बीएसएफ जवान के बेटे ने पहली कोशिश में ही 21वीं रैंक के साथ कर लिया फतह
- Bhakti Kothari
- Published on 5 Jun 2023, 11:29 am IST
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हाइलाइट्स
- 22 वर्षीय शिवम यादव इस साल सबसे कम उम्र के क्वालीफायर हैं
- कुछ महीनों की सेल्फ स्टडी से पहली ही कोशिश में UPSC CSE 2022 में हासिल कर ली 21वीं रैंक
- उसी वर्ष ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की, जिस वर्ष उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा दी
बीएसएफ जवान रोमन सिंह यादव और उनकी पत्नी सुनीता यादव के जीवन में इस बार का मई बहुत ही खुशहाल महीना साबित हुआ। इसलिए कि उनके दोनों बच्चों ने उन्हें खुशखबरी दी। उन्हें गर्व का एहसास कराया। वह भी सिर्फ 10 दिनों के भीतर! बेटी सुगम यादव SSC CGL परीक्षा में पास हुई, जिसके रिजल्ट 10 मई 2023 को आए थे। फिर बेटे शिवम यादव ने UPSC CSE 2022 को 21वीं के साथ क्रैक किया। अब बेटा जल्द ही आईएएस अधिकारी बन जाएगा।
इंडियन मास्टरमाइंड्स ने UPSC के लिए प्रेरणादायक यात्रा को लेकर शिवम से बात की।
शुरुआती दिनः
मध्य प्रदेश के इस परिवार को बीएसएफ जवान की नौकरी के कारण बार-बार जगह बदलनी पड़ती थी। कभी जम्मू-कश्मीर तो कभी त्रिपुरा जैसे विभिन्न क्षेत्रों में ट्रांसफर होता ही रहता। लेकिन, जब परिवार ग्वालियर शिफ्ट हुआ और बच्चों का वहां के अच्छे स्कूल में एडमिशन मिल गया, तब पिता ने फैसला किया कि वह उन्हें स्कूली पढ़ाई पूरी होने देने तक वहीं रहने देंगे।
22 वर्ष के शिवम ने 2022 में जीवाजी यूनिवर्सिटी, ग्वालियर से ग्रेजुएशन किया और UPSC की परीक्षा में बैठने का फैसला किया। उन्होंने 2022 में ही UPSC के लिए फार्म भरा और कुछ ही महीनों की तैयारी के साथ उन्होंने न केवल सीएसई पास किया, बल्कि अपनी पहली कोशिश में ही 21 वीं रैंक भी हासिल कर ली। पास होने वालों में से सबसे युवा कैंडिडेट शिवम का बचपन से ही आईएएस अधिकारी बनकर समाज में बदलाव लाने का सपना था।
सेल्फ स्टडी की ताकतः
शिवम ने कोचिंग नहीं ली और अपने दम पर परीक्षा की तैयारी की। उन्होंने अपने नोट्स और सोर्स मैटेरियल YouTube और Google से ली। इंडियन मास्टरमाइंड्स से शिवम ने कहा, “मैंने पिछले साल के टॉपर्स के इंटरव्यू दिन और रात देखे। उनके कहे एक-एक शब्द को सुना और देखा। उसी के हिसाब से अपनी रणनीति तैयार की। ” उन्होंने पॉलिटिकल साइंस एंड इंटरनेशनल रिलेशंस को अपना ऑप्शनल सब्जेक्ट बनाया। इसलिए कि यह उनके लिए नया और रुचिकर था।
बढ़िया इंटरव्यू का राजः
शिवम खुद को आत्मविश्वासी व्यक्ति मानते हैं। उन्हें नए लोगों के साथ घुलने-मिलने या बातचीत करने में कभी कोई समस्या नहीं हुई। उनका मानना है कि आत्मविश्वास तो था ही, साथ ही संयोग से ऐसे ही सवाल किए गए, जिनके जवाब मालूम थे। इससे इंटरव्यू में बहुत ही बढ़िया मार्क्स (195) मिल गए।
दरअसल शिवम अपने इंटरव्यू से एक दिन पहले ही यूपीएससी बिल्डिंग और म्यूजियम देखने गए थे। वहां 1971 के युद्ध में बीएसएफ की भूमिका के बारे में काफी कुछ जानने को मिला। संयोग देखिए कि इंटरव्यू में उससे जुड़े सवाल ही पूछे गए।
वह कहते हैं, “मैं सवाल सुनकर बहुत खुश था, क्योंकि मैंने यूपीएससी के म्यूजियम में इसके बारे में एक दिन पहले ही सब कुछ देखा और पढ़ा था। मेरे जवाब ने पैनल को खुश कर दिया।”
इंटरव्यू में उनसे पर्यावरण संरक्षण पर भी सवाल किए गए। शिवम ने चतुराई से उनकी टेबल पर रखी प्लास्टिक की पानी की बोतलों की ओर इशारा किया। फिर रियूजेबल बोतलों से बदलने के अपने तर्क से उन्हें प्रभावित कर दिया।
मां हैं सिताराः
शिवम आज जो कुछ भी हैं, वह अपनी शिक्षा के कारण, जिसे वह समाज के लिए सबसे महत्वपूर्ण मानते हैं। वह अपनी इस काबिलियत का इस्तेमाल IAS अफसर बनकर समाज के हित में करना चाहते हैं।
वह कहते हैं, “मेरे लिए मां ही सब कुछ है। वह मेरे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। मैं समाज में महिला सशक्तीकरण के लिए काम करना चाहूंगा। मैं निचले वर्ग के लोगों के जीवन में बदलाव ला देने वाला बनना चाहता हूं।”
जाहिर है, उनके माता-पिता इन दिनों सातवें आसमान पर हैं।
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