“आप जो बदलाव दुनिया में देखना चाहते हैं, वह स्वयं बनिए” – इसको वास्तविकता में जीने वाला आईपीएस अधिकारी जिसने अनगिनत मासूमों का जीवन संवारा
- Indian Masterminds Bureau
- Published on 8 Dec 2021, 6:02 pm IST
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हाइलाइट्स
- हर्ष पोद्दार कुछ अलग तरह के आईपीएस अधिकारी हैं, जो हर समस्या का व्यवहारिक समाधान तलाशने में यकीन करते हैं।
- महाराष्ट्र में शुरू किए गए उनके कई युवा उन्मुख कार्यक्रमों ने राज्य के कई शहरों में, न केवल बच्चों द्वारा किए जाने वाले अपराधों को बेहद कम कर दिया है, बल्कि भारत की भावी पीढ़ी को सही दिशा में ले जाने के लिए भी अहम योगदान दिया है।
- हर्ष पोद्दार - बदलाव लाने वाले आईपीएस अधिकारी
“आप जो बदलाव दुनिया में देखना चाहते हैं, वह स्वयं बनिए”, – आईपीएस अधिकारी हर्ष पोद्दार इस मशहूर वाक्य को दोहराते हुए कहते हैं। महाराष्ट्र कैडर के एक आईपीएस अधिकारी पोद्दार ने बड़ी संख्या में आम लोगों के जीवन को प्रभावित किया है। उनके दिमाग की उपज “यूथ पार्लियामेंट प्रोजेक्ट” ने महाराष्ट्र के कई हिस्सों में 4200 से अधिक युवाओं को अपराध के खिलाफ लड़ने के लिए प्रेरित करते हुए बाल अपराध को काफी हद तक कम कर दिया है।
कोलकाता के रहने वाले पोद्दार को हमेशा लगता था कि वे नेतृत्व करने के लिए एक आदर्श व्यक्ति हैं। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा कोलकाता के ला मार्टिनियर बॉयज स्कूल से की है।
इंडियन मास्टरमाइंड्स के साथ बातचीत करते हुए, उन्होंने कहा कि एक ऐसे समय में जब मेडिकल और इंजीनियरिंग को एकमात्र सम्मानजनक करियर माना जा रहा था, वह अपने स्कूल को रट्टा मार शिक्षा के पारंपरिक मार्ग को अपनाने के बजाए, सह-पाठयक्रम गतिविधियों (को-करिकुलर एक्टिविटीज) पर अधिक जोर देने के लिए श्रेय देंगे। ‘वेस्ट बंगाल नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ ज्यूडिशियल साइंसेज’ से बीए एलएलबी की डिग्री हासिल करने के बाद, उन्होंने बेहद प्रतिष्ठित ‘शेवनिंग छात्रवृत्ति’ जीती और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के बैलीओल कॉलेज से अंतर्राष्ट्रीय और संवैधानिक कानून में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की।
जब ऑक्सफोर्ड ने उन्हें दिशा दी
पोद्दार याद करते हुए कहते हैं, “जब मैं ऑक्सफोर्ड में बैलीओल कॉलेज में कानून का स्नातक छात्र था, मैंने खुद को एक ऐसे माहौल का हिस्सा बना लिया, जो सदियों से दुनिया के नेताओं और सामाजिक सुधारकों को प्रेरित करता आ रहा है। हालांकि, यह शुरुआत में डराने वाला था, लेकिन बाद में इसने मुझे बड़ा सोचने के लिए प्रोत्साहित किया। ऑक्सफोर्ड ने मुझमे काम के लिए एक मजबूत अनुशासन और जटिल मुद्दों के माध्यम से सोचने की क्षमता गहराई से कहीं अंदर तक भर दिया।”
भारतीय पुलिस सेवा में अपने प्रभावशाली करियर के दौरान, इस अधिकारी ने कई सफल और अनूठी पहलें जैसे कि ‘यूथ पार्लियामेंट प्रोजेक्ट’, ‘स्मार्ट पुलिस प्रोग्राम’ और ‘उड़ान प्रोजेक्ट’ की शुरुआत की। इसके अलावा, उन्होंने विभिन्न मुद्दों जैसे कि बाल अपराध, सांप्रदायिक दंगे, आतंकवाद, कट्टरता, फर्जी समाचार और मानसिक स्वास्थ्य पर भी कमा किया।
“यूथ पार्लियामेंट प्रोजेक्ट” (युवा संसद परियोजना)
पोद्दार की अब तक की सबसे चर्चित योजना “यूथ पार्लियामेंट प्रोजेक्ट” है। जब इस नवीन पहल को लागू किया गया तो इससे कई सकारात्मक बदलाव आए। इस पहल की शुरुआत मालेगांव से हुई। इसका प्रमुख उद्देश्य बाल अपराध का कड़ाई से मुकाबला करना था। उस समय महाराष्ट्र के कई हिस्सों में बाल अपराधों का आंकड़ा तेजी से आसमान छू रहा था। साल 2015 में, इस परियोजना को शुरू करने से पहले बाल अपराधों के मामले में महाराष्ट्र देश में दूसरे स्थान पर था। यह आंकड़ा राष्ट्रीय स्तर पर 31,396 था, जिसमें अकेले महाराष्ट्र के 5,482 मामले शामिल थे। वर्तमान में, इन आंकड़ों में सुधार हुआ है और अब किशोरों द्वारा किए गए अपराधों में राज्य 5 वें स्थान पर है। राष्ट्रीय स्तर पर कुल आंकड़ा 2,037 मामलों का है, जिसमें महाराष्ट्र के सिर्फ 211 मामले शामिल हैं। निस्संदेह, यह उपलब्धि हर्ष पोद्दार और उनकी टीम के जैसे अधिकारियों के समर्पण और कड़ी मेहनत के बिना संभव नहीं थी।
इस परियोजना में, एक सामुदायिक मॉडल तैयार किया गया और यह संबन्धित क्षेत्र के पुलिस अधिकारियों का कर्तव्य था कि वे बच्चों और किशोरों को जागरूकता और मार्गदर्शन प्रदान करें। हालांकि, इस मॉडल की ‘ऊपर से नीचे’ (टॉप-डाउन) वाली प्रकृति बेहद समस्याग्रस्त थी, क्योंकि छात्रों ने कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं दिखाई। इस समस्या को हल करने के लिए, मालेगांव के तत्कालीन एएसपी के रूप में काम करते हुए पोद्दार ने एक परियोजना से प्रेरणा ली, जिसमें उन्होंने एक बार काम किया था जब वह पुलिस अकादमी में थे। नेत्रहीन लोगों के लिए इस अपरंपरागत कार्यशाला में, बच्चों को छोटे समूहों में विभाजित किया गया था और ‘अधिकारों और जागरूकता’ के बारे में व्याख्यान सुनने के बजाय, दिव्यांग लोगों के लिए कानूनों का मसौदा तैयार करने के लिए कहा गया था। इसने बच्चों को खुद के प्रतिनिधित्व के रूप में काम करने की छूट दी और साथ ही उन्हें विषय की गहराई से जांच करने की भी छूट मिली। युवा पुलिस अधिकारी ने किशोर अपराध से निपटने के लिए ठीक इसी आइडिया को लागू करने का निर्णय लिया। पहल का मुख्य लक्ष्य युवाओं को एक मंच प्रदान करना था, जहां वे असामाजिक प्रवृत्तियों के खिलाफ कार्रवाई कर सकें। इसका उद्देश्य अलगाव और अपराध के बीच की कड़ी को तोड़ना था।
औरंगाबाद में नाथ वैली स्कूल और पुलिस पब्लिक स्कूल में ‘युवा संसद परियोजना’ शुरू होने के बाद इस योजना को गति मिली। छात्रों को टीमों में विभाजित किया गया और यौन अपराधों, नक्सलवाद, आतंकवाद आदि जैसे विषयों को संबोधित किया गया। प्रत्येक टीम को तीन प्रमुख हितधारकों – सरकार, समाज और पुलिस की भूमिका निभानी थी। इसके अलावा, उन्हें उन समस्याओं के समाधान के साथ आना था, जिन्हें संबोधित करने के लिए कहा गया था। सबका मूल्यांकन किया गया, जिसके अनुसार इस ‘नीचे से ऊपर’ वाले दृष्टिकोण ने छात्रों में जागरूकता बढ़ाई। बदले में, इन छात्रों ने अपने परिवार और दोस्तों को संदेश फैलाया। इस पहल के सफल होने के बाद, इसे महाराष्ट्र के अन्य जिलों में भी लागू किया गया।
अन्य युवा उन्मुख कार्यक्रम
इस अत्यधिक प्रभावी दृष्टिकोण के अलावा, पोद्दार ने ‘उड़ान’ परियोजना को भी पंख दिए। इस परियोजना का उद्देश्य सभी स्थानीय छात्रों को प्रवेश परीक्षा के लिए कैरियर काउंसलिंग और मुफ्त कोचिंग प्रदान करना है।
इसके अलावा, पोद्दार और उनकी टीम द्वारा किए गए प्रयासों के कारण मालेगांव जैसी जगहों पर सांप्रदायिक दंगों और कट्टरपंथी मुद्दों में भी भारी कमी आई। उन्होंने स्मार्ट पुलिस कार्यक्रम भी शुरू किया, जिसमें कोल्हापुर, औरंगाबाद और मालेगांव जैसे जिलों के पुलिस स्टेशनों को ‘आईएसओ’ प्रमाणपत्र प्रदान किए गए, इस प्रकार यह सुनिश्चित करना कि उनकी सेवाएं अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप थीं।
पिछले साल कोरोना महामारी की पहली लहर के दौरान, इस अधिकारी ने एक बार फिर साबित कर दिया कि बेहद जरूरी और लगातार प्रयासों से वांछित परिणाम प्राप्त हो सकते हैं। कड़े लॉकडाउन के बावजूद, पुणे और इसके आस-पास के जिले कोरोनोवायरस के मामलों से बुरी तरह प्रभावित थे। लेकिन, बीड में दो महीने तक कोरोना के शून्य मामले थे और यह सब उनके प्रभावी पुलिसिंग की वजह से भी था।
अपने उत्कृष्ट कार्यों के परिणामस्वरूप, आईपीएस अधिकारी हर्ष पोद्दार को 2018 में अपराध रोकथाम में असाधारण योगदान के लिए ‘जीएफाइल्स पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया।
युवाओं को ज्ञान के कुछ मोती देते हुए, पोद्दार कहते हैं, “हमारे देश में लोग समस्या-उन्मुख हैं, उदाहरण के लिए जैसे मीडिया के लोग। समस्या के बारे में लगातार विलाप करने के बजाय, एक समाधान उन्मुख दृष्टिकोण से सोचना अनिवार्य है। हमें यह सोचने की जरूरत है कि समस्या को रोकने के लिए क्या किया जा सकता है। साथ ही, एक नागरिक के रूप में भी यह हमारे लिए महत्वपूर्ण है की हमे भारतीय इतिहास, भूगोल, कृषि, आर्थिक स्थिति, जाति और धार्मिक प्रवचनों और अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में ज्ञान हो। जब तक आप इन बातों को नहीं जानते, आप भारत के संबंध में समाधान तैयार नहीं कर सकते।”
यह सच है और इसमें कोई शंका नहीं होनी चाहिए कि भारतीय सिविल सेवा में शामिल होने के लिए लंदन से वापस आए, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट और एक पूर्व वकील हर्ष पोद्दार जैसे अधिकारी दुर्लभ ही मिलते हैं। लेकिन, यह भी सच है कि हमारे महान देश को उनके जैसे बहुत से अधिकारियों की आवश्यकता है, जो आम जन की हर समस्या का व्यावहारिक उपाय निकाल, उसका सही से क्रियान्वयन कर देश को खुशहाली के रास्ते पर ले जान एके लिए समर्पित हों…।
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