दिवंगत पिता की अधूरी ख्वाहिश और बेटी के संघर्ष की सफल कहानी!
- Indian Masterminds Bureau
- Published on 23 Oct 2021, 7:37 pm IST
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हाइलाइट्स
- क्या सच में कुछ सपनों को मौत भी नहीं खत्म कर सकती? और कुछ हौसलों को परिस्थितियां भी नहीं डिगा सकतीं?
- स्वीटी सेहरावत और उनके कांस्टेबल पिता के बारे में जानेंगे, तो ऊपर लिखी लाइन पर भरोसा करना पड़ेगा।
- 2020 के यूपीएससी के परिणामों में स्वीटी ने देश भर में 187 वीं रैंक हासिल करते हुए अपने पिता का एक अधूरा ख्वाब पूरा किया।
- दिल्ली पुलिस कमिश्नर से सम्मान प्राप्त करतीं स्वीटी सेहरावत
सात साल पहले एक सड़क दुर्घटना में दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल दले राम सेहरावत की मौत हो गई थी। वह एक अधूरी ख्वाहिश लिए असमय ही काल के गाल में समा गए। वह अपनी बेटी स्वीटी को सिविल सेवा परीक्षा पास कर ‘लाट साहब’ बनते हुए देखना चाहते थे।
सात साल बाद 2020 में नियति ने करवट ली और उनकी अधूरी ख्वाहिश पूरी हुई, स्वीटी ने देश भर में 187 वीं रैंक हासिल करते हुए यूपीएससी परीक्षा पास की और अपने पिता के लाट साहब वाले सपने को पूरा कर दिखाया। स्वीटी सेहरावत इस बात का जीवंत उदाहरण हैं कि अगर किसी चीज को पाने के लिए दिल से ठान लिया जाए तो एक न एक दिन वह हासिल हो ही जाती है।
2013 में अपने पिता की अचानक मौत के बाद, स्वीटी ने अपनी अच्छी खासी नौकरी छोड़कर अपने पिता के उम्र भर के सपने को सच बनाने का फैसला किया। इस यात्रा में उनके भाई ने भी आखिर तक उनका साथ दिया। लेकिन परिवार के लिए अपने इकलौते कमाने वाला के यूं अचानक गुजर जाने के बाद जिंदगी आसान नहीं थी। उस वक्त जीवनरूपी नाव को दुनिया की लहरों में डूबने से बचाने के लिए परिवार की जिम्मेदारी स्वीटी पर आ गई।
उत्तर-पश्चिमी दिल्ली के रोहिणी इलाके में रहने वाली स्वीटी ने डेनमार्क की एक कंपनी ‘एनएक्सपी सेमीकंडक्टर्स’ में एक डिजाइन इंजीनियर के तौर पर काम करना शुरू कर दिया। लेकिन उनके मन के किसी कोने में अपने पिता का वो सपना हमेशा सांस लेता रहता था और वह एक पल के लिए भी यह कभी नहीं भूलीं कि उनका अंतिम लक्ष्य आईएएस अधिकारी बनना है।
इंडियन मास्टरमाइंड्स से बात करते हुए स्वीटी कहती हैं, “मेरे पिता पुलिस में एक हेड कांस्टेबल थे, इसलिए बचपन से ही हमारे घर में आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के बारे में बातचीत होती रहती थी। मुझे स्वाभाविक तौर पर नागरिक सेवाएं अच्छी लगने लगीं थीं और इनके प्रति मैं एक झुकाव रखती थी। लेकिन पारिवारिक परिस्थितियों के कारण, मुझे कुछ सालों के लिए एक अलग क्षेत्र में नौकरी करनी पड़ी। फिर जब एक समय मेरे भाई ने परिवार की जिम्मेदारी उठाने का हौसला दिखाया, तब मैंने अपने भविष्य के लिए फैसला लिया। साल 2017 में, मैंने अपनी नौकरी छोड़ दी और सिविल सेवा में जाने के अपने सपने को आगे बढ़ाने का फैसला किया।” स्वीटी के भाई हरीश सीआईएसएफ में सब-इंस्पेक्टर पद पर हैं।
ख्वाबों का सच होना
4 अगस्त, 2020 को जब यूपीएससी परीक्षा-2019 का परिणाम आया तो एक स्वर्गीय पिता का अधूरा सपना एक बेटी पूरी कर चुकी थी। अंतिम परिणाम आने पर स्वीटी की मां और भाई बहुत खुश थे, परिवार और दोस्तों के बीच खुशखबरी फैल गई। बधाई संदेशों की बाढ़ आ गई, लेकिन इन संदेशो में से एक ऐसा था जिसने स्वीटी को गर्व के भाव से भर दिया। दिल्ली पुलिस के तत्कालीन कमिश्नर एस. एन. श्रीवास्तव ने परिवार को फोन किया और स्वीटी को बधाई दी। उन्होंने कहा कि उनके पिता जहां कहीं भी होंगे, उनकी उपलब्धि पर बहुत गर्व कर रहे होंगे।
यूपीएससी परीक्षा कितनी अनिश्चितताओं से घिरी है और इसके लिए कितना वक्त चाहिए, यह किसी से छुपा नहीं है। इसीलिए वास्तव में यह उल्लेखनीय है कि स्वीटी ने अपने पिता की अधूरी इच्छा को पूरा करने के लिए एक बेहतर नौकरी को भी छोड़ दिया।
अपने सामने आने वाली विभिन्न चुनौतियों पर बात करते हुए स्वीटी कहती हैं, “सिविल सेवाओं की तैयारी करते समय मेरे लिए सबसे अहम था समय का बेहतर ढंग से प्रबंधन करना। इसीलिए मैंने अपने शिड्यूल (समय-सारणी) को सही ढंग से बनाया और हर दिन पूरी लगन के साथ 8 से 10 घंटे पढ़ाई की।”
शुरुआती दिन
आईएएस की तैयारी करने से पहले स्वीटी ने इंजीनियरिंग में स्नातक किया था। जब यूपीएससी की तैयारी शुरू की तो उन्हें उन विषयों का अध्ययन करना पड़ा जो न केवल कठिन थे, बल्कि उनके लिए पूरी तरह से नए भी थे। वह भूगोल और विश्व इतिहास जैसे विषयों से जूझती रहीं। लेकिन उनकी दृढ़ता, उनके सतत प्रयास और समर्पण में निहित है। आशावादी रवैये और विश्वास के साथ, उन्होंने इस परीक्षा के लिए कड़ी मेहनत की।
स्वीटी कहती हैं, “इंजीनियरिंग पृष्ठभूमि की एक छात्र होने के बाद मानविकी (ह्यूमैनिटीज) के विषयों से पढ़ाई करना बेहद मुश्किल था। इसलिए मैंने मूल बातों को समझने के लिए एक साल तक कोचिंग की। इससे मुझे बहुत मदद मिली और उसके बाद मैंने पूरे एक साल तक खुद से ही पढ़ाई की।”
यूपीएससी परीक्षा की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों को कोई सलाह देने की बात पर स्वीटी ने कहा, “मेरी एकमात्र सलाह यही है कि सभी उम्मीदवारों को अपने सपनों को हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत से पूरा प्रयास करना चाहिए। सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं है। आपको परिणामों के बारे में चिंता करने की जगह, उन्हें अपना सौ प्रतिशत देने के बारे में सोचना चाहिए।”
सतत प्रयास और दृढ़-विश्वास
यह देखना प्रभावशाली है कि कैसे कई समस्याओं का सामना करने के बावजूद स्वीटी अपने लक्ष्य को लेकर दृढ़ बनी रहीं और सतत प्रयास करती रहीं। वह अपने पिता के अधूरों ख्वाबों को सच करना चाहती थीं और उसके लिए हर त्याग करने को तैयार थीं। अब जब उन्होंने उन सपनों को पूरा कर लिया है तो अपने अगले लक्ष्य के लिए जी-जान से जुट गई हैं। स्वीटी ने उन लोगों की मदद करने का फैसला किया है, जो उनकी तरह ही सफलता पाने के लिए प्रयासरत हैं और अपने विश्वास को लेकर दृढ़ हैं।
अपने भविष्य के लक्ष्यों के बारे में बात करते हुए स्वीटी कहती हैं, “नौकरशाह के रूप में अपने कर्तव्यों के अलावा, मैं उन लोगों की मदद करना चाहूंगी जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए मेहनत तो कर रहे हैं, लेकिन उनको कहीं से भी सहायता नहीं मिल रही है। मेरे परिवार ने हमेशा हर स्थिति में मेरा साथ दिया, हमारे समाज में लड़कियों के लिए ऐसा होना दुर्लभ है। मैं यह सुनिश्चित करूंगी कि मैं भी उन सभी लोगों की सहायता करूं जिनकी मदद कोई नहीं कर रहा है, लेकिन फिर भी वे अपने लक्ष्य को लेकर अडिग हैं और कर्तव्य-पथ पर जुटे हुए हैं।
हाड़-तोड़ स्पर्धा के दौर में स्वीटी ने जो कुछ भी हासिल किया है, वह एक आसान उपलब्धि नहीं है। अगर उनके पिता जीवित होते तो शायद बुलंद हौसलों और मजबूत इरादों के साथ हासिल की गई अपनी बेटी की इस सफलता पर फूले न समाते।
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