महिला कोरोना वॉरियर्स: जब आईएएस अधिकारी ने अपने नवजात शिशु के साथ जॉइन किया ऑफिस
- Indian Masterminds Bureau
- Published on 31 Oct 2021, 2:05 pm IST
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हाइलाइट्स
- अपने मातृत्व अवकाश को छोड़कर, ये आईएएस अधिकारी बच्चे को जन्म देने के एक महीने के भीतर ही ऑफिस लौट आईं।
- जबकि दूसरी अधिकारी ने डबल्यूएचओ के विशिष्ट अंतरराष्ट्रीय पैनल में शामिल होकर भारत को गौरवान्वित किया है।
- कार्यालय में अपने एक महीने के बच्चे के साथ आईएएस अधिकारी श्रीजना गुम्माला
जब आईएएस अधिकारी श्रीजना गुम्माला अपने प्रसव के बमुश्किल एक महीने बाद ही कार्यालय लौटीं, तो गोद में महीने भर के मासूम को लिए उनकी तस्वीर कुछ ही देर में देश भर वायरल हो गई। यह प्यारा बच्चा आम जन-जीवन के बीच तेजी से फैलती महामारी के बीच पैदा हुआ था और श्रीजना को पता था कि एक कोरोना योद्धा के रूप में देश को उनकी कितनी जरूरत थी। इसलिए, उन्होंने अपने छह महीने के मातृत्व अवकाश को त्याग दिया और आंध्र प्रदेश में ‘बृहद् विशाखापत्तनम नगर निगम’ (जीवीएमसी) के आयुक्त के रूप में पदभार ग्रहण किया।
इस मुश्किल वक्त में, आंध्र प्रदेश की ही रहने वाली एक अन्य वरिष्ठ आईएएस अधिकारी प्रीति सूदन ने भी देश को गौरवान्वित किया है। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव के रूप में, उन्होंने कोविड-19 को नियंत्रित करने के लिए राष्ट्रव्यापी प्रयासों के साथ बेहतर सहयोग और समन्वय बैठाया। इस सबके साथ, उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि, कोरोना के भयानक काल में चीन के वुहान से 600 से अधिक भारतीयों की सुरक्षित वापसी है। इस पूरी प्रक्रिया में उनका बहुत महत्वपूर्ण योगदान था। वह जुलाई 2020 में सेवानिवृत्त हो गई, लेकिन इस कोरोना योद्धा की यात्रा अभी भी जारी रही। कुछ महीने पहले, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डबल्यूएचओ) के महामारी की तैयारी और प्रतिक्रिया के लिए बने स्वतंत्र पैनल ने दुनिया भर के 11 पैनलिस्टों में से एक के रूप में प्रीति सूदन को नियुक्त किया।
योद्धा पहले, मां बाद में
श्रीजना गुम्माला 2013 बैच की आईएएस अधिकारी हैं। अपने मातृत्व अवकाश को त्यागने के अपने फैसले पर टिप्पणी करते हुए, उन्होंने कहा कि कोरोनोवायरस से लड़ना उनके लिए अधिक महत्वपूर्ण था। असल में, बच्चे को जन्म देने के कुछ दिनों बाद ही, श्रीजना ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री से अनुरोध किया कि वो उन्हें फिर से कार्यालय में आने की अनुमति दें। सीएम बहुत आश्चर्य में थे, लेकिन जब वह अपने अनुरोध पर कायम रहीं, तो उन्होंने भरोसा कर लिया और अनुमति दे दी।
श्रीजना के इस अनूठे व्यवहार पर उनके दोस्तों और प्रशंसकों सहित सबने खूब सराहना की। केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने युवा आईएएस अधिकारी की प्रशंसा करते हुए ट्वीट किया, “भारत सौभाग्यशाली है कि उसे ऐसे कोरोना योद्धाओं मिले हैं। अपने कर्तव्यों के प्रति प्रतिबद्धता के इस जीवंत उदाहरण के लिए मेरा हार्दिक आभार।”
श्रीजना की प्रशंसा करते हुए एक और ट्वीट भाजपा के बड़े संगठन नेता और महासचिव बी. एल. संतोष की तरफ से आया। उन्होंने लिखा, “वह अपने 1 महीने के बच्चे के साथ ड्यूटी पर वापस अपने काम पर लौट आई। बड़े संकट ने उसे अपने कर्तव्य के प्रति जवाब देने के लिए आगे भेज दिया। राष्ट्र भाग्यशाली है कि उसे ऐसे कोरोना योद्धा मिले हैं।”
वरिष्ठ आईएएस अधिकारी जी बालारमैया की बेटी होने के नाते, यह स्पष्ट है कि श्रीजना ने कम उम्र से ही स्वयं से पहले सेवा के महत्व को स्वीकार कर लिया होगा। हैदराबाद स्थित उस्मानिया विश्वविद्यालय से एक मनोविज्ञान स्नातक श्रीजना यूपीएससी परीक्षा में देश भर में 44 वीं रैंक के साथ पास हुईं और आईएएस बनी थीं। उन्होंने राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर भी किया है और स्वीडन के उप्साला विश्वविद्यालय की स्वर्ण पदक विजेता भी हैं।
एक आईएएस अधिकारी के रूप में जीवीएमसी के आयुक्त का कार्यभार संभालने से पहले, श्रीजना गुम्माला ने डॉ रेड्डीज फाउंडेशन में एक वर्ष के लिए शिक्षा प्रबंधन सलाहकार के रूप में भी काम किया।
रिटायरमेंट के बाद भी सक्रिय प्रीति
वरिष्ठ आईएएस अधिकारी के रूप में उनकी सेवानिवृत्ति के हफ्तों बाद ही डब्ल्यूएचओ के स्वतंत्र पैनल में प्रीति सूदन की नियुक्ति, उनके कोरोना योद्धा की भावना का समर्थन है, जिसके साथ उन्होंने केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव के रूप में काम किया। यह डब्ल्यूएचओ पैनल महामारी के कई पहलुओं पर गौर करेगा, जिसमें कोविड-19 से किस तरह पार पाया जाए और कोविड कुछ देशों के लिए अप्रत्याशित रूप से इतना खतरनाक बन गया, जैसे मुद्दे शामिल हैं।
सुश्री प्रीति के अलावा, डबल्यूएचओ पैनल के अन्य सदस्यों में यूनाइटेड किंगडम के पूर्व विदेश सचिव डेविड मिलिबैंड, अर्थशास्त्री और मेक्सिको के पूर्व राष्ट्रपति अर्नेस्टो जेडिलो और न्यूजीलैंड के पूर्व प्रधानमंत्री हेलेन क्लार्क शामिल हैं। क्लार्क ने पिछले साल 3 सितंबर को एक प्रेस-विज्ञप्ति में कहा, “कोविड-19 दुनिया भर में फैल चुका है, हमारे ग्रह के प्रत्येक व्यक्ति के जीवन को हर तरह से प्रभावित कर रहा है। हम इसके शुरुआती उद्भव, वैश्विक प्रसार, स्वास्थ्य, आर्थिक और सामाजिक प्रभावों के बारे में जानने की कोशिश कर रहे हैं, साथ ही इसे कैसे नियंत्रित और कम किया जा सकता है।”
श्रीजना गुम्माला और प्रीति सूदन हमारे दो सबसे महत्वपूर्ण कोरोना योद्धाओं का प्रतिनिधित्व करती हैं, दोनों का एक दूसरे से कोई संबंध नहीं है, लेकिन दोनों एक समान उत्साह और प्रतिबद्धता के साथ इस घातक वायरस से लोगों को बचाने के लिए लड़ रही हैं। असल में, ऐसे योद्धाओं की एक पूरी सेना भारत के लगभग सभी जिलों में कोरोना जैसी भयानक महामारी के खिलाफ मुस्तैदी से काम कर रही है। उनमें से कुछ ने पूरे देश का ध्यान आकर्षित किया है, जबकि अन्य प्रभावी रूप से लेकिन चुपचाप काम कर रहे हैं।
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