राजस्थान की शेरगढ़ सेंचुरी में होगा चीतों का बसेरा, बारां जिले के डीएम से जानिए क्या है फॉरेस्ट विभाग की तैयारी?
- Ayodhya Prasad Singh
- Published on 13 Jan 2022, 10:58 am IST
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हाइलाइट्स
- राजस्थान के बारां जिले में पर्यटन को लेकर की जा रही है खास पहल, शेरगढ़ सेंचुरी में दिखाई दे सकते हैं अफ्रीकन चीते
- पर्यटन को ध्यान में रखते हुए यहां परवन नदी में बोटिंग के साथ रियासत कालीन शिकारगाह नाहरिया माला से 3 किमी कराई जाएगी जंगल सफारी
राजस्थान के बारां जिले में पर्यटन को लेकर खास पहल की जा रही है। प्राकृतिक रूप से बेहद समृद्ध और अपनी शेरगढ़ सेंक्चुरी व शाहबाद के घने जंगलों के लिए देश भर में प्रसिद्ध बारां जिले को एक और शानदार सौगात मिल सकती है। यहाँ के जंगलों में पहली बार चीते देखने को मिल सकते हैं। इसके लिए वाइल्ड लाइफ की टीम जिले का दौरा भी कर चुकी है। भविष्य में बारां की शेरगढ़ सेंचुरी में 5 अफ्रीकन चीते छोड़े जा सकते हैं। हाल ही में वाइल्ड लाइफ की टीम ने मध्य प्रदेश के कूनो पालपुर और शेरगढ़ सेंचुरी का दौरा किया था। इसके बाद टीम ने कूनो पालपुर में काम शुरू कर दिया है। पहले कूनो पालपुर में चीते छोड़े जाएंगे। उम्मीद है कि कूनो पालपुर के बाद शेरगढ़ सेंचुरी में भी चीतों का नजर देखने को मिल सकता है।
बारां जिले के शेरगढ़ सेंक्चुरी में बड़ी संख्या में टूरिस्ट आते हैं। यहां अभी तीन लेपर्ड पहले से हैं। शेरगढ़ को चीतों के लिए बेहद उपयुक्त जगह मानी जाती है। यहां की परिस्थितियां जैसे घास के मैदान, प्रे-बेस, नदियां आदि चीते के बेहद अनुकूल हैं। इस सिलसिले में इंडियन मास्टरमाइण्ड्स की टीम ने बारां जिले के जिलाधिकारी राजेंद्र विजय और जिले के डीएफओ वी चेतन कुमार से बातचीत की।
शेरगढ़ सेंचुरी
शेरगढ़ सेंचुरी क्षेत्र में पहले से ही मौजूद नर लेपर्ड के साथ अब यहां इनकी संख्या 3 हो गई है। वन विभाग ने पिछले साल यहां दो मादा लेपर्ड भी छोड़ी हैं। इसके साथ ही यहां पर मगरमच्छ, जरख, लोमड़ी, काले हिरण, चिंकारा सहित कई अन्य वन्यजीवों का मूवमेंट लगातार देखा जाता है। शेरगढ़ सेंचुरी में इको सेंसिटिव जोन की सीमा का निर्धारण किया जा रहा है। इसके बाद से ही चारदीवारी निर्माण के बाद वन्यजीवों और जंगल की सुरक्षा बेहतर तरीके से सुनिश्चित हुई है। वाइल्ड लाइफ एक्टिविटी की गतिविधियां लगातार बढ़ रही हैं। परवन नदी का भी यहां एक विशेष आकर्षण है।
जिलाधिकारी राजेंद्र विजय ने इंडियन मास्टरमाइण्ड्स से बात करते हुए कहा, “हमने यहां पर्यटन पर बहुत से काम किए हैं। हमारे यहां tribal पर्यटन बहुत प्रमुख है। यहां सहरिया tribe है। यहां कृषि और इको-पर्यटन बहुत खास है। सवाई माधोपुर के रणथंभौर पार्क का विस्तार भी हमारे यहां है। एमपी के शिवपुरी की माधो सेंक्चुरी और कूनो पालपुर से लगता हुआ इलाका है हमारे यहां। तो इसलिए पर्यटन की बहुत संभावनाएं हैं। शेरगढ़ इलाका हमरे यहां चीता के लिए बहुत उपयुक्त है और हम इको-सेंसटिव एरिया भी उसके लिए विकसित कर चुके हैं। आप ऐसे मानिए कि चीता के लिए ये सबसे उपुक्त जगह है। इसलिए वाइल्ड लाइफ वाले इस पर कमा कर रहे हैं और भविष्य में आपको यहां अफ्रीकन चीते दिखाई दे सकते हैं।”
“इसके अलावा हमारे यहां शाहबाद का जंगल भी है, जो की बहुत घना है। वहां भी लेपर्ड को लेकर काम हो रहा है और जल्द ही बहुत कुछ शानदार देखने को मिलेगा। वाइल्ड लाइफ पे काम तो है ही बहुत अच्छा, साथ ही इको-पर्यटन भी बेहद खास है। वहीं नदियों को लेकर काम किया जा रहा है, जहां बोटिंग के लिए सुविधाएं बनाई जा रही हैं। कुछ पुराने आर्कियोलॉजिकल जगहें हैं, उनको भी सहेजा जा रहा है।”
जिले के डीएफओ वी चेतन कुमार ने इंडियन मास्टरमाइण्ड्स से बात करते हुए कहा, “शेरगढ़ में वाइल्ड लाइफ की टीम आई थी, क्योंकि इस इलाके को चीते के लिए बहुत बेहतर माना जाता है। और यह एमपी के कूनो पालपुर से लगा हुआ इलाका है। फिलहाल वाइल्ड लाइफ की टीम ने कूनो पालपुर के लिए काम शुरू कर दिया है और भविष्य में शेरगढ़ में भी अफ्रीकन चीते देखे जा सकते हैं। यह पहल अभी शुरुआती स्तर पर है। उम्मीद है कि जल्द ही कुछ बेहतर परिणाम सामने आएगा।”
इको सेंसिटिव जोन
एसीएफ अनुराग भटनागर ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि शेरगढ़ सेंचुरी के तहत इको सेंसिटिव जोन की सीमा निर्धारण किया जा रहा है। इसमें करीब 332 वर्ग किमी क्षेत्र शामिल होगा, जिससे यहां पर होटल, पर्यटक सुविधाओं में बढ़ोतरी होगी। पर्यटन से स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
वहीं पर्यटन को ध्यान में रखते हुए यहां परवन नदी में बोटिंग के साथ रियासत कालीन शिकारगाह नाहरिया माला से 3 किमी जंगल सफारी कराई जाएगी। पर्यटक बोटिंग से लेकर जंगल सफारी को एन्जॉय कर सकेंगे। वन विभाग की ओर से इसकी तैयारियां की जा रही हैं। एसीएफ अनुराग भटनागर के अनुसार शेरगढ़ में नाहरिया माला रियासत कालीन शिकारगाह तक परवन में बोट के जरिए ही पहुंचा जा सकता है। ऐसे में बोटिंग शुरू करवाकर नाहरिया माला तक टूरिस्ट लाएंगे। यहां से 2 से 3 किमी तक जंगल में ट्रैकिंग करवाई जाएगी। बोटिंग को लेकर टेंडर प्रक्रिया होगी। वहीं अन्य गतिविधियां वन वन विभाग के माध्यम से संचालित करवाई जाएंगी।
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