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देश सेवा के लिए कैम्ब्रिज स्कॉलर प्रणिता दाश आ गईं लंदन छोड़-छाड़ के
- Pallavi Priya
- Published on 18 Jul 2023, 12:24 am IST
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हाइलाइट्स
- ओडिशा की प्रणिता दाश ने तीसरी कोशिश में 42वीं रैंक के साथ पास किया UPSC CSE 2022
- उन्होंने लंदन यूनिवर्सिटी से मास्टर और कैम्ब्रिज से एम.फिल किया है
- वह कहती हैं कि सिविल सेवा ही समाज सेवा का इकलौता तरीका नहीं है, और भी हैं ऑप्शन
ओडिशा के बारीपदा नामक एक छोटे-से शहर में पली-बढ़ी हैं प्रणिता दास। गरीबों से हमेशा हमदर्दी रखने वाली। मिजाज से ऐसी कि वह माता-पिता और परिवार के सदस्यों से घरेलू सहायकों और गार्डों को पैसे देने को कहती रहती थीं। ऐसे ही एक बार जब वह चाचा से किसी को पैसे देने पर जोर दे रही थीं, तो उन्होंने कहा- यदि वास्तव में उनकी मदद करना चाहती हो, तो नौकरशाह बनो। यह बात उनके मन में इतनी बैठ गई कि उन्होंने यूपीएससी को अपना लक्ष्य बना लिया।जिंदगी भले ही उन्हें लंदन ले गई, लेकिन वह अपने सपने को पूरा करने के लिए भारत लौट ही आईं। इतना ही नहीं, शानदार AIR 42 के साथ यूपीएससी सीएसई 2022 में सफलता भी हासिल की।
दो दुनिया
सुश्री दास ने अपनी स्कूली शिक्षा बारीपदा से की, जो मयूरभंज जिले का हिस्सा है। इस जिले में आदिवासी काफी हैं। फिर वह भुवनेश्वर चली गईं। इस परिवर्तन से उन्हें अपने समाज में घोर असमानता को देखने में मदद मिली। इंडियन मास्टरमाइंड्स से बात करते हुए उन्होंने कहा, “यह पहली बार था, जब मैंने वास्तव में देखा कि कैसे दो जगहें पूरी तरह से अलग हो सकती हैं। मेरे शहर में लोग जहां बुनियादी सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रहे थे, वहीं भुवनेश्वर में जीवन शैली काफी आरामदायक थी।इससे उनका सिविल सेवाओं में शामिल होने का संकल्प और भी मजबूत हो गया। भुवनेश्वर से 12वीं की पढ़ाई पूरी करने और सेंट जेवियर्स कोलकाता से इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएशन करने के बाद उनके लिए यूपीएससी सीएसई की तैयारी या मास्टर की पढ़ाई के बीच निर्णय लेने का समय आ गया था। लगभग उसी समय, उन्हें लंदन यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स में मास्टर डिग्री के लिए फेलोशिप मिल गई। वह चली गईं। तभी कोविड आ गया और दुनिया रुक गई। इससे उन्हें यूपीएससी की तैयारी शुरू करने के लिए पर्याप्त समय मिल गया।
खुद पर ही संदेह
यूपीएससी के लिए उन्होंने पहली कोशिश 2020 में की। वह पूरी तरह से तैयार नहीं थीं, इसलिए प्रीलिम्स क्लियर नहीं कर सकीं। 2021 में वह सिर्फ दो अंकों से प्रीलिम्स से चूक गईं। इन असफलताओं ने उन्हें खुद पर संदेह करने पर मजबूर कर दिया। लेकिन उनका परिवार उन्हें प्रेरित करता रहा और उनका आत्मविश्वास बढ़ाता रहा।वैसे वह अब सिविल सेवाओं में करियर के बारे में अनिश्चित थी। इसलिए, बैकअप के रूप में उन्होंने कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में एम.फिल के लिए अप्लाई किया और एडमिशन भी ले लिया। उन्होंने कहा, “मेरा लक्ष्य पॉलिसी मेकिंग का हिस्सा बनना था। सिविल सेवाओं के अलावा शिक्षा क्षेत्र भी ऐसा मौका मिल सकता है। इसके अलावा मुझे रिसर्च भी पसंद है, इसलिए मैंने इसे चुना।”कैम्ब्रिज जाने से पहले उन्होंने 2022 में सीएसई के लिए दूसरी बार कोशिश की। इस बार उन्होंने प्रीलिम्स और मेन्स दोनों में सफलता हासिल की। मेन्स देने के बाद उन्हें तुरंत कैंब्रिज के लिए निकलना पड़ा। ऐसे में पढ़ाई जारी रखते हुए उन्होंने इंटरव्यू की तैयारी की। दोनों की जुगलबंदी के बारे में उन्होंने कहा, ”मैंने दोनों को तय समय दिया। सुबह का समय एम.फिल के लिए था, तो शाम सीएसई के लिए थी। मैंने इस रूटीन पर कायम रहने की कोशिश की। इससे मदद मिली। मेरा मानना है कि ऐसी स्थिति में कोई भी व्यक्ति सही रूटीन पर चलकर इससे उबर सकता है।”
जवाब लिखने का तरीका निकाला
प्रीलिम्स के बाद अधिकतर कैंडिडेट को जवाब लिखने में कठिनाई होती है। बहुत अधिक ज्ञान तब तक काम नहीं आएगा, जब तक इसे कागज पर ठीक से उतारा न जाए। इस मुद्दे से निपटने के लिए वह सलाह देती हैं- “पहली बात जो याद रखनी चाहिए, वह यह है कि किसी भी विषय में गहराई तक न जाएं। बुनियादी समझ और फैक्ट्स रखें। फिर अपने जवाब के साथ हमेशा उदाहरण और ग्राफ दें।” उन्होंने बताया कि यह समझ अपने आप नहीं आई। इस प्रक्रिया से गुजरने के बाद ही उन्होंने यह हुनर सीखा।
गलत नहीं है असफल होना
उन्होंने आगे कहा कि हर किसी की अपनी यात्रा होती है और उन्हें उसी पर ध्यान देना चाहिए। अन्य लोग केवल गाइड कर सकते हैं। वह चाहती हैं कि हर कोई इस विचार को माने कि असफल होना खराब नहीं है। यदि किसी को सिविल सेवाओं का शौक है, तो उसे असफलताओं से भी सीखना चाहिए और कड़ी मेहनत करनी चाहिए। उन्होंने कहा, इसके बाद भी अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो सिविल सेवा ही समाज की सेवा करने का इकलौता तरीका नहीं है। वह कहती हैं- “बहुत सारे विकल्प और अवसर हैं, जिनका उपयोग करके आप समाज और देश के लिए योगदान कर सकते हैं।”
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