दिल्ली पुलिस के कांस्टेबल राम भजन कुमार की प्रेरक कहानी, आठवीं कोशिश में पाई यूपीएससी में सफलता
- Sharad Gupta
- Published on 15 Jun 2023, 3:57 am IST
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हाइलाइट्स
- देश भर में लाया 667वां स्थान
- राजस्थान के दौसा जिले के बापी के रहने वाले हैं राम भजन
- वह अब भारतीय राजस्व सेवा के अधिकारी बनने के लिए इच्छुक हैं
वर्दी को पसंद करने वाले दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल राम भजन कुमार हमेशा से भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारी बनने की चाहत रखते थे। हालांकि, उनकी यह इच्छा अधूरी रह गई, क्योंकि वह इस साल यानी 2023 की प्रीलिम्स में पास नहीं हो सके। सीसैट के कठिन पेपर ने अचानक उनकी इस यात्रा पर विराम लगा दिया। यह उनका नौवां और आखिरी प्रयास था। इसमें भी वह सफल नहीं हो सके, इसलिए यूपीएससी की उनकी यात्रा यहीं रुक गई।
लेकिन, एक दूसरी और समान इज्जत देने वाली नौकरी उनका इंतजार कर रही है। उन्होंने 2022 में 667वीं रैंक के साथ यूपीएससी पास कर लिया है। इसलिए अब वह भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) में शामिल होने के लिए उत्साहित हैं। उनकी आखिरी पोस्टिंग दिल्ली पुलिस की साइबर क्राइम यूनिट में थी।
राम भजन ने हिंदी मीडियम से सिविल सेवा परीक्षा में सफलता हासिल की है। इंडियन मास्टरमाइंड्स के साथ खास बातचीत में उन्होंने अपनी इस कठिन यात्रा में बारे में बताया।
दिहाड़ी मजदूर हैं माता-पिता
घर की मजदूर (श्रमिक वर्ग) और मजबूर (हताश) स्थिति को बदलने के लिए 2009 में राम भजन दिल्ली पुलिस के कांस्टेबल बन गए। उन्होंने राजस्थान के दौसा जिले के बापी जैसे एक छोटे-से गांव के सरकारी स्कूल में पढ़ाई की थी। दिल्ली पुलिस में भर्ती होने के बाद उन्होंने राजस्थान यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन किया। दिल्ली पुलिस की सेवा के दौरान वह अपने सीनियर अधिकारियों से काफी प्रेरित होते थे। इनमें से कुछ आईपीएस अधिकारी भी थे।
उन्होंने इस बारे में पता लगाया कि कैसे आईपीएस अधिकारी बना जाता है। इसके बाद उन्होंने तीन बार राजस्थान सिविल सेवा की परीक्षा दी और हर बार असफल रहे। हालांकि, 2011 में वह ऑल इंडिया जेआरएफ (जूनियर रिसर्च फेलो) परीक्षा में सफल हो गए। इससे उनका हौसला बढ़ा और फिर 2015 से उन्होंने यूपीएससी का सफर शुरू किया।
हिंदी मीडियम से पास की सिविल सेवा
राम भजन ने हिंदी मीडियम से यूपीएससी सिविल सेवा की परीक्षा दी। सात बार वह फेल हो गए, लेकिन आठवें और एक तरह से अंतिम प्रयास में उन्होंने देश भर में 667वां स्थान हासिल करते हुए सफल हो गए। अपनी तैयारी का जिक्र करते वक्त वह यह मानते हैं कि यह सब आसान नहीं रहा। हिंदी में किताबें आसानी से नहीं मिलती थीं, जो उनके लिए एक समस्या थी। इसलिए उन्होंने पढ़ाई तो अंग्रेजी में की, लेकिन हिंदी में लिखकर इस समस्या को हल करने का फैसला किया।
राम भजन का कहना है कि उन्होंने रटने के बजाय समझने पर जोर दिया। विषय की गहरी समझ से जो रिजल्ट आए, उससे परीक्षा में लिखना आसान हो गया।
यूपीएससी की तैयारी
उनका ऑप्शनल सब्जेक्ट हिंदी साहित्य था। किताबों के अलावा उन्होंने हिंदी मैग्जीन पढ़ने की भी अपनी आदत बना ली थी। उन्होंने 40 टेस्ट दिए और उत्तर लिखने का काफी अभ्यास किया (2000 पेज उन्होंने लिखा)। उन्होंने लक्ष्मीकांत, एनसीईआरटी और स्पेक्ट्रम (हिंदी) की पढ़ाई की।
साल 2015 में उन्होंने छह महीने के लिए सिविल सर्विस क्रॉनिकल कोचिंग ज्वाइन की। मां की बचत से पैसा उधार लिया, क्योंकि वह अपने 15000 रुपये के वेतन से इसे वहन नहीं कर सकते थे। लेकिन ड्यूटी शिफ्ट में होने के कारण उन्हें आखिरी महीने कोचिंग छोड़नी पड़ी। इससे पहले वह रात की ड्यूटी पर थे और दिन में कोचिंग जाते थे।
जितनी ड्यूटी, उतनी पढ़ाई
नौकरी पर आने-जाने में कम समय लगे, इसलिए राम भजन अपनी पोस्टिंग वाली जगह के पास ही एक कमरा ले लेते थे। उन्होंने ड्यूटी के आधार पर दिन या रात में लगभग 8 घंटे रोज पढ़ाई की। वह कहते हैं, ‘मैंने ड्यूटी और तैयारी को संतुलित करने के लिए व्यवहार्य लक्ष्य बनाए। मैं बहुत थक जाता था, लेकिन इससे मुझे समय को अधिक महत्व देने में मदद मिली।’ साथ ही उन्होंने कहा कि आराम के लिए हर दिन वह छह घंटे सोते थे।
उन्होंने खुद को एक से अधिक कार्य करने के लिए प्रशिक्षित किया। इसमें वह निपुण भी हो गए। राम भजन कहते हैं, ‘मैंने अपने परिवार, नौकरी और पढ़ाई के बीच संतुलन बनाना सीखा।’ उस वक्त तक उनकी शादी हो चुकी थी। दो बच्चे भी हैं। उन्होंने 2012 में अंजली कुमारी से शादी की और उनकी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी कराने में मदद की। वह कहते हैं कि पति-पत्नी दोनों का एक समान स्तर पर होना काफी जरूरी होता है।
वह अपनी सफलता का श्रेय पत्नी और दोनों बच्चों को देते हैं। उन्होंने कहा, ‘मेरी सफलता में इन सभी का योगदान है। उन्होंने कभी मेरा समय कम मिलने की शिकायत नहीं की। यह एक संयुक्त संघर्ष था और हम सब जीत गए।’ यह उनके परिवार का बलिदान ही था, जिसने उन्हें और अधिक प्रेरित किया, क्योंकि उन्हें लगा कि उनका बलिदान व्यर्थ नहीं जाना चाहिए। वह कहते हैं कि मैं कैसे उन लोगों को निराश कर सकता हूं।
क्या 7 बार फेल होने से टूट गए थे?
इसके जवाब में रामभजन कहते हैं- नहीं, कभी नहीं। मैं तब ही दुखी होता, जब अपनी गलतियों को नहीं निकाल पाता। हर बार जब मैं यह पता कर लेता था कि परीक्षा में मैंने क्या गलतियां की हैं, तो मुझे इससे प्रेरणा मिलती थी। हर प्रयास के बाद उन्होंने अपनी गलतियों का विश्लेषण किया और अपनी कमजोरियों पर ध्यान केंद्रित किया। वह कहते हैं कि आप तब ही विफल होते हैं, जब आप प्रयास करना छोड़ देते हैं। इस मानसिकता को उन्होंने अपने आठवें प्रयास तक जारी रखा और वह सफल हो गए।
इंटरव्यू में पूछे गए सवाल
इंटरव्यू के दौरान उनसे करीब 60 फीसदी सवाल पुलिस की नौकरी से जुड़े थे। साइबर क्राइम से निपटना, पुलिसकर्मी अक्सर ड्यूटी पर क्यों सोते हैं, और महिलाओं के खिलाफ अपराध क्यों बढ़ रहे है आदि सवाल पूछे गए। आखिरी सवाल एक महिला सदस्य ने पूछा था, लेकिन उनके जवाब ने सभी सदस्यों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
उनका जवाब था कि हमारा ध्यान ही गलत दिशा में है। चूंकि यह महिलाओं से जुड़ा मसला है, इसलिए हमें ध्यान पुरुषों पर देना चाहिए। उन्हें बचपन से ही अच्छे संस्कार देने चाहिए, ताकि वे बड़े होकर महिलाओं का सम्मान करना सीखें। महिलाओं के लिए उन्होंने कहा कि उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बनाने पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने समझाया कि महिलाओं को मानसिक रूप से इसलिए मजबूत होना चाहिए, ताकि वे अपने आसपास के खतरों को पहचानना सीखें। शारीरिक रूप से इसलिए मजबूत होना चाहिए, ताकि वे अपने दम पर खतरे से निपट सकें।
हिंदी वालों के लिए खास टिप्स
यूपीएससी के नौ प्रयासों और एक कठिन जीवन ने राम भजन को इस धरती पर उनके 34 वर्षों से अधिक समझदार बना दिया है। हिंदी मीडियम के उम्मीदवारों को वह पहली और महत्त्वपूर्ण सलाह देना चाहेंगे कि वे बेसिक सिलेबस पर ध्यान दें और संसाधनों को सीमित करें। वह कहते हैं कि एक ही विषय पर अनेक पुस्तकों के स्थान पर एक ही पुस्तक पर टिके रहें और बार-बार गहन अध्ययन करें।
अपने परिवार से पहले ग्रेजुएट और अब पहले सिविल सेवक बने राम भजन कुमार की एक और सलाह सभी यूपीएससी उम्मीदवारों के लिए है कि कभी भी हिम्मत मत हारो। पूरी जान लगा दो (अपना सब कुछ दे दो), जैसे कि यह आखिरी कोशिश है!
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