बिछड़े बच्चों का बचाव, फिर मिलाने और मुस्कान लाने के लिए वाराणसी का अनोखा अभियानl
- Muskan Khandelwal
- Published on 27 Jul 2023, 1:29 am IST
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हाइलाइट्स
- आईएएस अधिकारी हिमांशु नागपाल ने इसी साल मार्च में मिशन मुस्कान नाम से शुरू की नई पहल
- इसका उद्देश्य रेलवे स्टेशनों और घाटों पर मिलने वाले खोए और बेसहारा बच्चों की पहचान करना है
- अब तक 12 बचाव टीमों की मदद से वह 723 बच्चों को मिला चुके हैं परिवारों से
दिल को छू लेने वाली पहल है-‘मिशन मुस्कान।’ इस मिशन के तहत वाराणसी के चीफ डेवलपमेंट ऑफिसर (सीडीओ) आईएएस अधिकारी हिमांशु नागपाल दरअसल रेलवे स्टेशनों और घाटों पर पाए जाने वाले खोए और बेसहारा बच्चों के लिए सहारा बनते हैं। वह उन बच्चों की पहचान कर उन्हें उनके परिवारों से मिला रहे हैं। क्षेत्र में बच्चों से भीख मंगाने की समस्या से निपटने की दिशा में चलाए गए इस अभियान से उल्लेखनीय सफलता मिली है। इससे कई बच्चों और उनके माता-पिता के चेहरे पर सचमुच मुस्कान आ गई है। इंडियन मास्टरमाइंड्स के साथ बात करते हुए श्री नागपाल ने इस पहल के बारे में काफी कुछ बताया।
क्या है मिशन
‘मिशन मुस्कान’ अभियान इस अहसास के साथ शुरू हुआ कि चार रेलवे स्टेशनों और घाटों वाले प्रमुख पर्यटन स्थल वाराणसी में कई बच्चे कई कारणों से अपने माता-पिता से बिछड़ जाते हैं। जैसे ट्रेन पकड़ते समय छूट जाना और अन्य कारण। श्री नागपाल ने कहा, “हम उन बच्चों तक पहुंचने में असमर्थ थे, जो बिछड़ गए थे। इसलिए हमने ‘मिशन मुस्कान’ के नाम से इसके लिए एक अभियान शुरू किया।”
उद्देश्य
‘मिशन मुस्कान’ का शुरुआती उद्देश्य इन बच्चों को बचाना और उन्हें चाइल्ड केयर होम में पनाह देना है। मनोचिकित्सकों और मनोवैज्ञानिकों की एक टीम बच्चों के बारे में अधिक जानकारी जुटाने और उनके घरों का पता लगाने में मिलकर काम करती है। चूंकि इनमें से कई बच्चे सटीक स्थान बताने के लिए बहुत छोटे हैं, इसलिए यह प्रोसेस काफी कठिन हो जाती है।
सभी सुविधाओं से लैस
इस समय अभियान में 20 चाइल्ड शेल्टर और एक सरकारी शेल्टर हैं। ये सभी एयर कंडीशनिंग और स्मार्ट क्लासेस सहित बेहतर सुविधाओं से लैस हैं। इसके अलावा बच्चों को सलाह देने के लिए प्राइवेट मनोचिकित्सकों को भी शामिल किया गया है। पिछले छह महीनों में ‘मिशन मुस्कान’ ने दिन-रात काम करने वाली 12 बचाव टीमों की मदद से 723 से अधिक बच्चों को उनके परिवारों से मिला दिया है।यह पहल विशेष रूप से विकलांग बच्चों की भी मदद करती है, उन्हें विश्व स्तरीय आश्रय और सुविधाएं देती है।
उनके शिक्षा में सुधार करने और उन्हें ट्रेनिंग देने की कोशिश भी की जाती है। कुछ बच्चे हैंडीक्राफ्ट और राखी बनाने की गतिविधियों में भी लगे हुए हैं और इन उत्पादों को बाजार में बेच कर कमाई करते हैं। इन पैसों को आगे इस्तेमाल करने के मकसद से वे बैंक में जमा करते हैं।श्री नागपाल ने कहा, “यहां से उन्हें जो भी पैसा मिलेगा, वह घर वापस पहुंचने पर उनके बैंक खातों में ट्रांसफर कर दिया जाएगा।”
इस पहल को न केवल स्थानीय पुलिस, बल्कि समाज और सरकार से भी समर्थन मिला है। बच्चों की नियमित चिकित्सा जांच भी की जाती है। साथ ही प्राइमरी स्कूलों के शिक्षकों की मदद से कक्षाएं भी ली जाती हैं।श्री नागपाल ने इन बच्चों के प्रति अपना समर्पण व्यक्त करते हुए कहा, “वे अब हमारे बच्चे हैं। इसलिए यह सुनिश्चित करना हमारी जिम्मेदारी है कि हम काउंसलिंग से लेकर उनकी स्कूल और कॉलेज की शिक्षा तक की उनकी प्रगति का ध्यान रखें।”
‘मिशन मुस्कान’ यह सुनिश्चित करता है कि 12वीं पूरी करने के बाद बच्चे ‘मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना’ में शामिल हों। बता दें कि यह एक सरकारी योजना है, जिसमें पैसे से मदद की जाती है।’मिशन मुस्कान’ की सफलता ने न केवल बच्चों को सड़कों से मुक्ति दिलाई गई है, बल्कि उनके उज्ज्वल भविष्य की आशा भी जगाई है। निरंतर प्रयासों और समर्थन के साथ यह पहल वाराणसी और उसके बाहर कई बच्चों और उनके परिवारों के लिए मुस्कान और खुशियां ला रही है।
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