‘डिजिटल दान कैंपेन’: गरीब बच्चों की ई-लर्निंग में मदद करने के लिए लैपटॉप देने वाला एक अभियान
- Ayodhya Prasad Singh
- Published on 11 Jan 2022, 11:01 am IST
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हाइलाइट्स
मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में गरीब मेधावी बच्चों को आधुनिक शिक्षा देकर उन्हें भविष्य के लिए तैयार करने के उद्देश्य से एक अनोखे अभियान के तहत ‘डिजिटल दान कैंपेन’ शुरू की गयी है। इस तरह की पहल करने वाला छिंदवाड़ा देश का पहला जिला है। 2011 बैच के आईएएस अधिकारी और छिंदवाड़ा के कलेक्टर […]
मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में गरीब मेधावी बच्चों को आधुनिक शिक्षा देकर उन्हें भविष्य के लिए तैयार करने के उद्देश्य से एक अनोखे अभियान के तहत ‘डिजिटल दान कैंपेन’ शुरू की गयी है। इस तरह की पहल करने वाला छिंदवाड़ा देश का पहला जिला है। 2011 बैच के आईएएस अधिकारी और छिंदवाड़ा के कलेक्टर सौरभ कुमार सुमन के नेतृत्व में शुरू हुई इस पहल से गरीब तबके के हजारों प्रतिभावान बच्चों को फायदा पहुंचेगा। डिजिटल दान कैंपेन के तहत जरूरतमंद बच्चों को ई-लर्निंग के लिए लैपटॉप सहित अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण प्रदान किए जाएंगे। इसका एक बड़ा उद्देश्य कोरोना महामारी के दौर में ई-लर्निंग की जरूरतों को पूरा करना भी है।
कोविड-19 की विषम परिस्थितियों में सबसे ज्यादा और दूरगामी असर दूरस्थ अंचलों के ग्रामीण और जरूरतमंद बच्चों की शिक्षा पर पड़ा है। समुचित डिजिटल संसाधन सुलभ नहीं होने के कारण ये बच्चे ऑनलाइन कक्षाओं का भी सही अर्थों में लाभ नहीं उठा सके हैं। बच्चों के भविष्य निर्माण में स्कूली शिक्षा के महत्व को समझते हुए जिला प्रशासन द्वारा जिले में इस तरह की कैंपेन की शुरुआत की जा रही है। इसी क्रम में कलेक्टर सौरभ कुमार सुमन और पुणे बेस्ड भारतीय कंपनी मेटा सोशल के फाउंडर इफ्तेखार पठान के साथ एम.ओ.यू. भी साइन किया जा चुका है। इंडियन मास्टरमाइण्ड्स ने छिंदवाड़ा के कलेक्टर सौरभ कुमार सुमन से बातचीत की और इस पहल के बारे में विस्तार से जाना।
‘डिजिटल दान कैंपेन’
डिजिटल दान कैंपेन के तहत लगभग 10 हजार जरूरतमंद बच्चों को ई-लर्निंग और डिजिटल लर्निंग के लिए लगभग लैपटॉप और अन्य जरूरी डिजिटल उपकरण प्रदान किए जायेंगे। साथ ही उन्हें कोर्स मैटेरियल भी उपलब्ध कराया जाएगा। जिला कलेक्टर सौरभ कुमार ने इंडियन मास्टरमाइण्ड्स से कहा, “हमारी पहल के 2 प्रमुख उद्देश्य हैं। पहला, जैसा कि सभी जानते हैं कि कोविड के फेज में ई-लर्निंग का महत्व बहुत बढ़ गया है। लेकिन वे जरूरतमन्द बच्चे जिनके पास संसाधन नहीं हैं, उन्हें ई-लर्निंग से जुड़ी सभी सुविधाएं देकर देकर एक inclusive डिजिटल शिक्षा की व्यवस्था बनाना है। दूसरा, 21 वीं शताब्दी की जो स्किल्स बच्चों में होनी चाहिए, वो विकसित करना। इसके लिए आधुनिक और बड़े लेवल की चीजों की तरफ उन्हें एक्सपोज करना और उस दिशा में ले जाना।”
सौरभ कुमार ने कहा, “कैम्पेन का पूरा ध्यान और उद्देश्य अभी फंड रेज करना है। अभी हम उसी पर काम कर रहे हैं। इसी क्रम में पुणे की मेटा सोशल कंपनी के साथ हमने करार किया है। वो हमारे डिजिटल प्लैटफ़ार्म पर जो डोनेशन आएगी उसका हिसाब रखेगी। इसमें हमारे जिले से लेकर पूरे देश से फंडिंग होगी, साथ ही हमे विदेश से भी फंडिंग भी मिल सकेगी। कुछ ऐसे लोग हैं जो देश की सुदूर जगहों और आदिवासी इलाकों के विकास और बेहतर कमा के लिए दान करना चाहते हैं, लेकिन उन्हें कोई प्रोपर प्लैटफ़ार्म नहीं मिलता है। हमने उसी कमी को पूरा करने के लिए एक प्लैटफ़ार्म तैयार किया है।”
डिजिटल लर्निंग
आईएएस सौरभ कुमार ने बताया, “छिंदवाड़ा के लिए विशेष तौर पर ये ‘डिजिटल दाना’ प्लैटफ़ार्म बनाया गया है। इसके तहत पहले हम फंड रेज करेंगे, फिर ई-लर्निंग के लिए ईक्विपमेंट देंगे। सभी ईक्विपमेंट जियो fenced रहेंगे, जिससे कि कोई उनका गलत इस्तेमाल न कर सके। खास बात यह है कि इसका इस्तेमाल किसी एक लोकेशन पर ही हो सकेगा। उससे बाहर अगर कोई ले के जाएगा, तो इस्तेमाल नहीं कर पायेगा। उसके प्रोटेक्सन के लिए तकनीक का सहारा लिया जा रहा है। फिर जब एक बार बच्चे ई-लर्निंग और डिजिटल शिक्षा के लिए अभ्यस्त हो जाएंगे, तो उसके बाद अलग-अलग तरह के कोर्सेस भी लाए जाएंगे। इनमें उनका व्यक्तित्व विकास, ई-लर्निंग, रोजगार से संबंधित कोर्सेस होंगे। माइक्रोसॉफ्ट जैसी कई बड़ी कंपनियां पहले से तैयार कुछ ऐसे कोर्सेस ऑफर करती हैं, जो बच्चों के बहुत काम आते हैं। हम उन्हें लाने की कोशिश करेंगे। ये कंपनियां सीएसआर के तहत मदद के लिए आसानी से आगे आ जाती हैं।”
छिंदवाड़ा जिले की इस पहल को अभी एक मॉडल के रूप में देखा जा रहा है। जिले में इसकी सफलता के बाद यह कैंपेन देश के अन्य जिलों में भी चलाने की बात की जा रही है। इसमें कोई भी व्यक्ति स्वेच्छा से डिजिटल दान कर सकता है। पूरी पारदर्शिता के लिए एक पारदर्शी प्लेटफार्म बनाया गया है, जिसके माध्यम से दानदाता अपने दान की राशि को ट्रैक कर सकते हैं और उसकी उपयोगिता पर पूरी नजर रख सकते हैं। डिजिटल दान कैंपेन में मेटा सोशल के अलावा इंडियन ग्लोबल, एम.आई.टी.-ए.डी.टी. यूनिवर्सिटी पुणे और इंदौर के ‘नन्हे फरिश्ते’ एनजीओ भी शामिल हैं।
कैसे होगी शुरुआत
इस पहल की शुरुआत में स्क्रीन करके बच्चों का चयन किया जाएगा। आईएएस सौरभ कुमार के अनुसार पहले फेज में 100 बच्चों को चुना जाएगा। फिर धीरे-धीरे इनकी संख्या बढ़ाई जाएगी। उन्होंने कहा, “हम लोग शुरुआत में जिले के बड़े स्कूलों से बेहद प्रतिभावान बच्चों का चयन करेंगे। उन बच्चों को लेंगे, जो गरीब परिवारों से आते हैं और उनके पास न के बराबर संसाधन हैं। स्कूल के फीड बॅक के आधार पर बच्चों की स्क्रीनिंग करेंगे। संसाधन वहीं दिए जाएंगे, जहां उसकी उपयोगिता हो सके। हालांकि उसका मालिकाना हक जिला प्रशासन के पास ही रहेगा। अगर कहीं कोई गलत इस्तेमाल होता है, तो उसे लेकर दूसरे किसी जरूरतमन्द को दे दिया जाएगा। इसका अभी curated action plan हम लोग बना रहे हैं कि किस तरह इसका कार्यान्वयन करेंगे और आगे बढ़ेंगे।”
इस पहल में हाइ स्कूल और higher secondary स्तर के बच्चों को लिया जाएगा। मेटा सोशल कंपनी डिजिटल दान पोर्टल को manage करेगी। उसके बाद सभी academician और corporate क्षेत्र से जुड़े हुए लोग को भी इससे जोड़ा जाएगा। आईएएस सौरभ के अनुसार इस पहल के अगले फेज में शिक्षा के बुनियादी ढांचे पर भी काम किया जाएगा। वो कहते हैं, “अगर संभव हो सका तो institution भी ओपन करेंगे। 6 महीने के अंदर इस पूरी पहल को जमीन पर उतरते देखा जा सकता है।”
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