टैक्स में भी काव्य खोज लेने की फितरत है इस IRS अधिकारी की
- Bhakti Kothari
- Published on 8 Jun 2023, 12:26 pm IST
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हाइलाइट्स
- आईआरएस अधिकारी अमित कुमार पांडेय ने हाल ही में अपना कविता संग्रह प्रकाशित कराया है
- अमितभानु के छद्म नाम से प्रकाशित ‘किराये का चांद’ की अब होगी विवेचना
- गुवाहाटी में आयकर के अतिरिक्त आयुक्त को संगीत, साइकिल चलाना और पॉडकास्ट रास आता है
भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) के अधिकारी अमित कुमार पांडेय ने अपने छद्म नाम अमितभानु से जाने जाते हैं। उन्होंने हाल ही में लघु कविता का संग्रह प्रकाशित कराया है। इस संग्रह में मानव जीवन के विभिन्न पहलुओं जैसे- भावनात्मक, दार्शनिक, मनोवैज्ञानिक, सामाजिक और व्यक्तिगत के बारे में अलग-अलग धारणाएं बताई गईं हैं।
अभिलाषा अमरत्व का हो, तो जीना मुश्किल हो जाता है, जीता रहता है नश्वर देह और अमर मन मर जाता है…। यह एक छोटा-सा उदाहरण बताता है कि अमितभानु ने किसी की आत्मा में उतर जाने वाले शब्दों का जादू कैसा बिखेरा है।
गुवाहाटी के अतिरिक्त आयकर आयुक्त, जिनकी पहली पुस्तक ‘किराये का चांद’ 23 अप्रैल को प्रकाशित हुई थी। वह बताते हैं कि ये कविताएं अलग-अलग समय पर लिखी गई हैं। यह उन घटनाओं और विचारों से प्रेरित हैं जिनसे वह गुजर रहे थे।
इंडियन मास्टरमाइंड्स के साथ खास बातचीत में अमित कुमार पांडेय ने कहा, ‘मेरी कविताएं भावुक, आकर्षक, विचारोत्तेजक और मानवीय प्रकृति की हैं। आप सिर्फ एक बार इन्हें पढ़ें और वे हमेशा के लिए आपके हो जाएंगे।’
किराये का चांदः
2010 बैच के अधिकारी अभी गुवाहाटी में पदस्थापित हैं। कहते हैं, ‘मैंने अपने विचारों को कविताओं के रूप में लिखा है, क्योंकि मुझे कविताएं अधिक संप्रेषणीय और प्रभावी लगती है। मुझमें मौजूद गीत लिखने का भाव मेरी रचनात्मकता को बढ़ाता है और रचनाएं लिखने के लिए प्रेरित करता है। यह सिर्फ लेखन तक ही सीमित नहीं है।’
पांडेय का जन्म बिहार के सारण जिले के धमसर गांव में हुआ था। इन्हें शुरू से पढ़ने, लिखने और काव्य पाठ करने का गहरा जुनून रहा है। यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने के लिए दिल्ली पहुंचने के बाद भी इन्हें कविता लिखने के लिए वक्त मिल जाता था। इनमें से कुछ समय-समय पर विभिन्न समाचार पत्रों में प्रकाशित भी होती थीं।
वह कहते हैं, ‘मेरी कविताएं मेरे ऐसे विचार हैं, जो किसी भी घटना के तुरंत बाद आते हैं। मैं उन्हें तब और वहीं शब्द दे देता हूं। और, यही ‘किराए का चांद’ है।’
अब वर्षों बाद उन्होंने अपने जुनून को पहचाना और अपना पहला संग्रह प्रकाशित कराया।
सिर्फ कवि नहीं हैं-
अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के अलावा यूट्यूब, फेसबुक, इंस्टाग्राम और पॉडकास्ट पर अक्सर देखे जाने वाले अधिकारी का मानना है कि गद्य लिखने की अपेक्षा कविताएं व्याख्या के लिए अधिक खुली है। अमितभानु के अनुसार, ‘हम सभी अपनी परिस्थितियों से सीमित हैं और लेखक हममें उन सीमाओं को अवसरों के रूप में देखते हैं। लेकिन शायद हम खुद को तलाशने और अभिव्यक्त करने के लिए खुद के संपर्क में नहीं हैं।’
हालांकि, कुछ लेखक अपने पाठकों के लिए अपनी कविताओं की व्याख्या करने के लिए ज्यादा जगह नहीं छोड़ते हैं, लेकिन अमितभानु लगभग हमेशा सभी सवालों के जवाब खुलकर देते हैं। वह कहते हैं कि मुझे बंद और खुले पैटर्न दोनों पसंद हैं। मैंने अपनी कविताओं में दोनों परिस्थितियों का उपयोग करने की कोशिश की है।
पांडेय को गाने का भी शौक है। रनिंग और साइकिंलिंग के साथ अन्य चीजों को भी पसंद करने वाले अधिकारी ने फिर कहा- संगीत दरअसल काव्यात्मक अभिव्यक्ति है।
पांडेय को गीत और कविताएं पढ़ना पसंद है। इसे वह यूट्यूब, फेसबुक, इंस्टाग्राम, पॉडकास्ट समेत अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर साझा भी करते हैं।
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