चार बार प्रीलिम्स में फेल होने वाली गुंजिता को आखिरकार कैसे मिली यूपीएससी-2022 में 26वीं रैंक
- Bhakti Kothari
- Published on 15 Jun 2023, 3:38 am IST
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हाइलाइट्स
- गुंजिता अग्रवाल ने आखिरकार सिविल सेवक बनने का सपना पूरा किया
- पांचवें प्रयास में सीएसई 2022 में पाई सफलता
- कभी हार नहीं मानने से उन्हें सफलता हासिल करने में मदद मिली
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में सफलता पाना काफी कठिन होता है। हालांकि कुछ लोग इतने सौभाग्यशाली होते हैं कि वे अपने पहले प्रयास में ही परीक्षा में सफल हो जाते हैं, वहीं दूसरों को अंततः सफल होने से पहले कई असफल प्रयास करने पड़ते हैं। लेकिन मायने यह रखता है कि अभ्यर्थी कोशिश जारी रखे और कभी हार न माने। कुछ इसी तरह की कहानी गुंजिता अग्रवाल की भी है, जिन्होंने अपने पांचवें प्रयास में देश भर में 26वां स्थान लाकर यूपीएससी पास करने के अपने सपने को पूरा कर लिया। इंडियन मास्टरमाइंड्स ने उनकी इस यात्रा को जानने के लिए उनसे बातचीत की।
गुंजिता के पिता कर्मचारी चयन बोर्ड में सहायक अभियंता हैं और उनकी मां गृहिणी हैं। तीन भाई-बहनों में सबसे छोटी गुंजिता कहती हैं कि उनके परिवार ने उनकी सफलता में सबसे महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई क्योंकि उन्होंने परीक्षा पास करने से पहले चार बार असफल होने के बावजूद उनका साथ नहीं छोड़ा। जब हर कोई इस बात पर बहस कर रहा था कि हाईस्कूल के बाद कहां करियर बनाना है, गुंजिता यूपीएससी पास करने और आईएएस अधिकारी बनने के सपने संजो रही थीं। यही वजह है कि बेहतर तैयारी के लिए उन्होंने अपने परिवार के करीब ही भोपाल में रहने का विकल्प चुना।
इंडियन मास्टरमाइंड्स से गुंजिता ने बताया, ‘ग्रेजुएशन के पहले दो सालों में मैंने मुश्किल से ही तैयारी की थी। मैं कॉलेज के दौरान ज्यादातर सामाजिक कार्यों में शामिल थी जिसने एक सिविल सेवक बनने और अपने देश की सेवा करने की मेरी इच्छा को और मजबूत किया।’
पांचवां प्रयास
गुंजिता ने कॉलेज के तीसरे साल में जाते ही अपनी तैयारी शुरू कर दी थी। हालांकि, कॉलेज के काम और शिक्षाविदों ने उसे प्रभावी ढंग से अध्ययन करने की अनुमति नहीं दी। इसलिए, एक बार जब उन्होंने कॉलेज की पढ़ाई खत्म कर ली तो फिर उन्होंने पूरी तरह से अपनी तैयारी पर ध्यान केंद्रित करने का मन बना लिया और यूपीएससी सीएसई को पास करने के लिए खुद को तीन साल का समय दिया।
गुंजिता ने कहा, ‘मैं साल 2018 से परीक्षा दे रही हूं, फिर भी मैं प्रीलिम्स में ही फेल हो जाती थी। यह मेरा पांचवां प्रयास था और मैंने इसे इंडियन स्कूल ऑफ़ पब्लिक पॉलिसी में अपना पोस्ट-ग्रेजुएशन पूरा करते समय दिया। मैंने पिछले साल फेल होने के बाद तकनीकी रूप से यूपीएससी की तैयारी छोड़ दी थी और तय कर लिया था कि यह मेरा आखिरी प्रयास होगा।’
वह काफी आश्चर्यचकित हुईं जब उन्हें पता चला कि वह सिविल सेवा 2022 की प्रीलिम्स में सफल हो गई हैं। फिर उन्होंने पढ़ाई जारी रखने का फैसला किया। उनकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा जब उन्होंने मेन्स और इंटरव्यू दोनों राउंड इतनी अच्छी रैंक के साथ क्लियर कर लिया और अपने एक लंबे समय के सपने को पूरा किया। इस सपने को उन्होंने कुछ महीने पहले ही लगभग छोड़ दिया था। उन्होंने सोशियोलॉजी को अपना ऑप्शनल विषय रखा था क्योंकि अन्य बातों के अलावा, महिला सशक्तीकरण, गरीबी और भूख उन्मूलन तथा जाति व्यवस्था की चिंताओं के लिए काम करने में उनकी हमेशा से रुचि रही है।
इंटरव्यू का दौर
गुंजिता का दावा है कि मॉक इंटरव्यू के दौरान सदस्य केवल आपके ज्ञान की सतह को खंगालते हैं। हालांकि यूपीएससी के पैनलिस्ट चाहते हैं कि आप अपने परिवेश, क्षेत्र, लोगों और जीवन के हर एक तत्व से अवगत रहें।
गुंजिता ने इंडियन मास्टरमाइंड्स को बताया, ‘वे विशिष्टता चाहते हैं और आपको वही देना चाहिए। मुझे याद है कि मैं अपने डीएएफ (विस्तृत आवेदन फॉर्म) के साथ बैठी थी और उस पर मैंने जो कुछ भी लिखा था, उसी से सवाल पूछे जा रहे थे। मैं वर्तमान घटनाओं, विशेष रूप से रूसी-यूक्रेन युद्ध के लिए भी पूरी तरह तैयार से थी। इंटरव्यू के दौरान आपका व्यक्तित्व ही सब कुछ है। आत्मविश्वासी और विनम्र होने से अच्छे अंक प्राप्त करने में मदद मिल सकती है।’
दिलचस्प सवाल
गुंजिता से प्रसिद्ध कहावत, ‘कहां राजा भोज और कहां गंगु तेली’ और वाक्यांश में वर्णित दो राजाओं के वास्तविक जीवन और इतिहास के बारे में सवाल पूछा गया था। उनसे मिक्स्ड जेंडर क्रिकेट टीम पर उनके विचारों को पूछा गया था और क्या ऐसी टीम को लागू करने के लिए यह क्षण उपयुक्त है? इंटरव्यू लेने वाले सदस्यों ने यह भी पूछा।
गुंजिता कहती हैं, ‘मैं टेनिस भी देखती हूं और इसे अपने उत्तर के संदर्भ के रूप में इस्तेमाल किया क्योंकि मिश्रित युगल टेनिस में अविश्वसनीय रूप से अच्छी तरह से काम करता है और महिला आईपीएल आने के साथ मेरा मानना है कि क्रिकेट में मिक्स्ड जेंडर टीमों को पेश करने का यह सही समय है।’
भावी योजनाएं
नए ब्यूरोक्रेट का उद्देश्य विभिन्न राज्यों और इलाकों में होने वाली क्षेत्रीय कठिनाइयों पर काम करना है। उन्हें लगता है कि इन कठिनाइयों से निपटकर वे क्षेत्र के निवासियों को स्वत: सशक्त बनाने में सक्षम होंगी। वह शिक्षा को महिला और बाल विकास से जोड़ने के लिए विशेष रूप से भावुक हैं, जो उनका मानना है कि भारत की विकास यात्रा में एक महत्त्वपूर्ण अंतर ला सकता है।
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