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ऑफिस के साथियों के साथ ग्रुप में पढ़ कर पाई मंजिल, अच्छी रैंक के साथ निकाला IFS 2022
- Muskan Khandelwal
- Published on 15 Jul 2023, 9:50 pm IST
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हाइलाइट्स
- हैदराबाद की साहिथी रेड्डी ने चौथे प्रयास में इंडियन फॉरेस्ट सर्विस में लाईं 48वीं रैंक
- उनके माता-पिता दोनों तेलंगाना में शिक्षा विभाग के सरकारी कर्मचारी हैं
- ऑफिस के दो सहकर्मियों के साथ ग्रुप स्टडी करने से उन्हें आखिरकार मिली सफलता
हैदराबाद की युवा इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्यूनिकेशन इंजीनियर साहिथी रेड्डी ने अपने दफ्तर के सहकर्मियों की थोड़ी-सी मदद और प्रोत्साहन से प्रतिष्ठित भारतीय वन सेवा परीक्षा (आईएफएस) 2022 पास कर ली। साहिथी ने अपने चौथे प्रयास में देश भर में 48वां स्थान प्राप्त किया।इंडियन मास्टरमाइंड्स से बात करते हुए उन्होंने अपनी इस कठिन तैयारी और इस दौरान सहकर्मियों से मिले अनमोल समर्थन के बारे में बताया।
बैकग्राउंड
साहिथी की एकेडमिक जर्नी 2017 में प्रतिष्ठित बिट्स पिलानी के हैदराबाद कैंपस से हुई। वहां से उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया। इसके बाद उन्होंने दो साल तक पुणे में हार्डवेयर डिजाइन इंजीनियर के रूप में काम किया। हालांकि, इस दौरान उन्हें अहसास हुआ कि उनका असली उद्देश्य कॉरपोरेट करियर बनाने के बजाय देश की सेवा करना है।उनके माता-पिता दोनों राज्य सरकार के कर्मचारी हैं। पिता तेलंगाना में माइनॉरिटी रेजिडेंशियल एजुकेशन डिपार्टमेंट में काम करते हैं। मां सोशल वेलफेयर रेजिडेंशियल स्कूल्स विभाग में हेल्थ अफसर हैं।
पिता का सपना
पिता ने उन्हें हमेशा एक बड़े सरकारी अफसर के रूप में कल्पना कर देखते थे। पिता के इस सपने अपना बना साहिथी ने बड़ा फैसला किया। नौकरी से इस्तीफा दे दिया। ताकि सिविल सेवाओं में शामिल होने के सपने को पूरा कर सकें। शुरुआती असफलताओं का सामना करने के बावजूद साहिथी फैसले पर अटल थीं और कड़ी मेहनत करती रहीं। हालांकि इस दौरान अपने पहले तीन प्रयासों में वह प्रीलिम्स नहीं निकाल पाईं।साहिथी की समर्पण और कड़ी मेहनत आखिरकार चौथे प्रयास में रंग लाई।
उन्होंने कहा, ‘मैंने न केवल फॉरेस्ट सर्विस की प्रीलिम्स पास की, बल्कि सिविल सेवा परीक्षा (सीएसई) की प्रीलिम्स निकालने में भी सफल रही।’
अपनी तैयारी के तरीके के बारे में साहिथी ने बताया कि उन्होंने एनसीईआरटी पुस्तकों का कई बार अध्ययन करने के लिए पर्याप्त समय दिया। प्रीलिम्स को अच्छे मार्क्स के साथ पास करने का मजबूत इरादा रखते हुए उन्होंने सफलता की तलाश में कोई कसर नहीं छोड़ी।
सहकर्मियों का मिला साथ
साहिथी की यात्रा का एक महत्वपूर्ण पहलू सहकर्मियों से मिला समर्थन था, जो सिविल सेवा परीक्षाओं की तैयारी भी कर रहे थे। उन्होंने कहा, ‘मैंने उनके साथ ग्रुप स्टडी सेशन में भाग लिया। इससे मुझे अपनी गलतियों को पहचानने और उन्हें प्रभावी ढंग से सुधारने का मौका मिला।’ ग्रुप में मिलकर तैयारी करने से तीनों सहकर्मियों ने एक साथ प्रीलिल्म पास की। इससे मेन्स के लिए उनका आत्मविश्वास और बढ़ गया।उन्होंने अपने गुरुओं को भी इसका क्रेडिट दिया।
कहा, ‘मैं प्रियंका वर्गीज मैम और डीसीएफ नर्शिमा रेड्डी सर के साथ-साथ एफसीआरआई को भी धन्यवाद देना चाहूंगी, जिन्होंने इंटरव्यू की तैयारी के दौरान महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।’
चुनौतियों पर काबू पाया
मेन्स में उन्हें एक नई चुनौती का सामना करना पड़ा, क्योंकि उन्होंने दो नए विषय चुने थे: एग्रीकल्चर और जूलॉजी। एग्रीकल्चर का कोई बैकग्राउंट नहीं होने के कारण उन्होंने एक मित्र से मार्गदर्शन मांगा. जो इस क्षेत्र में ग्रेजुएट थे। वह सिविल सर्विसेज के लिए ऑप्शनल में एग्रीकल्चर ही रखा था। साहिथी ने बताया कि उन्होंने विषय की मूल बातें समझने में मेरी सहायता की, जिसका मुझे बहुत फायदा मिला।
इंटरव्यू
साहिथी के लिए इंटरव्यू एक घबराहट पैदा करने वाला अनुभव था। हालांकि, उनकी दृढ़ता और विषयों के गहन ज्ञान ने पैनलिस्टों को प्रभावित किया। इसके कारण 210 अंक हासिल किए, जो उनके बैच में बहुत था।इंटरव्यू के दौरान पैनलिस्टों ने उनसे नलगोंडा में फ्लोराइड की समस्या के बारे में पूछा, जिसका वह जवाब नहीं दे सकीं। हालांकि, उन्होंने कहा कि जब वह जवाब देते समय अटक गईं तो पैनलिस्ट बहुत सौहार्दपूर्ण और मददगार थे।इस प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वालों के लिए साहिथी की केवल एक सलाह है- यदि आप वास्तव में इस सर्विस में आना चाहते हैं, तो आपको असफलताओं के बावजूद टिके रहना होगा
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