पहले थे रणजी खिलाड़ी, अब आला पुलिस अधिकारी
- Pallavi Priya
- Published on 11 Aug 2023, 1:02 pm IST
- 1 minute read
हाइलाइट्स
- आईपीएस अधिकारी पंकज चौधरी ने राजस्थान में पुलिस क्रिकेट टीम बनाई है और उसे टूर्नामेंट खेलने के लिए ले जाते हैं
- 2009 बैच के आईपीएस अधिकारी इस समय राजस्थान में कम्युनिटी पुलिसिंग के एसपी और एसडीआरएफ के कमांडेंट के रूप में तैनात हैं
- 2005 के बाद से यह पहली बार है कि कोई पुलिस टीम किसी क्रिकेट टूर्नामेंट में हिस्सा ले रही है और जीत भी रही है
पंकज चौधरी 2009 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। वह सुर्खियों में तब आए, जब उन्होंने राजस्थान लोक सेवा आयोग (आरपीएससी) में चल रही गड़बड़ियों का खुलासा किया। सरकारी संस्था के पतन से दुखी होकर अधिकारी ने इसे सुधारने का मौका मिलने पर वीआरएस लेने तक की पेशकश की है। यह पहली बार नहीं था, जब वह अपनी सेवा देने के लिए आगे आए हों। यह अधिकारी नियमों का पालन नहीं करने वाले किसी भी व्यक्ति से उलझने के लिए मशहूर हैं। वह वर्तमान में कम्युनिटी पुलिसिंग के एसपी और एसडीआरएफ के कमांडेंट (स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फंड), राजस्थान के रूप में कार्यरत हैं।
एक कुशल पुलिस अधिकारी होने के अलावा उनका एक और अनजान पक्ष है। भारतीय पुलिस सेवा में शामिल होने से पहले वह क्रिकेटर थे। उन्होंने ना केवल रणजी ट्रॉफी में उत्तर प्रदेश के लिए खेला है, बल्कि कई टीमों की कप्तानी भी की है। अब वह राजस्थान पुलिस क्रिकेट टीम का नेतृत्व कर रहे हैं और लगभग 18 वर्षों के अंतराल के बाद उन्हें टूर्नामेंट जीतने में मदद की है।
दोनों मोर्चों पर कप्तानी
पिछले साल सीकर में दो साल का एक बच्चा बोरवेल में गिर गया था। 26 घंटे के ऑपरेशन के बाद एसडीआरएफ की टीम ने उसे सुरक्षित बचा लिया। यह सिर्फ एक उदाहरण है। पिछले एक वर्ष में श्री चौधरी के नेतृत्व में राजस्थान की एसडीआरएफ टीम ने विभिन्न प्राकृतिक एवं मानव निर्मित आपदाओं में सात हजार से अधिक लोगों को बचाया है। हाल ही में जालौर में आई बाढ़ हो या अजमेर में बिजली गिरना, एसडीआरएफ की टीम हमेशा बचाव के लिए मौजूद रहती है।
कम्युनिटी पुलिसिंग दरअसल राजस्थान पुलिस विभाग में एक नई शाखा है। फिर भी स्कूलों और यूनिवर्सिटी के सहयोग से सख्त एसओपी और डेमो सेशन के साथ एसडीआरएफ टीम ने जल्द ही जनता का विश्वास जीत लिया है।
यह टीम जहां लोगों की सुरक्षा और आपदा प्रबंधन में रिकॉर्ड बना रही है, वहीं विभिन्न क्रिकेट टूर्नामेंटों में भी कमाल कर रही है। इंडियन मास्टरमाइंड्स से बात करते हुए, श्री चौधरी ने कहा कि राजस्थान पुलिस ने आखिरी बार 2005 में क्रिकेट खेला था। जब से उन्होंने राज्य में एसडीआरएफ का नेतृत्व किया है, तब से यह नौजवानों से भर गया है। इससे उन्हें एक क्रिकेट टीम बनाने का मौका मिला, जो मेडिकल और कलेक्टर कप सहित लगातार जीत भी रही है।
नियति नहीं थी क्रिकेट
इंटरमीडिएट और यूनिवर्सिटी के दिनों में श्री चौधरी एक बहुत सक्रिय क्रिकेट खिलाड़ी थे। यहां तक कि वह रणजी तक भी पहुंचे, जो कई लोगों के लिए सपना होता है। हालांकि, उन्होंने उस क्षेत्र में बने रहना जारी नहीं रखा। क्रिकेट को अपना करियर भी नहीं बनाया। इसके बजाय उन्होंने देश की सबसे सम्मानित सेवाओं में से एक को चुना-आईपीएस।
आईपीएस अधिकारी बनने की भी उन्होंने बहुत ही दिलचस्प कहानी बताई। उन्होंने कहा, “जब मैं ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रहा था, तब मैं क्रिकेट भी खेल रहा था और यूनिवर्सिटी टीम का कप्तान था। मेरे एक सीनियर हस्तरेखा पढ़ने और ज्योतिष के जानकार माने जाते थे। उन्होंने मुझसे कहा था कि मैं क्रिकेट में बहुत आगे तक नहीं जा पाऊंगा। मेरे भाग्य में एकेडमिक क्षेत्र में जाना लिखा है।” यह बात उनके दिमाग में बैठ गई और धीरे-धीरे उन्होंने खुद को क्रिकेट से दूर कर लिया। इंजीनियरिंग पूरी करने के बाद वह एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करने लगे और वर्षों बाद किस्मत उन्हें सिविल सेवाओं तक ले गई।
अधिकारी का अब भी मानना है कि अगर वह आईपीएस अधिकारी नहीं होते, तो क्रिकेटर ही होते। हो सकता है कि वह कोच की भूमिका में उस क्षेत्र में बने रहते, लेकिन वह क्रिकेट से जरूर जुड़े रहते।
कप्तान होना
राजस्थान कैडर में आईपीएस में शामिल होने से पहले उन्होंने यूपीपीसीएस परीक्षा भी पास की थी। यूपीएससी सीएसई 2009 में वह अपनी रैंक के कारण आईएएस के लिए योग्य थे, लेकिन आईपीएस हमेशा उनकी पहली प्राथमिकता रही थी। एक पुलिस अधिकारी का काम और खाकी की वर्दी ने उन्हें हमेशा आकर्षित किया, बल्कि वे हमेशा ‘कप्तान’ बने रहना चाहते थे।
उन्होंने कहा, “मैं उत्तर प्रदेश से हूं। वहां किसी भी जिले के एसपी को कप्तान कहा जाता है। मैंने सोचा, क्रिकेट में कैप्टन नहीं तो पुलिस में कैप्टन तो बन ही सकता हूं। तो, यह भी पुलिस में मेरे होने का एक कारण है।”
END OF THE ARTICLE