सीआईएसएफ कमांडेंट से नौकरशाह तक का सफर
- Bhakti Kothari
- Published on 4 Aug 2023, 2:30 am IST
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हाइलाइट्स
- आईएएस अधिकारी के बेटे प्रवीण निगम बने हैं सीआईएसएफ कमांडेंट से आईएफएस अधिकारी
- उन्होंने UPSC CSE-2022 में AIR-443 हासिल किया
- वह आईएएस अधिकारी पिता के नक्शेकदम पर चलकर करना चाहते हैं समाज की सेवा
भारतीय इतिहास में ऐसे अनेक व्यक्तियों की प्रेरक कहानियां हैं, जो न सिर्फ आगे बढ़े बल्कि समाज पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव डाला। ऐसी ही एक असाधारण कहानी प्रवीण निगम की है। वह केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) में कमांडिंग ऑफिसर से नौकरशाह बने हैं।सीआईएसएफ कमांडेंट से नौकरशाह बनने के इस सफर पर काफी कुछ जानने के लिए इंडियन मास्टरमाइंड्स ने उनसे बात की।
शुरुआती जीवन उत्तर प्रदेश के बरेली में जन्मे और पले-बढ़े प्रवीण हमेशा देश की सेवा के लिए उत्सुक रहते थे। 2012 में दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज से फिजिक्स ऑनर्स में बीएससी करने के बाद उन्होंने देश को अपनी सेवाएं देने की योजना बनाई। यह सब उन्होंने अपने पिता से सीखा, जो एक आईएएस अधिकारी हैं। उनके पिता को स्टेट सर्विस से प्रमोशन मिला है और वह जल्द ही रिटायर होने वाले हैं।प्रवीण ने कॉलेज के तुरंत बाद UPSC CAPF परीक्षा दी और सीआईएसएफ में सहायक कमांडेंट का पद हासिल किया। उन्हें अपनी नौकरी पर गर्व था, लेकिन उनका वास्तविक उद्देश्य तो सिविल सेवक बनना था। इसलिए उन्होंने 2016 में इंडियन फॉरेस्ट सर्विस की परीक्षा दी और 2017 बैच के आईएफएस अधिकारी बन गए।
पिता के नक्शेकदम पर
प्रवीण हमेशा पिता की नौकरी से आकर्षित रहे। एक आईएएस अधिकारी होने के नाते पिता ने उन्हें बताया कि कैसे प्रशासन आम जनता के जीवन में खुशहाली और शांति लाने के लिए हर संभव प्रयास करता है।उनकी आकांक्षाएं सीआईएसएफ और आईएफएस में सफलता हासिल कर लेने के साथ ही समाप्त नहीं हुईं। उनके मन में देश के लिए योगदान देने और नीतिगत स्तर पर पॉजिटिव बदलाव लाने की गहरी इच्छा थी। इस महत्वाकांक्षा को मन में रखते हुए उन्होंने विश्वास की छलांग लगाने और सिविल सेवा परीक्षा में बैठने का फैसला किया।
तैयारी
आईएफएस के रूप में सेवा करते हुए भी प्रवीण सिविल सेवाओं की परीक्षाओं में शामिल होते रहे, क्योंकि वह इस प्रोसेस से अलग नहीं होना चाहते थे। अपने शुरुआती प्रयासों में उन्होंने बिना किसी उचित मार्गदर्शन के सेल्फ स्टडी किया। उनका मानना है कि उन्होंने अपने सभी प्रयासों के दौरान वास्तव में कड़ी मेहनत की, लेकिन सही रास्ते पर नहीं। उन्होंने कहा, “आईएफएस के लिए चुने जाने के बाद मैं आईजीएनएफए अकादमी, देहरादून गया। वहां अपने जैसे अन्य लोगों से मिला, जो आईएएस क्रैक करने की कोशिश कर रहे थे।”
इंडियन मास्टरमाइंड्स से प्रवीण ने कहा, ”अकादमी में रहते हुए मैंने फिजिक्स से अपना ऑप्शनल सब्जेक्ट बदलकर पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन कर लिया। इसलिए कि जीएस के साथ साइंस सब्जेक्ट की तैयारी बहुत कठिन थी।”
और बदल गया जीवन
प्रवीण का मानना है कि फाउंडेशन कोर्स के दौरान उनकी जिंदगी बदल गई। वहां उनकी मुलाकात कई ऐसे लोगों से हुई, जो बहुत आश्वस्त थे। जो कुछ भी करना था, उसके बारे में वे स्पष्ट थे। उन्होंने कहा, “तब मुझे एहसास हुआ कि मेरी तैयारी सही दिशा में नहीं जा रही। उनसे बात करने से मुझे बहुत मदद मिली और मैं अपनी तैयारी के प्रति बहुत गंभीर और आश्वस्त हो गया।”यहां से उनकी तैयारी के तरीके और रणनीतियां पूरी तरह से बदल गईं। इसका फायदा उन्हें परीक्षा के दौरान मिला। उन्होंने कई मॉक टेस्ट दिए और समझा कि इंटरव्यू के लिए उचित तरीके से तैयारी कैसे की जाए।उनके प्रयास रंग लाए। कई असफल प्रयासों के बाद प्रवीण यूपीएससी सीएस 2022 में AIR-443 हासिल करने में सफल रहे। यह वह प्वाइंट था, जिसकी उन्हें तलाश थी। भले ही उन्हें अभी फॉरेस्ट सर्विस अलॉट की गई है, पर उनका मानना है कि यह उनके लिए एक नई शुरुआत है। वह पूरे दिल से इस पद पर रहते हुए देश की सेवा करने के लिए तत्पर हैं।
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