शादी से पहले बनानी थी खुद की एक पहचान, डिफेंस में जाने का था सपना, पढ़िए कहानी जाट परिवार से आने वाली आईएएस निधि सिवाच की
- Ayodhya Prasad Singh
- Published on 16 Nov 2021, 6:18 pm IST
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हाइलाइट्स
- कभी मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री लेकर निजी क्षेत्र में नौकरी करने वाली आईएएस निधि सिवाच की कहानी
- यह कहानी भारत की उन तमाम आम परिवारों की लड़कियों के लिए मिसाल है जो परिवार के कई तरह के दबाओं के आगे बिखर जाती हैं
- आईएएस निधि सिवाच, यूपीएससी-2018, 83 वीं रैंक
भारत के किसी आम मध्यम-वर्गीय परिवार की तरह ही आईएएस निधि सिवाच की भी कहानी है। लेकिन फर्क सिर्फ इतना है कि उन्होंने अपनी जिद, समर्पण और सकारात्मक सोच से अपनी सफलता की कहानी खुद लिखी। हरियाणा के गुरुग्राम के एक जाट परिवार की लड़की निधि के पास बहुत ज्यादा विकल्प नहीं थे। परिवार ने साफ तौर पर बोल रखा था कि या तो जल्द से जल्द अपनी मंजिल तक पहुंचिए, या फिर जो हम कह रहे हैं वो कर लीजिये। और सीमित विकल्प जब सामने हों, तो इंसान कुछ कर गुजरने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है।
ठीक यही निधि ने भी किया और साल 2018 में अपने तीसरे प्रयास में देश की सबसे कठिन परीक्षा यूपीएससी में 83वीं अखिल भारतीय रैंक हासिल करते हुए अपने ख्वाबों को पूरा किया। निधि को आईएएस के पद के लिए चुना गया। निधि को मूलतः झारखंड कैडर मिला था, लेकिन शादी के बाद उन्हें गुजरात कैडर दे दिया गया और वर्तमान में वो साबरकांठा जिले के हिम्मतनगर में असिस्टेंट कलेक्टर हैं।
शुरुआत
निधि का सपना डिफेंस में जाने का था। उन्होंने बचपन से ही डिफेंस के ही ख्वाब सजाए थे। निधि ने एएफसीएटी (एफकैट) परीक्षा भी दी और लिखित परीक्षा पास भी कर ली। लेकिन इसके एसएसबी इंटरव्यू के बाद उनके जीवन में बड़ा बदलाव आ गया और आखिरकार उन्होंने एक दिन यूपीएससी की तैयारी का मन बना लिया। अपने भाई-बहनों में सबसे बड़ी निधि ने सोनीपत के दीनबंधु छोटूराम विश्वविद्यालय से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री ली और हैदराबाद में टेक महिंद्रा में एक डिजाइन इंजीनियर के तौर पर काम करने लगीं। लेकिन साल 2017 में उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी और घर वापस आकार तैयारी करने लगीं।
इंडियन मास्टरमाइण्ड्स से एक खास बातचीत में आईएएस निधि सिवाच कहती हैं, “मैंने प्राइवेट सेक्टर में नौकरी सिर्फ इसलिए जॉइन की, क्योंकि मेरे पापा चाहते थे कि मैं अपनी डिग्री बर्बाद न करूं और कोई नौकरी कर लूं। लेकिन मेरा मन सिविल सेवा में ही था और जॉब के साथ मैं बेहतर तरीके से तैयारी नहीं कर पा रहा थी, इसीलिए मैंने एक दिन नौकरी छोड़ दी और तैयारी करने लगी।”
शादी का दबाव
एक वक्त ऐसा आया जब परिवार वाले निधि पर शादी का दबाव बनाने लगे। निधि जब यूपीएससी के अपने पहले दो प्रयासों में सफल नहीं हो पाईं, तो उनके सामने सिर्फ 2 विकल्प थे कि वो या तो शादी कर लें, या फिर अपनी जिद यानी यूपीएससी पास कर कैरियर बनाकर शादी करें।
इंडियन मास्टरमाइण्ड्स से निधि कहती हैं, “मैं जाट परिवार से आती हूं, जहां आमतौर पर शादियां जल्दी हो जाती हैं। हमारा समाज ऐसा है कि परिवार को शादी के लिए चिंता तो होती ही है। लेकिन मुझे शादी से पहले खुद की एक पहचान चाहिए थी। मुझे स्वतंत्र तौर पर पढ़ाई करनी थी। हालांकि मुझे शादी से कोई समस्या नहीं था, पर शादी के बाद कुछ और जिम्मेदारियां भी आती हैं, तो मुझे ऐसा लगता था कि मैं दो जगहों पर एक साथ पूरे समर्पण से वक्त नहीं दे पाउंगी। इसलिए मैंने फैसला किया कि अब तीसरे प्रयास में हर हाल में यूपीएससी पास करना होगा। और इसके लिए मैंने खुद को पूरी तरह झोंक दिया। मैं दिन रात मेहनत करने लगी, सिर्फ कुछ वक्त परिवार के साथ रहती, बाकी अपने कमरे में तैयारी करती रहती।”
यूपीएससी पास करना
2017 में नौकरी छोड़ने के बाद निधि ने अपने घर पर रह के ही पढ़ाई की। उन्होंने कहीं भी कोचिंग नहीं ली। आखिरकार 2018 में यूपीएससी में उनका चयन आईएएस के लिए हो गया। उनकी इस सफलता के बाद घरवालों को भी निधि पर बहुत नाज हुआ। निधि का वैकल्पिक विषय इतिहास था और उन्होंने अंग्रेजी माध्यम से परीक्षा दी थी। अपनी कड़ी मेहनत और धैर्य के सहारे सभी तरह के दबाव झेलते हुए निधि ने सफलता का जंग लगा हुआ दरवाजा अपने लिए खोल लिया।
यूपीएससी की अपनी यात्रा में निधि निरंतर अपनी हर गलती से सबक लेती गईं। बिना घबराए वो ऑनलाइन खूब पढ़ाई करतीं और खुद को लेकर देखतीं कि बाकी बच्चों की भीड़ में वो कहां पर खड़ी हैं। निधि ने मेन्स के लिए मॉक टेस्ट दिए और बेहतर आन्सर राइटिंग पर ध्यान दिया। लेकिन मेंस के पेपर में उनकी कॉपी पर उनके पीछे वाले कैंडिडेट का पानी का ग्लास गिर गया, पर निधि घरबरायी नहीं और अपनी पूरी कोशिश करते हुए पेपर पूरा किया।
कोविड की तीसरी लहर से लड़ने की तैयारी
इंडियन मास्टरमाइण्ड्स से आईएएस निधि कहती हैं, “कोविड की तीसरी लहर से बचाव पर हमारा पूरा फोकस है। अभी हम टेस्टिंग, ट्रेसिंग और टीकाकरन पर पूरी तरह अपना ध्यान केन्द्रित कर रहे हैं। जो भी नए केस आ रहे हैं, उन्हें किस तरह बिलकुल कम किया जाए, इस पर ध्यान दिया जा रहा है। गुजरात में जिला परिषद के अंतर्गत डिस्ट्रिक्ट डिस्ट्रिक्ट डेवलपमेंट ऑफिसर होते हैं। उनके साथ मिलकर मुख्य जिला चिकित्सा अधिकारी (सीडीएचओ) काम करते हैं। यह पूरी प्रक्रिया डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट यानी डीएम की देखरेख में होती है।”
निधि का कहना है कि सरकारी मशीनरी सामान्य वक्त पर सामान्य तरीके से काम करती है। पर किसी भी आपातकालीन स्थिति में जिले का पूरा प्रशासनिक अमला साथ मिलकर उस स्थिति से निपटने के लिए काम करने लगता है। तो कोविड की तीसरी लहर के लिए हम सभी तैयार हैं और कम से कम लोग इससे प्रभावित हों, इसकी तरफ हमारा पूरा ध्यान है।
आईएएस निधि हिम्मतनगर में असिस्टेंट कलेक्टर – रेविन्यू हैं। निधि कहती हैं, “अगर केस बढ़ने लगते हैं, तो हमारा पूरा स्टाफ कंटेनमेंट जोन बनाने, कांटैक्ट ट्रेसिंग करने और अस्पतालों में इंचार्ज बनाकर निरीक्षण में लग जाता है।”
यूपीएससी उम्मीदवार के लिए सुझाव
निधि बताती हैं कि कॉलेज से निकालने के बाद भी उन्होंने कभी पढ़ाई नहीं छोड़ी और इसका तैयारी में बड़ा फायदा मिला। यूपीएससी उम्मीदवारों के लिए सुझाव देने पर निधि कहती हैं, “मेरा पहला सुझाव यही है कि सिर्फ पावर को देखकर सिविल सेवा में बिलकुल मत आइये। नौकरी में आने के बाद आपके लिए सब कुछ बदल जाएगा। जमीन पर मेहनत से चीजें बदलने का जज्बा रखिए। अगर आप वास्तव में आम लोगों की सेवा करना चाहते हैं, तो बिलकुल सिविल सेवा में आइये। हमेशा अपना बेस्ट देने की कोशिश करिए। अपनी तरफ से हर चीज के लिए पूरी कोशिश करिए और बाकी सब कुछ भविष्य और नियति पर छोड़ दीजिये।”
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