माओवाद प्रभावित गढ़चिरौली में प्रशासन की अनोखी मुहिम, रात में घर पर ही लगाई जा रही वैक्सीन
- Ayodhya Prasad Singh
- Published on 10 Dec 2021, 10:30 am IST
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हाइलाइट्स
- माओवादी प्रभावित इलाके गढ़चिरौली में प्रशासन को एक सर्वे से पता चला कई कारणों की वजह से आदिवासियों का दिन में नहीं हो पा रहा है टीकाकरण
- इसके बाद प्रशासन ने शुरू की गई अनोखी मुहिम, जहां रात में टीमें घर पहुंचकर लगा रही हैं वैक्सीन
- आईएएस संजय मीणा ने इंडियन मास्टरमाइण्ड्स से बातचीत में बताई टीकाकरण न हो पाने की वजहें और आगे की रणनीति
सरकार के सौजन्य से होने वाले अधिकतर कामों का एक तय वक्त होता है। उसके बाद वो काम मुश्किल से ही हो पाते हैं। ऐसे में अगर आपको पता चला कि एक जगह प्रशासन लोगों की सुविधा के लिए रात में टीकाकरण कर रहा है, तो यकीनन हैरानी होगी। ऐसा ही महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में हो रहा है। महाराष्ट्र-छत्तीसगढ़ की सीमा पर स्थित गढ़चिरौली जिला माओवादियों का गढ़ माना जाता है। लेकिन यहां प्रशासन आदिवासी इलाकों में रात में टीकाकरण की मुहिम चलाए हुए है।
समस्या ये थी कि आदिवासी दिन में काम पर चले जाते थे और टीकाकरण करने वाली टीम को मिलते नहीं थे। इसीलिए प्रशासन ने रात में टीकाकरण की मुहिम शुरू की। इंडियन मास्टरमाइण्ड्स ने गढ़चिरौली के जिलाधिकारी आईएएस संजय मीणा से इस मुहिम को लेकर बातचीत की। संजय ने बताया कि जिले के ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में टीकाकरण के लिए अब तक कुल 194 टीमें बनाई गईं हैं, जिसमें रात में टीकाकरण के लिए 30 टीमें हैं। कुल 15244 लोगों को रात में वैक्सीन लगाई है। इसमें 8554 लोगों को दोनों डोज लग चुकी हैं, वहीं 6690 लोगों को पहली डोज लगी है।
क्या था कारण
प्रशासन ने टीकाकरण को लेकर एक सर्वे कराया। इस सर्वे में बहुत से गांवों में वैक्सीन न लगाए जाने के कई कारणों की जानकारी मिली थी। आईएएस संजय मीणा ने इंडियन मास्टरमाइण्ड्स से बातचीत में कहा, “आदिवासियों की आजीविका का प्रमुख साधन खेती और जंगल है। सुबह के समय अधिकतर लोग खेतों में रहते हैं और फिर जंगल चले जाते हैं। इसके कारण वैक्सीन प्रोग्राम में दिक्कतें आ रही थीं। करीब 5 तालुकाओं में टीकाकरण न हो पाने की समस्या अधिक थी। इस बात को ध्यान में रखते हुए इन गांवों में रात के समय टीकाकरण अभियान की शुरुआत की गई। हमने नगर पंचायत सीईओ के साथ मिलकर डोर-टू-डोर अभियान चलाया है। हालांकि रात के समय माओवादी प्रभावित इलाके वाले गांव पहुंचना और यह अभियान चलाना बहुत मुश्किल है, लेकिन हमारी कोशिश है कि हर एक नागरिक को कोरोना टीका लगे।”
वहीं, जिला परिषद सीईओ आईएएस कुमार आशीर्वाद कहते हैं, “जिले के 100 गांवों में एक सर्वेक्षण से पता चला है कि लगभग 23 ऐसे कारण हैं जिनकी वजह से आदिवासी इलाकों में टीकाकरण नहीं हो पा रहा है। एक कारण तो यह था कि धान सहित कई फसलों का मौसम था। दूसरे आदिवासियों का जंगल में जाकर वन उपज संग्रह करना। इस वजह से ग्रामीणों दिन भर घर से दूर रहते थे।”
रात में टीकाकरण
प्रशासन ने इन समस्याओं का हल निकालते हुए जिला कलेक्टर संजय मीणा और जिला पंचायत सीईओ कुमार आशीर्वाद के नेतृत्व में माइक्रो लेवल प्लानिंग करते हुए काम किया। इस अभियान के माध्यम से 12 तालुकों में 124 दूरदराज के गांवों में टीकाकरण किया जा रहा है। टीमें गांवों में घर-घर जाती हैं और टीकाकरण करती हैं। एक उदाहरण देते हुए कुमार आशीर्वाद बताते हैं कि रात के समय स्वास्थ्य टीम ने इंद्रावती नदी और करजेली नाले से होते हुए सिरोंचा तालुका में झिंगनूर पीएचसी से लगभग 25 से 30 किलोमीटर दूर कोपेला गांव में 148 लोगों को टीका लगाया है। इससे आप समझ सकते हैं कि कितनी मुश्किलों के बाद भी टीकाकरण को अंजाम दिया जा रहा है।
आशीर्वाद कहते हैं कि इस अभियान से लोगों को काफी मदद मिली है। गांव के लोग भी इस अभियान से काफी खुश हैं, क्योंकि उन्हें टीकाकरण की सुविधा उनके दरवाजे पर दी जा रही है।
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