युवा आईएएस अधिकारी जिसने काउंसलिंग के हथियार से कुपोषण के खिलाफ जंग छेड़ रखी है
- Ayodhya Prasad Singh
- Published on 5 Jan 2022, 11:20 am IST
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हाइलाइट्स
- युवा आईएएस अधिकारी स्वप्निल इन दिनों हरियाणा के हिसार जिले की गलियों में घर-घर जाकर युवा माताओं से मिल रहे हैं और उन्हें कुपोषण से लड़ने के तरीके बता रहे हैं
- 2017-बैच के आईएएस अधिकारी स्वप्निल ने कुपोषण और कम उम्र की लड़कियों को शादी से बचाने को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता बना लिया है
- वो युवा महिलाओं से मिलकर उन्हें परिवार नियोजन के महत्व पर भी सलाह देते हैं, आंगनबाड़ी वर्कर्स और अन्य अधिकारियों के साथ मिलकर डोर-टू-डोर काउंसलिंग से लड़ रहे हैं लड़ाई
हरियाणा के हिसार शहर में बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए काउन्सेलिंग की जा रही है। हिसार के अतिरिक्त उपायुक्त और 2017 बैच के आईएएस अधिकारी आईएएस स्वप्निल रविंद्र पाटिल द्वारा शुरू की गई इस पहल में आंगनबाड़ी वर्कर्स डोर टू डोर जाकर महिलाओं को कुपोषण के खिलाफ जागरूक कर रही हैं और उनकी काउन्सलिंग (परामर्श) कर उन्हें खान-पान को लेकर सलाह दे रही हैं। आईएएस अधिकारी खुद रोज फील्ड में जाते हैं और माताओं से मिलते हैं। इस पहल को लेकर बेहद सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही है।
पहल का मुख्य उद्देश्य है कि कुपोषित बच्चों की माताओं को पौष्टिक आहार के बारे में बताया जाए। इंडियन मास्टरमाइण्ड्स ने आईएएस स्वप्निल रविंद्र पाटिल से बातचीत की और उनकी इस पहल के बारे में विस्तार से जाना।
395 से 0 का सफर तय करना है
आईएएस स्वप्निल के अनुसार हिसार जिले में अभी 395 बच्चे हैं जो कुपोषण से ग्रसित हैं। इनमें से कुछ बच्चे गंभीर तीव्र कुपोषण (SAM) और कुछ मध्यम तीव्र कुपोषण की श्रेणी में आते हैं।
आईएएस स्वप्निल कहते हैं, “हमारा पूरा फोकस इन सभी बच्चों के स्वास्थ्य पर है। हमारी योजना है कि आंगनबाड़ी में हमारी सुपरवाईजर डोर टू डोर जाएंगी और माताओं की काउन्सलिंग करेंगी कि बच्चों को कुपोषण के खिलाफ कैसे लड़ना है और कौन सा पौष्टिक आहार देना है। सरकार आंगनबाड़ी के माध्यम से कई सारे पौष्टिक आहार ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं और बच्चों को देती है। लेकिन हमारा उद्देश्य है कि अगर हम इसके साथ उनकी काउन्सेलिंग भी करें और उन्हें बताएं कि कुपोषण के खिलाफ लड़ने के लिए क्या खाना है और कैसे खाना है, तो शायद ये ज्यादा बेहतर असर पैदा करेगा और जल्द ये लड़ाई जीत सकेंगे। हमारे यहां बाजरा के खाद्य पदार्थ बहुतायत में हैं और कुपोषण के खिलाफ बाजरा एक कारगर हथियार है, तो बाजरा से बनी चीजें खाने के लिए उन्हें बता रहे हैं।”
खुद संभाला मोर्चा
आईएएस स्वप्निल खुद खुद फील्ड में जाकर काउन्सेलिंग कर रहे हैं, इससे सभी को हौसला मिल रहा है। वो कहते हैं, “मैं खुद माताओं से मिल रहा हूं, क्योंकि जब बड़े अधिकारी खुद गांव तक पहुंचते हैं और उनका हौसला बढ़ाते हैं तो उन्हें भी लगता है कि सरकार बेहतर प्रयास कर रही है और उन्हें भी अपना योगदान देना चाहिए। वहीं, आंगनबाड़ी में आने वाले बच्चों को भी अलग से पौष्टिक आहार बना के भी खिलाया जा रहा है। हम उन्हें पीनट्स बटर जैसे आसानी से बनाए जाने वाले पौष्टिक और नुट्रिसियस आहार के बारे में बता रहे हैं। इसका बहुत अच्छा response हैं। हमें उम्मीद है कि हम जल्द ही इन बच्चों को कुपोषण से बाहर निकाल लेंगे।”
हरियाणा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी
हिसार में हरियाणा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी (चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय) है। इसमें सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बाजरा प्रोडक्ट विभाग है। आईएएस स्वप्निल की योजना है कि इस विभाग के साथ टाई अप करके कुछ पौष्टिक आहारों के बारे में जानकारी जुटाई जाए।
वो कहते हैं, “विभाग के साथ काम करने के बाद बहुत कुछ बेहतर निकाल कर आएगा। हम बच्चों को बाजरा बिस्किट, बाजरा केक आदि प्रोवाइड करेंगे। इससे बच्चों का न्यूट्रिशन लेवल बढ़ने की उम्मीद है। इसके अलावा कई बार बच्चों को फूड जो मिलता है, वो परिवार में अन्य लोग खा जाते हैं। इसलिए काउन्सेलिंग में इस बात पर भी जोर दिया जा रहा है कि बच्चों का खाना उन्हीं को दिया जाए।”
पहल में परिवार नियोजन भी अहम
इस पहल की खास बात यह है कि इसके तहत कई उद्देश्य पूरे किए जा रहे हैं। इसी में से एक है, परिवार नियोजन।
स्वप्निल कहते हैं, “छोटी लड़कियां जिनकी शादी कम उम्र में हो गयी है और अब उनका तीसरा या चौथा बच्चा है, तो अधिकतर केस में जो कुपोषण का शिकार होता है। उन्हें फैमिली प्लानिंग के लिए समझाया जा रहा है, क्योंकि कम उम्र में विवाह के बाद शरीर मातृत्व के लिए बेहतर तैयार नहीं होता और बच्चों का कुपोषण की जद में आने का खतरा बढ़ जाता है। इसका भी बहुत फर्क पड़ता है और हमति काउन्सेलिंग का ये भी एक अहम हिस्सा है।”
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