पूरे राज्य के लिए मॉडल बन गए इस जिले के स्कूल, हुए हैं शानदार आधुनिक बदलाव!
- Ayodhya Prasad Singh
- Published on 22 Nov 2021, 10:15 am IST
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हाइलाइट्स
- 5टी मंत्र के तहत ओडिशा के गंजम जिले के हाई-स्कूलों का हुआ है कायापलट, जिलाधिकारी विजय के नेतृत्व में हो रहा है काम
- स्कूलों के इन्फ्रस्ट्रक्चर से लेकर पुस्तकालयों तक में आया है आधुनिक बदलाव, स्मार्ट क्लासेस से लेकर स्मार्ट लैब्स तक बनीं
- पहले चरण में 133 स्कूलों का हुआ कायापलट, जिले सभी 633 स्कूलों में होना है इसी तरह का बदलाव
जरा सोचकर देखिए कि किसी जिले के प्रशासन और अधिकारियों के लिए वो कैसी शानदार अनुभूति होगी, जब उनके द्वारा शुरू की पहल एक मॉडल बन जाए और राज्य के सारे सांसद और विधायक उसे देखने आएं। ये कोई हवा-हवाई बात नहीं है, बल्कि वास्तव में ऐसा हो रहा है ओडिशा के गंजम जिले में। यहां के जिलाधिकारी और 2013 बैच के आईएएस विजय अमृता कुलांगे के नेतृत्व में जिला प्रशासन और स्कूल कमेटियों ने विद्यालयों में जो शानदार बदलाव किए हैं, उसकी धमक पूरे राज्य में गूंज रही है। और अब यह एक ऐसा मॉडल बन गया है कि पूरे राज्य से सांसद, विधायक और अधिकारी तक इसे देखने आ रहे हैं।
गुड गवर्नेंस को लेकर राज्य के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के 5टी मंत्र के तहत जिले के सरकारी हाई-स्कूल अब हर मायने में बेहद आधुनिक हो रहे हैं। पहले चरण में 133 स्कूलों की कायापलट की गई है। वहीं, अगले चरण के लिए 233 स्कूलों पर काम किया जा रहा है।
विजय ने इंडियन मास्टरमाइण्ड्स से एक खास बातचीत करते हुए विस्तार से इस पूरी पहल और स्कूल में आए इन बेहतरीन बदलाओं के बारे में बताया। विजय के अनुसार, जिले के सभी 633 हाई-स्कूलों में चरणबद्ध तरीके से काम कर, उन्हें सभी सुविधाओं से परिपूर्ण और आधुनिक बनाया जाएगा।
विजय कहते हैं, “स्कूलों में सकारात्मक बदलाव और उनका आधुनिकीकरण मेरे सबसे प्रमुख उद्देश्यों में है। अगर स्कूल अच्छे हैं तो बच्चे बहुत आगे जा सकते हैं। हमारा काम पूरे एजुकेशन सिस्टम को बदलना है। इसके लिए हम मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के 5टी मंत्र को ध्यान में रखते हुए काम कर रहे हैं।”
क्या है 5टी
5टी पहल ओडिशा सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है, जिसके तहत सरकारी मशीनरी को काम करना है और संस्थानों का आधुनिकीकरण कर आमूलचूल बदलाव लाना है। 5टी यानी – ट्रांसपेरेंसी (पारदर्शिता), टीमवर्क, टेक्नोलॉजी, टाइम और ट्रांसफॉर्मेशन (बदलाव); मतलब कि पारदर्शिता सुनिश्चित करने हुए, प्रौद्योगिकी का उपयोग करके, एक समय सीमा के भीतर, टीम वर्क के माध्यम से बदलाव लाना। (Transformation through team work using technology within timeline insuring transparency) यही इस योजना का मूल उद्देश्य है।
स्कूल बदले और स्मार्ट बन गए
इसी के तहत गंजम जिले के सभी हाई स्कूलों को बदला जा रहा है। पहले चरण में 133 स्कूल बदले जा चुके हैं। हर स्कूल में 9 वीं और 10 वीं कक्षा के लिए कम से कम 2 स्मार्टक्लास बनाई गईं हैं। और कहीं-कहीं अगर जरूरत है तो 5 से 6 स्मार्ट क्लासेस भी बनी हैं। स्मार्ट क्लासेस में पूरा इन्टरैक्टिव (संवादात्मक) सिस्टम उपलब्ध कराया गया है, जहां ऐन्ड्रॉइड आधारित सॉफ्टवेयर से लेकर हर समय इंटरनेट की कनेक्टिविटी और सभी जरूरी चीजें हैं। वहीं, हर क्लास में 2 ग्रीन बोर्ड (चाक से लिखने वाले) और 1 व्हाइट बोर्ड (मार्कर से लिखने वाले) उपलब्ध कराए गए हैं।
पुस्तकालय और लैब
स्कूलों के पुस्तकालयों में भी अहम बदलाव लाया गया है। जिस स्कूल में पहले से पुस्तकालय थे, वहां उसे बेहतर बनाया गया है और जहां नहीं थे वहां नए पुस्तकालय बनाए गए हैं। साथ ही सभी स्कूलों में परंपरागत (रेगुलर) पुस्तकालयों के अलावा बड़ी संख्या में ई-बुक्स भी सुनश्चित की गई हैं।
इसके साथ ही आधुनिक प्रयोगशालाओं (लैब) पर भी खासा ध्यान दिया गया है। हर लैब में एक्सपेरीमेंट्स के लिए सभी सुविधाओं के साथ प्लैट्फॉर्म दिये गए हैं, जहां छात्रों को बेहतर अनुभव मिलेगा। साथ ही, शिक्षकों को भी लैब में एक इन्टरैक्टिव बोर्ड मिलेगा, जहां वो ऑनलाइन डेमो दिखा सकेंगे। इससे छात्रों को प्रैक्टिकल सीखने में आसानी होगी।
इन्फ्रस्ट्रक्चर पर शानदार काम
स्कूलों के आधारिक संरचना (इन्फ्रस्ट्रक्चर) और मूलभूति सुविधाओं पर भी खूब काम किया जा रहा है। विजय के अनुसार, सबसे पहले तो स्कूल की कलर थीम बदली गई। उनका मानना है कि स्कूल जितना बेहतर और लुभावना दिखेगा, बच्चों के मन पर उतना ही सकारात्मक और बेहतर असर होगा। इसलिए स्कूल की बिल्डिंग में रंग-रोगन से लेकर बेहतर लाइटिंग, खूबसूरत रूफ लाइट और अच्छे फैंस लगाए गए। साथ ही बच्चों के लिए आरामदायक सीटस लगाई गईं, जिससे उन्हें बैक पेन नहीं होगा। बिल्डिंग में फर्श पर खूबसूरत टाइल्स बिछाई गई है। वहीं, स्कूल के अंदर भी बेहतर रास्ते बनाए गए हैं।
जिलाधिकारी विजय कहते हैं, “स्कूल में इस तरह की सुविधाओं के बाद, सुबह 10 से शाम 5 बजे तक रहने वाला बच्चा बहुत बेहतर फील करेगा, क्योंकि जब उसे अच्छा और खुशनुमा माहौल मिलेगा तो पढ़ने में भी उसका मन लगेगा। और उसके सीखने की क्षमता बढ़ेगी। साथ ही शिक्षक भी स्मार्ट क्लासेस में क्लास लेंगे तो उन्हें भी पढ़ाने में मजा आएगा। कुल मिलकर ये एक बेहतर समन्वय बनेगा, जिसका फायदा छात्रों को होगा।“
साफ पानी
बच्चों को साफ पानी उपलब्ध कराने पर खासा ध्यान दिया गया है। आईएएस विजय पानी को लेकर ओडिशा के स्कूलों में पहले भी ‘वॉटर बेल’ पहल शुरू कर चुके हैं। इस पहल के तहत बच्चों के शरीर में पानी की कोई कमी न हो और वे पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं, इसके लिए समय पर 3 बार घंटी बजाकर बच्चों से पानी पीने के लिए कहा जाता है। गंजम के 4000 स्कूलों में ये पहल की गई थी।
स्मार्ट टॉयलेट
भारत में आम जगहों पर टॉयलेट एक बड़ी समस्या रहा है। ऐसे ही हमारे सरकारी स्कूलों में भी बेहतर और साफ टॉयलेट की समस्या पूर्व में रही है। लेकिन गंजम के स्कूलों में इस दिक्कत पर भी काम किया गया। विजय के अनुसार, यहां एयरपोर्ट और मॉल के स्टैंडर्ड के हिसाब से टॉयलेट बनाए गए हैं, जहां लाइट, फैंस और इग्ज़ॉस्ट के साथ बेहतर सुविधाएं देने की कोशिश की गई है। हर स्कूल में कम से कम 2 टॉयलेट और 10 युरनल (5 लड़कियों के लिए और 5 लड़कों के लिए) बनाए गए हैं।
अन्य सुविधाएं
इन सुविधाओं के साथ-साथ बच्चों के खेलने के लिए प्ले-ग्राउंडस भी बनाए गए हैं, जिसमें कबड्डी, खो-खो और वालीबॉल आदि शामिल हैं। वहीं, हरे-भरे स्कूल बनाने पर भी खास ध्यान दिया गया है। इसके लिए लैंड-स्केपिंग देते हुए पेड़ लगाए गए हैं। स्कूल में खूब ग्रीनरी होने से ताजी हवा तो मिलती ही है, साथ बच्चों के स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक असर पड़ता है। वहीं, हर उस स्कूल मेंजहां जगह उपलब्ध है, एक एम्फीथिएटर (रंगभूमि) बनाया गया है। इसमें कोई भी ओपन प्रोग्राम आराम से हो सकता है।
विजय बताते हैं कि ये सारा काम स्कूल मैनेजमेंट कमेटी के साथ मिलकर किया गया है। हाई-स्कूल के बच्चे बड़े हो रहे होते हैं, अगर उनको ऐसी सुविधा मिले तो कैरियर को लेकर बढ़िया दृष्टिकोण विकसित होगा और वे सभी भविष्य में बहुत बेहतर करेंगे।
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