Exclusive: यूपीएससी में दूसरी रैंक लाने वाली गरिमा लोहिया बोलीं- मां है, तो सब मुमकिन है
- Pallavi Priya
- Published on 25 May 2023, 4:07 pm IST
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हाइलाइट्स
- पहले प्रयास में चूक गईं गरिमा लोहिया ने दूसरी कोशिश में किया किला फतह
- उतार-चढ़ाव से भरे तैयारी वाले दिनों में मां थीं मजबूत सहारा
- अब करना चाहती हैं महिला सशक्तीकरण के लिए काम
बिहार के छोटे-से शहर बक्सर से आने वाली गरिमा लोहिया ने दूसरी रैंक के साथ यूपीएससी-सीएससी 2022 निकाल कर अपने परिवार को गौरवान्वित किया है। शुरू से ही किताबी कीड़ा रहीं गरिमा को सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक में यह सफलता दूसरे प्रयास में मिली है।
पहले प्रयास में वह प्रीलिम्स भी नहीं निकाल पाई थीं। लेकिन इस बार उन्होंने टॉपर्स की सूची में ऊपर से दूसरे नंबर पर जगह बनाई। इंडियन मास्टरमाइंड्स के साथ एक विशेष बातचीत में उन्होंने यूपीएससी की अपनी तैयारी, यात्रा और रणनीति के बारे में विस्तार से बताया।
मां का सहाराः
दो बहनों और एक भाई वाले परिवार में गरिमा बीच की संतान हैं। उन्होंने 2015 में ही अपने पिता को खो दिया था। वह व्यवसायी थे। इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बाद गृहिणी मां ने ही सारी जिम्मेदारी उठाई और सबसे बड़ा सहारा रहीं।
दिल्ली विश्वविद्यालय से वाणिज्य स्नातक करने वाली गरिमा अपनी कामयाबी का सारा श्रेय मां को ही देती हैं। कहा, “मां ने इसके लिए कड़ी मेहनत की है। वह हमेशा मेरे पास थीं। अगर मुझे किसी चीज की जरूरत होती, तो वह पूरी रात जागती रहती थी।”
गरिमा ने 10वीं तक की पढ़ाई वुडस्टॉक स्कूल, बक्सर से की। फिर 12वीं करने के लिए बनारस चली गईं। उन्होंने दिल्ली के किरोड़ीमल कॉलेज से स्नातक की डिग्री ली। उनके पास लेखन का बेजोड़ कौशल है। इसलिए उन्हें महिला सशक्तीकरण पर सर्वश्रेष्ठ निबंध के लिए संयुक्त राष्ट्र फोरम द्वारा सम्मानित किया जा चुका है।
खुद की मेहनतः
जब वह स्नातक के अंतिम सेमेस्टर में थीं, तभी कोविड-19 का प्रकोप बढ़ गया। ऐसे में वह मार्च 2020 में बक्सर वापस आ गईं। देशव्यापी लॉकडाउन के कारण कोई कोचिंग उपलब्ध नहीं थी। इसलिए उन्होंने खुद से तैयारी शुरू करने का फैसला किया। वह कहती हैं, “मैंने सिर्फ मूल पुस्तकों का अध्ययन किया और ऑनलाइन सामग्री की तलाश की। इंटरनेट ने मेरी बहुत मदद की है। मैं तो अखबार भी ऑनलाइन ही पढ़ती हूं।” बेसिक तैयार होने के बाद वह कुछ मेन्स टेस्ट सीरीज में शामिल हुईं।
रात्रि जागरणः
वह पॉडकास्ट सुनना और छोटे बच्चों को पढ़ाना पसंद करती हैं। खुद दिन में शायद ही कभी पढ़ती हैं। वह रात का इस्तेमाल पढ़ाई के लिए करती थीं, ताकि इस दौरान कोई अड़चन न आए। न कोई फोन, न ही मैसेज। उनके बारे में भाई वरुण लोहिया ने एक दिलचस्प बात बताई। कहा, “गरिमा को जोर से पढ़ने की आदत है। इससे सबको परेशानी होती थी। लेकिन हमने इसे सहन किया (वह हंसते हैं)। मुझे खुशी है कि हमने उनकी इस आदत को स्वीकार कर लिया।”
उनका वैकल्पिक विषय कॉमर्स और एकाउंटेंसी था। वह आईएएस अधिकारी बनने और महिला सशक्तीकरण के क्षेत्र में काम करने की इच्छा रखती हैं।
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