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कैसे एक बर्डवॉचर ने मेडिटेशन स्किल से क्रैक किया IFS, मिलिए UPSC IFS-2022 में AIR-4 लाने वाली अनुष्का लोहिया से
- Ayodhya Prasad Singh
- Published on 6 Jul 2023, 10:47 am IST
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हाइलाइट्स
- महाराष्ट्र से ताल्लुक रखने वाली अनुष्का लोहिया ने अपने पांचवें प्रयास में पाई सफलता• उन्होंने अमरावती कलेक्टर के अधीन रिसर्च फेलो के तौर पर भी किया है काम
- सीएसई और आईएफएस की तैयारी एक साथ शुरू किया था, मगर बाद में सिर्फ आईएफएस की ओर रुख किया
प्रसिद्ध अमेरिकी लेखक और कारोबारी हार्वे मैके ने एक बार कहा था, ‘जब आपका कोई ऐसा सपना हो, जिसे आप पूरा किए बगैर नहीं छोड़ सकते हैं तो अपनी अंतरात्मा पर भरोसा रखकर उसे पूरा करें। लेकिन याद रखें: वास्तविक सपनों के लिए मेहनत करनी पड़ती है। धैर्य की आवश्यकता होती है और कभी-कभी आपको बहुत गहराई तक जाना पड़ता है। इसलिए यह सुनिश्चित करें कि आप ऐसा करने को तैयार हैं।’ ये पंक्तियां इंडियन फॉरेस्ट सर्विस (IFS) की टॉपर अनुष्का अभिजित लोहिया की पूरी यात्रा को खूबसूरती से बयां करती हैं। उनके लिए सबसे बड़ी प्रेरणा पर्यावरण के लिए कुछ करने की इच्छा थी और इसके लिए उन्होंने सात साल तक इंतजार किया।इन सालों में वह कई उतार-चढ़ाव से गुजरीं, लेकिन उन्होंने अपने सपने को कभी मरने नहीं दिया। आखिरकार, सात साल की कड़ी मेहनत के बाद उन्होंने पांचवें प्रयास में AIR 4 के साथ यूपीएससी IFS-2022 में सफलता हासिल की।बचपन से ही पक्षी प्रेमी और प्रकृति के बहुत करीब होने के कारण वह हमेशा से फॉरेस्ट सर्विस में जाना चाहती थीं। वह नियमित रूप से पक्षियों को देखने के लिए जंगलों में जाती हैं, क्योंकि इससे उन्हें आईएएस के बजाय आईएफएस में करियर बनाने की प्रेरणा मिलती है। इसलिए उन्हें लगता है कि इस सर्विस में वह पर्यावरण के अधिक करीब रहेंगी।इंडियन मास्टरमाइंड्स से बात करते हुए उन्होंने अपनी इस लंबी यात्रा के बारे में काफी कुछ बताया।
अब तक की यात्रा
अनुष्का अभिजीत लोहिया कहती हैं, ‘यह एक लंबी यात्रा रही है, लेकिन अब मैं संतुष्ट हूं। जीवन ने हर स्तर पर मेरी परीक्षा ली और मुझे अपने सपनों और पर्यावरण के प्रति अपनी इच्छाओं के लिए लड़ना पड़ा। मैं तो यही कहूंगी कि हमें हमेशा चलते रहना है।’
उन्होंने ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद 2016 में सिविल सेवा की तैयारी शुरू की। शुरुआत में उन्होंने यूपीएससी सीएसई और आईएफएस दोनों के लिए तैयारी की। लेकिन वह 2017 और 2018 में अपने पहले दो प्रयासों में प्रीलिम्स क्लियर नहीं कर सकीं। तीसरे प्रयास में, उन्होंने प्रीलिम्स क्लियर किया और दोनों परीक्षाओं की कट-ऑफ, सीएसई और आईएफएस के लिए क्वालीफाई कर लिया। लेकिन दोनों के लिए मेन्स लिखते समय उन्हें अहसास हुआ कि उन्हें सीएसई की तुलना में आईएफएस में अधिक रुचि है। फिर उसी समय उन्होंने मन बना लिया कि अगर उन्हें आईएएस नहीं मिला, तो वह आईएफएस में ही जाएंगीं। दुर्भाग्य से वह उस वर्ष किसी भी परीक्षा में मेन्स क्लियर नहीं कर पाई।फिर 2020 में चौथे प्रयास में उन्होंने केवल IFS परीक्षा दी और इंटरव्यू राउंड तक पहुंच गईं। इंटरव्यू में भी उन्हें सर्वोच्च अंक (2016) मिले, लेकिन मेन्स में ऑप्शनल में कम अंक आने के कारण वह अंतिम सूची में जगह नहीं बना सकीं। इस बार उसका दिल सचमुच टूट गया था, लेकिन हार मान लेना उनकी फितरत नहीं थी।इसके बाद उन्होंने पूरी स्थिति का विश्लेषण किया और फिर रणनीति बदलने का निर्णय लिया। एक साल का ब्रेक लेने और अपने ऑप्शनल विषयों में से एक को बदलने का फैसला किया। इसलिए उन्होंने 2021 में परीक्षा नहीं दी। यह उनके लिए अच्छा रहा, क्योंकि उन्हें अपनी कमजोरियों पर काम करने और अपनी ताकत का लाभ उठाने का समय मिला। IFS-2022 में पांचवें प्रयास में उन्होंने आखिरकार परीक्षा पास की और AIR-4 के साथ अपने लंबे समय के सपने को पूरा किया।
मेडिटेशन कैंप
तैयारी के शुरुआती दिनों में उन्हें लगा कि उनके अंदर कुछ कमी है। इस बारे में विस्तार से बताते हुए उन्होंने कहा, ‘मैं बहुत जल्दी घबरा जाती थी। शायद इसीलिए मैं अपने दो प्रीलिम्स में अच्छा नहीं कर पाई, क्योंकि आपको प्रदर्शन करने के लिए केवल दो घंटे मिलते हैं।’ इसलिए, इसे बदलने के लिए उन्होंने मेडिटेशन की मदद ली और पुडुचेरी में स्पिरिचुअल यूथ कैंप में भाग लिया।वह उनके जीवन का एक महत्त्वपूर्ण मोड़ था, क्योंकि मेडिटेशन ने न केवल उनकी एकाग्रता को बढ़ाया, बल्कि शांत रहने में भी मदद की। साथ ही उनके कौशल को भी बढ़ाया और उनके आत्मविश्वास को दूसरे लेवल तक ले गया।
बैकग्राउंड
वह महाराष्ट्र के बीड जिले के अंबाजोगाई तालुका से ताल्लुक रखती हैं। उनके पिता दयानंद साइंस कॉलेज, लातूर से फिजिक्स के रिटायर लेक्चरर हैं। मां मेडिसिन में एमडी हैं और अपने गांव में एक छोटा अस्पताल चलाती हैं। वह अपने माता-पिता की इकलौती संतान हैं। उनकी छह महीने पहले शादी हुई है और उनके पति सिविल इंजीनियर हैं।उन्होंने बीड से ही 10वीं की परीक्षा पास की। फिर उन्होंने 11वीं और 12वीं लातूर से की। इसके बाद उन्होंने 2016 में कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, पुणे से बी.टेक की पढ़ाई पूरी की।उनके परिवार ने इस लंबी यात्रा में उनका पूरा समर्थन किया। तैयारी के दौरान घर वालों ने उनका उत्साह और मनोबल ऊंचा रखा, ताकि वह कभी हार न मानें। माता-पिता से लेकर उनके पति तक, सभी ने हमेशा उनसे कहा कि उसमें यह करने की क्षमता है और उन्हें यह अवश्य करना चाहिए।साल 2020 में उन्हें महात्मा गांधी राष्ट्रीय फैलोशिप कार्यक्रम के लिए चुना गया। उन्होंने अमरावती कलेक्टर के तहत कौशल विकास में रिसर्च फेलो के रूप में काम करना शुरू कर दिया। हालांकि, उन्होंने अपनी परीक्षा की तैयारी जारी रखी। लेकिन, IFS-2022 मेन्स परीक्षा से ठीक पहले उन्होंने इस्तीफा दे दिया।
यूपीएससी आईएफएस
उन्होंने ज्यादातर सेल्फ स्टडी की और टेस्ट सीरीज के लिए ही कोचिंग ज्वाइन की। इंटरव्यू के लिए उन्होंने आईपीएस अधिकारी महेश भागवत की मदद ली। उनके ऑप्शनल सब्जेक्ट में एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग (एई) और फॉरेस्ट्री थे।उनकी रणनीति छोटे लक्ष्यों पर आधारित थी। वह अपने दिन को तीन भागों में बांटती थीं और एक दिन में तीन विषयों की पढ़ाई करती थीं। उन्होंने कई टेस्ट पेपर हल किए और PYQ पर ध्यान केंद्रित किया। अपने ऑप्शनल सब्जेक्ट एई के लिए उन्होंने पिछले आठ वर्षों के पेपरों का अध्ययन किया और पिछले दो वर्षों के पेपर भी लिखे।अनुष्का कहती हैं कि 2020 तक मुझे अपने ऑप्शनल सब्जेक्ट में से एक सिविल इंजीनियरिंग में समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था। इसलिए मैंने उसे छोड़ दिया और एई को चुना। अपने एक साल के ब्रेक में मैंने इस विषय की ठीक से तैयारी की और अन्य कमियों को भी ठीक किया। उन्होंने आगे कहा कि वह रोजाना आठ से नौ घंटे पढ़ाई करती थीं।
इंटरव्यू
उनका इंटरव्यू ज्यादा DAF आधारित नहीं था। पैनल ने उनसे बायो डायवर्सिटी और पर्यावरण पर सवाल पूछे। उनसे पूछा गया कि छत्रपति संभाजी नगर को पहले औरंगाबाद के नाम से क्यों जाना जाता था और फिर इसका नाम क्यों बदला गया। उनसे समसामयिक मुद्दों से जुड़े कई सवाल भी पूछे गए। जैसे: मणिपुर में संघर्ष क्यों है? इसके पीछे मुख्य कारण क्या है? अगर आपको मणिपुर का मसला सुलझाना है तो आप क्या कदम उठाएंगी?
सलाह
तैयारी करने वालों को सुझाव देते हुए अनुष्का कहती हैं, ‘यदि आप प्रकृति से जुड़े हुए हैं और पूरी तरह से उसके प्रति ईमानदार हैं, तो यह करियर आपके लिए है। यदि आप अच्छी योजना बनाएंगे तो आपको इस परीक्षा की तैयारी के लिए पर्याप्त समय मिलेगा। तैयारी की इस यात्रा के दौरान व्यक्ति को अपने व्यक्तित्व और स्वास्थ्य पर अधिक ध्यान देना चाहिए।’ उन्होंने यह सुझाव भी दिया कि अगर कड़ी तैयारी के बाद भी किसी का सिलेक्शन नहीं हो तो क्या करना चाहिए। वह कहती हैं कि आपको चिंता और डिप्रेशन जैसी स्थिति का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन अगर आप पढ़ाई में अच्छे हैं और आपका व्यक्तित्व अच्छा है, तो निश्चित रूप से चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है।
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