लोगों को दशकों तक अपनी जमीन का मालिकाना हक नहीं मिला था। 20 से 30 साल तक उन्हें जमीन पर कब्जा नहीं दिया गया। यह ज़मीन दशकों पहले पट्टे पर ली गई थी, लेकिन परिवार के सदस्य इस पर मालिकाना हक का दावा नहीं कर सके थे। जब हम ऐसे लोगों को मालिकाना हक देते हैं, तो उनके चेहरे पर जो खुशी दिखती है, उसे मैं बता नहीं सकता।”
अपील
अधिकारी का उन सभी लोगों से अनुरोध है, जो आम लोगों के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ”हमारा लक्ष्य होना चाहिए कि हम उनकी समस्याओं के समाधान में लापरवाही ना बरतें, फाइलों पर समय से फैसला करें और क्वालिटी वाला काम करें। हर बार जब हम उनके काम में देरी करते हैं, तो ना केवल उनकी समस्याएं बढ़ती हैं, बल्कि सिविल सेवाओं का उद्देश्य ही विफल हो जाता है।”
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