सिविल सेवक बनने के लिए क्या करना पड़ता है, जानिए कानपुर के दिव्यांक गुप्ता से
- Muskan Khandelwal
- Published on 14 Jun 2023, 11:26 am IST
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हाइलाइट्स
- अपने तीसरे प्रयास में हासिल किया 357वां स्थान, रैंक सुधारने के लिए इस साल भी प्रीलिम्स दिया है
- प्रीलिम्स के लिए 10 हजार सवाल हल किए, जीएस की 25 टेस्ट दी, ऑप्शनल के लिए 40 टेस्ट दिए और 80 मॉक इंटरव्यू में शामिल हुए
- ऐसे जॉब की है तलाश, जिसमें वेतन के बजाय संतुष्टि सबसे अधिक मिले
देश की सबसे प्रतिष्ठित और कठिन परीक्षा UPSC – CSE में सफल होने का दबाव समय के साथ बढ़ रहा है। कई कैंडिडेट लगातार फेल होने के बाद निराश हो जाते हैं। इतना कि मैदान ही छोड़ देते हैं। लेकिन, प्रीलिम्स और मेन्स के दौरान मानसिक तनाव से लड़कर कानपुर के दिव्यांक गुप्ता न सिर्फ इससे उबरे, बल्कि UPSC CSE-2022 में सफलता भी हासिल कर ली। इस परीक्षा में दिव्यांक को 357वीं रैंक मिली। इंडियन मास्टरमाइंड्स के साथ बातचीत में उन्होंने इसे अनूठा अहसास कहा।
आईआईटी कानपुर से यूपीएससी तकः
कानपुर में जन्मे और पले-बढ़े दिव्यांक गुप्ता ने आईआईटी कानपुर से बी.टेक किया। बीटेक पूरा करने के बाद उन्होंने तय किया कि वह नौकरी नहीं करेंगे, बल्कि यूपीएससी की तैयारी करेंगे। उनके पिता किराना की दुकान चलाते हैं। मां गृहिणी हैं।
दिव्यांक का यह तीसरा प्रयास था। दो बार पहले वह फेल हो चुके थे। वह 2020 में इंटरव्यू राउंड तक गए थे, लेकिन अंतिम सूची में जगह बनाने में वह सफल नहीं हो सके थे। वर्ष 2021 में वह प्रीलिम्स तक नहीं निकाल पाए थे, लेकिन 2022 में उन्होंने 357वां स्थान लाकर यूपीएससी पास कर लिया।
हालांकि, यह यूपीएससी की उनकी यात्रा का अंत नहीं है। इसलिए कि उन्होंने इस साल भी प्रीलिम्स की परीक्षा दी है। उन्होंने इंडियन मास्टरमाइंड्स से कहा, ‘मैंने रैंक में सुधार के लिए इस बार भी परीक्षा दी है। मुझे पूरा यकीन है कि मैं इसमें सफल हो जाऊंगा।’
कहां से मिली प्रेरणाः
यह पूछे जाने पर कि किसने उन्हें सीएसई की तैयारी के लिए प्रेरित किया, उन्होंने बताया कि नौकरी के नेचर ने उन्हें बहुत प्रभावित और प्रेरित किया। वह कहते हैं, ‘मैं किसी डेस्क जॉब की तलाश में नहीं था, जो आपको वेतन तो बहुत अधिक दे लेकिन संतुष्टि नहीं मिले। इसलिए, मैंने सीएसई की ओर बढ़ने का फैसला किया। वहां आप जो प्रभाव डाल सकते हैं, वह बहुत अधिक है।’
उनके दिमाग में हमेशा यह विचार आता था कि इसकी तैयारी क्यों शुरू की और इसी से उन्हें प्रेरणा भी मिलती थी। उन्होंने कहा कि मेरा परिवार, खास कर मेरे भाई ने इस पूरी यात्रा में पूरा साथ दिया। साथ ही उन्होंने कहा कि जब भी वह निराश होते थे, उनके भाई साथ खड़े होते थे। उन्हें ट्रैक पर वापस आने और नए सिरे से शुरुआत करने में मदद करते थे।
मैथ्स को बनाया ऑप्शनलः
दिव्यांक की रणनीति सबसे पहले सिलेबस को समझने और उसे अपने दिमाग में रखने की थी। इसके साथ ही उन्होंने पिछले वर्ष के प्रश्नपत्रों को देखा। इससे उन्हें कुछ हद तक प्रश्नों की पहचान करने में मदद मिली। उन्होंने कहा कि मैं उन सवालों के लिए पहले से तैयार था। प्रीलिम्स के लिए उन्होंने लगभग 10,000 प्रश्न हल किए। मेन्स के लिए उन्होंने अकेले जीएस के 25 टेस्ट लिखे और ऑप्शनल सब्जेक्ट के लिए 40 टेस्ट दिए। इससे उन्हें काफी मदद मिली।
साथ ही इंटरव्यू में वह जिस बोर्ड में थे, उसमें उन्हें सर्वाधिक नंबर मिले। इंटरव्यू के लिए उन्होंने अपने एक दोस्त के साथ प्रैक्टिस की और 70-80 मॉक टेस्ट दिए। उन्होंने कहा, ‘मैंने इस हद तक प्रैक्टिस किया कि इंटरव्यू में जो सवाल पूछे गए, वे वास्तव में उन्हीं सेशन से थे जो हमने किए थे।’ सही रवैया और मानसिक सतर्कता के साथ दिव्यांक इस बार इंटरव्यू में 151 से 201 अंक तक पहुंचने में कामयाब रहे।
उन्होंने मैथ्स को अपना ऑप्शनल रखा था। इसके लिए उन्होंने अपने सीनियर से सलाह ली। फिर इसकी काफी मैटेरियल भी जुटाई। उन्होंने इस विषय को इसलिए चुना. क्योंकि मैथ्स में वह हमेशा अच्छे थे। वैसे भी इसमें अच्छे नंबर मिलते हैं। कुछ गलतियों के बावजूद दिव्यांक को ऑप्शनल विषय में 265 मार्क्स मिले।
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