दीदी बर्तन बैंकः एक ऐसी शुरुआत, जो सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग को कम कर दे रही रोजगार
- Ayodhya Prasad Singh
- Published on 27 Jun 2023, 10:49 am IST
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हाइलाइट्स
- छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में 2017 में शुरू हुआ था दीदी बर्तन बैंक
- ये बैंक न केवल कम कीमत पर बर्तन देते हैं, बल्कि सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग को भी कम करते हैं
- इन बैंकों की मदद से महिलाओं की भी हो रही अच्छी कमाई
सिंगल यूज प्लास्टिक के कारण बढ़ते प्रदूषण और इसके हानिकारक प्रभावों से बचाने के लिए सरकार को बड़े पैमाने पर अभियान चलाना पड़ रहा। मगर, छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में अंबिकापुर नगर निगम ने दिखाया है कि एक छोटी-सी शुरुआत से भी इस लड़ाई को जीता जा सकता है। साथ ही रोजगार भी पैदा किया जा सकता है।यहां ‘दीदी बर्तन बैंक’ (सिस्टर्स यूटेंसिल बैंक) जैसी पहल 2017 में शुरू की गई थी। प्लास्टिक के उपयोग को कम करने और सेल्फ एंप्लॉयमेंट यानी स्वरोजगार पैदा करने के लिए नगर निगम ने महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) को बर्तन बैंक शुरू करने में मदद की। इससे न केवल शहर में प्लास्टिक के निपटारे में कमी आई, बल्कि सीधे तौर पर 80 महिलाओं और परोक्ष रूप से सैकड़ों लोगों को रोजगार भी मिला। हालांकि छोटे पैमाने पर शुरू किए गए एसएचजी ने अब तक 12 लाख रुपये से अधिक का रेवेन्यू हासिल कर लिया है।हाल ही में 2018 बैच की आईएएस अधिकारी और अंबिकापुर नगर निगम की कमिश्नर प्रतिष्ठा ममगाईं ने इन स्वयं सहायता समूह के दीदी बर्तन बैंकों को टेंट हाउस तक ले जाने में मदद की। इंडियन मास्टरमाइंड्स से बातचीत में प्रतिष्ठा ने इस खास पहल के बारे में काफी कुछ बताया।
कैसे हुई शुरुआत
शहर में अलग-अलग स्थानों पर आठ स्वयं सहायता समूह हैं। इनमें से प्रत्येक में 10 महिलाएं हैं। अंबिकापुर नगर निगम ने जब यह पहल शुरू की और इसे दूसरों के लिए मॉडल बनाया, तो शुरू में लगा कि यह सफल नहीं हो पाएगा। लेकिन जल्द ही इसके परिणाम दिखने लगे। इस योजना की शुरुआत सितंबर 2018 में तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने की थी। वैसे बैंक की शुरुआत 2017 में ही हो गई थी।देखा गया है कि छोटे-छोटे समारोहों में भी लोग प्लास्टिक डिस्पोजल का खूब इस्तेमाल करते हैं। इससे काफी कचरा पैदा होता है। शहर में चारों तरफ गंदगी फैल जाती है। यह सारी गंदगी सड़कों पर भी दिखाई देती है, क्योंकि कार्यक्रम खत्म होते ही डिस्पोजल ज्यादातर सड़कों पर ही फेंक दिए जाते हैं।
ऐसी ही समस्या से परेशान नगर निगम ने इससे निजात पाने के लिए कुछ करने की सोची। बड़े कार्यक्रमों में तो कूड़ा आसानी से जमा हो जाता है, लेकिन यदि किसी के घर में कोई छोटा-सा कार्यक्रम हो तो सारा कूड़ा या तो सड़क पर या अन्य सार्वजनिक स्थानों पर फेंक दिया जाता है। इसलिए निगम ने शादी और अन्य पार्टियों में प्लास्टिक डिस्पोजल का इस्तेमाल रोकने के लिए बर्तनों की व्यवस्था शुरू की।ये बर्तन बहुत ही कम कीमत पर मिलते हैं। एक सेट का किराया 7 से 10 रुपये तक है, जो बाजार कीमत से 30 फीसदी कम है। ये बर्तन बैंक पूरी तरह से महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा चलाए जाते हैं और किराया भी उन्हीं को जाता है।प्रतिष्ठा कहती हैं, ‘हमने सोचा था कि अगर वार्डों और मोहल्लों में छोटे-छोटे बर्तन बैंक बनाए जाएं, तो जब भी किसी के यहां कोई कार्यक्रम हो तो वह वहां से बर्तन किराये पर ले सकते हैं। ये बर्तन दोबारा इस्तेमाल योग्य होंगे। इससे रोजगार पैदा होगा और सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं होगा और इससे हमारा पर्यावरण भी बचा रहेगा।’
रोजगार बढ़ा
केंद्र सरकार की नेशनल अर्बन लाइवलीहुड मिशन (एनयूएलएम) योजना में रजिस्ट्रेशन कराने वाले लोगों को सेल्फ एंप्लॉयमेंट यानी स्वरोजगार की ट्रेनिंग दी जाती है। अंबिकापुर नगर निगम ने बर्तन बैंक चलाने के लिए एनयूएलएम से महिलाओं का चयन किया। पहले उन्हें प्रशिक्षण दिया गया और फिर उनके स्थानों के अनुसार स्वयं सहायता समूहों का गठन किया गया। अब कुल आठ स्वयं सहायता समूह मौजूद हैं, जिनमें 80 महिलाएं हैं। निगम ने समूहों को बहुत कम ब्याज दरों पर लोन लेने में मदद की।
बर्तन से टेंट तक
कुछ समय बाद लोगों की मांग पर महिलाओं ने बर्तन उपलब्ध कराने के साथ-साथ समारोह में उपयोग होने वाले अन्य सामान की भी व्यवस्था करने की बात कही। इसलिए निगम ने 8 लाख का बजट बनाकर इन बैंकों को टेंट हाउस में तब्दील कर दिया। नए उपकरण खरीदे गए और अब बैंकों में तंबू, कुर्सियां, मेज, भट्टियां, पंडाल, ट्रे, कंटेनर और ऐसी अन्य वस्तुएं भी रखी जाती हैं। अब उनके पास एक समय में 800 लोगों को सर्विस देने की क्षमता है। वे बड़े ऑर्डर भी ले सकती हैं।
दिख रहा फायदा
बिजनेस अब फल-फूल रहा है। इससे कमाई बढ़ने के साथ-साथ रोजगार भी पैदा हो रहा है। प्रतिष्ठा ने कहा, ‘अब तक इस पहल का अच्छा प्रभाव पड़ा है। इससे न केवल शहर में यूज होने वाले प्लास्टिक में कमी आई, बल्कि सीधे तौर पर और परोक्ष रूप से रोजगार भी पैदा हुआ। इस अभियान से शहर की सड़कों और सार्वजनिक क्षेत्रों में प्लास्टिक की प्लेटों, गिलासों और कटोरियों के अंधाधुंध निपटान को कम करने में मदद मिली है। इससे हमारे पर्यावरण को काफी मदद मिल रही है। इसलिए, हम कह सकते हैं कि सिंगल यूज प्लास्टिक के खिलाफ हमारा अभियान अच्छा परिणाम ला रहा है। दीदी बर्तन बैंक इस सफलता में एक बड़ी भूमिका निभा रहे हैं।‘
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