फीचर्स , बड़ों के बेमिसाल किस्से
असम के डीजीपी बोले – ‘खाकी की इज्जत’ मेरे लिए सबसे महत्वपूर्ण है
- Sharad Gupta
- Published on 11 Jul 2023, 11:15 am IST
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हाइलाइट्स
- असम के डीजीपी जीपी सिंह अपराधों में शामिल पुलिसकर्मियों को तुरंत सेवा से बर्खास्त कर रहे हैं
- उनका संदेश साफ है- कोई भी पुलिसकर्मी, चाहे वह किसी भी रैंक का हो, 'लक्ष्मण रेखा' को पार नहीं कर सकता
- असम-मेघालय कैडर के 1991 बैच के आईपीएस अधिकारी का यह भी कहना है कि सिस्टम साफ होने तक बर्खास्तगी जारी रहेगी
असम के पुलिस महानिदेशक यानी डीजीपी ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह को अपनी साहसिक कदमों के जरिये चर्चा में बने रहने का शौक है। कई बार ऐसा हुआ है, जब उनके सख्त कदमों ने विवाद भी पैदा किए हैं। पत्रकारों और कार्यकर्ताओं ने ऐसे कठोर कदमों की आवश्यकता पर सवाल उठाए हैं। हालांकि, जब कानून और व्यवस्था बनाए रखने की बात आती है, तो श्री सिंह अटल और अडिग दिखते हैं। जैसा कि असम में सीएए विरोधी आंदोलन के दौरान देखा गया था। जब आंदोलन पीक पर था और स्थिति तेजी से कंट्रोल से बाहर हो रही थी, तब केंद्र ने अशांति को दबाने के लिए श्री सिंह को असम में भेजा और वह उम्मीद और अपनी साख पर खरे उतरे।वह एक बार फिर खबरों में हैं। इस बार अपने ही लोगों को कड़ी सजा देने को लेकर। वह गंभीर रिश्वतखोरी, जुल्म और भ्रष्टाचार में शामिल पाए गए पुलिसकर्मियों को बर्खास्त करने यानी नौकरी से ही निकाल देने की मुहिम में लगे हुए हैं। इसके लिए उन्हें भारतीय पुलिस फाउंडेशन से खुलेआम तारीफ मिल रही है। इंडियन मास्टरमाइंड्स को दिए एक विशेष इंटरव्यू में असम के डीजीपी जीपी सिंह ने इस बारे में खुलकर बात की कि उन्हें क्यों लगता है कि उनकी “क्रूर” हरकतें उचित हैं और क्यों गंभीर मामलों में शामिल पुलिस कर्मियों की बर्खास्तगी सिस्टम को साफ करने तक जारी रहेगी। उन्होंने हमें अपने एक कम चर्चित पक्ष की झलक भी दिखाई। एक ऐसा पक्ष, जिसके बारे में केवल उनका परिवार और बहुत करीबी लोग ही जानते हैं। पढ़िए पूरा इंटरव्यू
हाल ही में आपने एक के बाद एक दो पुलिस अधिकारियों को सर्विस से ही बर्खास्त कर दिया। आपने ऐसा कठोर कदम क्यों उठाया?
असम पुलिस के प्रमुख का पद संभालने के बाद मैंने यह स्पष्ट कर दिया था कि ‘खाकी की इज्जत’ मेरे लिए सबसे महत्वपूर्ण है। मैंने असम पुलिस के कर्मियों को बता दिया था कि आपराधिक गतिविधियों में या रिश्वत लेते समय गिरफ्तार किए गए किसी भी व्यक्ति को कड़ी से कड़ी विभागीय कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। इसी के तहत हमने एक फरवरी, 2023 से विभिन्न रैंकों के 24 पुलिस कर्मियों को बर्खास्त कर दिया है।
क्या आपको लगता है कि यह कदम अन्य पुलिसकर्मियों को क्रिमिनल ऑफेंस करने से रोकेगा?
यह पुलिस नेतृत्व के नजरिये को स्पष्ट रूप से व्यक्त करता है। संदेश जोरदार और साफ है कि कोई भी पुलिसकर्मी, चाहे वह किसी भी रैंक का हो, ‘लक्ष्मण रेखा’ को पार नहीं कर सकता। मुझे यकीन है कि पुलिस बिरादरी को आगे चलकर एहसास होगा कि यही ठीक रहा और नियम तोड़ने वाले लोग लाइन में लगना शुरू कर देंगे। इनाम और सजा की नीति एक चलते रहने वाली प्रक्रिया है और इससे असम पुलिस के कामकाज में बदलाव आएगा।
आपने यह कैसे निर्णय लिया कि वे दो मामले दुर्लभ से भी दुर्लभ हैं, और बर्खास्तगी जरूरी है? खासकर रिश्वत लेने के मामले में हर दूसरे दिन कोई न कोई (सरकारी कर्मचारी) पकड़ा जाता है।
सबसे दुर्लभ घटना वह घटना थी, जहां नलबाड़ी जिले के घोगरापार पुलिस स्टेशन के इंचार्ज इंस्पेक्टर ने एक युवा लड़की की आपत्तिजनक तस्वीरें लीं। वह सेफ कस्टडी में थी। प्रत्येक पुलिसकर्मी के लिए थाना मंदिर है और नागरिकों के लिए सबसे सुरक्षित जगह। यदि ऐसी कोई घटना पुलिस स्टेशन में होती है, तो इसे दुर्लभ से दुर्लभतम माना जाना चाहिए और अपराधियों को जितनी हो सके, उतनी कड़ी सजा दी जानी चाहिए। मैंने स्वयं पुलिस स्टेशन का दौरा किया था। आरोपों को सच पाने के बाद ही मैंने असम पुलिस के प्रमुख के रूप में अपने अधिकार का इस्तेमाल करने का निर्णय लिया। मौजूदा कानून और नियमों के अनुसार ही मैंने उस इंस्पेक्टर को असम पुलिस से बर्खास्त करने का निर्णय लिया।
शिकारियों और ड्रग बेचने वालों के प्रति जीरो टॉलरेंस वाली पॉलिसी लागू करने के लिए आपकी सराहना की गई है। अब आप इस पॉलिसी को अपने विभाग में भी ले आये हैं। क्या आपको लगता है कि इसका कोई नेगेटिव प्रभाव पड़ सकता है?
सजा और इनाम साथ-साथ चलते हैं। जहां भी योग्य पुलिसकर्मियों ने अच्छा काम किया है, उन्हें पुरस्कार देने में मैं बेहद उदार हूं। साथ ही, मैं घिनौने कामों के लिए सजा देने के पक्ष में भी अटल हूं। हम राज्य की प्राइमरी रेग्युलेटरी शाखा हैं, और हम जनादेश को केवल तभी लागू कर सकते हैं जब हम निष्पक्ष, तटस्थ, ट्रांसपेरेंट हों। इस सबसे भी ऊपर, नियमों और कानूनों का पालन खुद करते भी दिखना होता है। फर्ज निभाने के दौरान पुलिस वालों से कुछ गलतियां हो सकती हैं। इसके लिए फिर ट्रेनिंग भेजने से लेकर सुधार के कई उपाय मौजूद हैं। लेकिन जब काम गलत इरादे से किया गया है, तो उसे दंडित किया ही जाना चाहिए। इसके अलावा, हम अपने पुलिसकर्मियों की कामकाजी और रहने की स्थिति में सुधार के लिए राज्य सरकार के साथ काम कर रहे हैं। इस दिशा में काफी प्रगति हुई है।
क्या ऐसी बर्खास्तगी अब एक नियमित रूप से होती रहेगी, या उदाहरण भर के लिए थी? या, असम पुलिस की उस छवि में सुधार करना था, जिसे बर्खास्त पुलिस वालों ने नुकसान पहुंचाया था? खासकर पूर्व ओसी के कार्यों को लेकर सवाल उठे थे।
2020 में जब मैंने डायरेक्टोरेट ऑफ विजिलेंस एंड एंटी करप्शन का अतिरिक्त प्रभार संभाला, तो मैंने उल्लेख किया था कि वीएंडएसी अन्य सरकारी अधिकारियों के साथ-साथ पुलिसकर्मियों के खिलाफ भी कार्रवाई करेगा। वर्तमान डायरेक्टर के तहत यह प्रयास जारी रहा है। उस समय मेरा खुद का यह मानना था कि ट्रैप मामलों में गिरफ्तार किए गए पुलिसकर्मियों सहित उन सरकारी अधिकारियों को कड़ी से कड़ी विभागीय कार्रवाई (सेवा से बर्खास्तगी सबसे गंभीर) का सामना करना चाहिए। अब डीजीपी और एचओपीएफ असम के रूप में मैं ऐसे मामलों में कार्रवाई की दिशा तय करने की स्थिति में हूं, और ऐसे मामलों में भी जहां आपराधिक कृत्यों में पुलिस वालों की संलिप्तता दुर्भावनापूर्ण प्रकृति की है, मैं कड़ी कार्रवाई करने में संकोच नहीं करूंगा।नलबाड़ी जिले के इंस्पेक्टर की बर्खास्तगी के हालात के कारण ही इस मुद्दे को इतना प्रचार मिला है। हम फरवरी से ऐसी कड़ी सजा दे रहे हैं और अब तक हमने 24 पुलिस कर्मियों को बर्खास्त कर दिया है। इस कार्य में मुझे असम सरकार, विशेषकर मुख्यमंत्री का पूरा समर्थन प्राप्त है। हमने 10 मई, 2021 से ट्रैप मामलों में गिरफ्तार सभी सरकारी अधिकारियों का विवरण सरकार को दे दिया है। मुझे आशा है कि विभाग सभी रंगे हाथ गिरफ्तार किए गए सरकारी सेवकों के खिलाफ इसी तरह की कार्रवाई करेगा।
यह थोड़ा पर्सनल है। आप एक बहुत ही सख्त पुलिस अधिकारी के रूप में जाने जाते हैं। खासकर अपराधों और अपराधियों को लेकर। जब कानून और व्यवस्था लागू करने की बात आती है, तो अडिग रहते हैं।क्या आप अंदर से वैसे ही हैं? या, बाहर से कठोर और भीतर से नरम किस्म के हैं?
मजबूत इरादा रखना एक अंदरूनी गुण है। मैं सख्त नहीं हूं, लेकिन कानून को पूर्ण रूप से लागू करने को लेकर अटल हूं। अगर कानून मुझे कड़ी कार्रवाई करने की इजाजत देता है, तो मैं संकोच नहीं करता। कोई भी व्यक्ति, जो कड़ी कार्रवाई का हकदार नहीं है, उसे ऐसी स्थिति का सामना कतई नहीं करना पड़ता है। मैं थोड़ा इंट्रोवर्ट हूं, अपने तक ही सीमित रहता हूं और जरूरत पड़ने पर स्थिति, लोगों या मीडिया से डरे बिना सामना करता हूं। लाइमलाइट में आने से जरूर बचता हूं।
जब आप पुलिस ड्यूटी में नहीं होते, तो आप क्या करना पसंद करते हैं या क्या करने में आनंद आता है?
मुझे अपने परिवार के साथ समय बिताना प्रिय है। वे मेरी प्रेरक शक्ति हैं और सही और गलत का मार्गदर्शक हैं। वे मेरे सबसे मजबूत और कठोर आलोचक हैं। वे मेरी अंतरात्मा के रक्षक हैं, मेरे निर्णयों और निर्णय लेने की क्षमता के बैरोमीटर हैं। मैं फुर्सत में समसामयिक और प्रोफेशनल रुचि का साहित्य पढ़ने में समय बिताता हूं।
आप और कुछ भी कहना चाहेंगे, शायद युवा आईपीएस अधिकारियों और आगे अधिकारी बनने की इच्छा रखने वालों के लिए कोई संदेश, जो आपको आदर्श के रूप में देखते हैं?
युवा आईपीएस अधिकारियों को अपनी ‘खाकी की इज्जत’ के लिए जीना और काम करना चाहिए। उन्हें अपने विवेक को ही अपने शब्दों और कार्यों का निर्णायक बनने देना चाहिए। नागरिक समाज के लिए मुझे बस एक ही बात कहनी है- पुलिस समाज का ही हिस्सा है। पुलिस तभी बेहतर हो सकती है, जब समाज में सुधार हो।
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