आईएएस अंकिता चौधरी की कहानी, जिनको मिली एक असफलता ने यूपीएससी के आगे की दुनिया दिखा दी!
- Ayodhya Prasad Singh
- Published on 22 Nov 2021, 2:10 pm IST
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हाइलाइट्स
- आपके सपने बड़े हों और उन्हें पाना आपका एक मात्र लक्ष्य हो। लेकिन क्या हो अगर उन सपनों की राह में आई एक असफलता आपके सोचने का तरीका ही बदल दे!
- 2018 बैच की हरियाणा कैडर की आईएएस अधिकारी अंकिता की ये कहानी आपके जीवन के मायने बदल सकती है।
- अंकिता एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखती थी, शुरुआत में वह असफल होने के बाद भी वो बिना उम्मीद खोए लगातार कड़ी मेहनत करती रहीं
यूपीएससी-2018 की टॉपर अंकिता चौधरी के इन शब्दों को सिविल सेवा के ख्वाब देखने वाले हर उम्मीदवार को याद कर अपने जीवन में उतार लेना चाहिए।
इंडियन मास्टरमाइण्ड्स से एक खास बातचीत में अंकिता की ये बेहद कीमती बातें हर यूपीएससी छात्र को यही संदेश देती हैं कि यूपीएससी के आगे भी एक दुनिया है और उस दुनिया को महज एक ख्वाब के लिए खोया नहीं जा सकता। अंकिता ने भले ही अपने दूसरे प्रयास में भारत की सबसे कठिन परीक्षा यूपीएससी में देश भर में 14 वां स्थान लाते हुए आईएएस का पद पा लिया, लेकिन पहले प्रयास की असफलता ने ही उन्हें जीवन का वो सच दिखलाया जिसके बारे में वो सबसे बताती हैं और सीखने को कहती हैं।
शुरुआत
हरियाणा के रोहतक जिले के एक कस्बे महम से आने वाली अंकिता एक साधारण परिवार से नाता रखती हैं। उनकी मां एक शिक्षक थीं और पिता शुगर मिल में अकाउंटेंट के पद पर काम करते हैं। अंकिता का बचपन से ही एक ही सपना था कि उन्हें आईएएस बनना है। उनकी शुरुआती पढ़ाई महम में ही हुई। उसके बाद उन्होंने दिल्ली से स्नातक किया और आईआईटी से केमिस्ट्री में एमएससी कर पोस्ट-ग्रेजुएशन पूरा किया। पोस्ट-ग्रेजुएशन करने के बाद अंकिता ने पहली बार यूपीएससी परीक्षा दी और असफल रहीं। अपने पहले प्रयास में उनका प्री तक क्लियर नहीं हुआ।
इंडियन मास्टरमाइण्ड्स से बात करते हुए अंकिता कहती हैं, “मैं हमेशा से सिविल सेवा में जाना चाहती थी, लेकिन जब मैंने ग्रेजुएशन किया तो मुझे लगा की अभी मैं पूरी तरह से इस परीक्षा के लिए तैयार नहीं हूं, तो मैंने पोस्ट-ग्रेजुएशन करने का फैसला किया और साथ में तैयारी भी करती रही। लेकिन जब मैं अपने पहले प्रयास में प्री में ही असफल रही तब मेरे जीवन में एक बड़ा बदलाव आया। क्योंकि मेरे जीवन में एक वक्त ऐसा भी था कि मेरा बस एक ख्वाब ही था कि मैं यूपीएससी के अलावा और कुछ नहीं करूंगी। लेकिन इस एक असफलता ने मेरी सोच को नए मायने दिए और मुझे ये सोचने पर मजबूर किया अगर मैं यूपीएससी नहीं निकाल पाई तो क्या करूंगी! क्या मेरे लिए सब कुछ वही खत्म हो जाना चाहिए या उसके बाद भी कोई और मुकाम हासिल करना चाहिए।”
अंकिता आगे कहती हैं, “और मुझे समझ आया कि यूपीएससी के बाद भी जिंदगी में बहुत कुछ है। इसलिए मैंने कुछ और परीक्षाएं भी दी और उन्हें पास भी किया। कभी-कभी जीवन में आपके हिस्से की एक असफलता भी आपको बहुत कुछ सिखा देती है। मैंने भी प्लान बी पर काम किया। अगर मैं सिविल सेवा में नहीं जा पाती तो शायद पीएचडी करती या कुछ और भी परिक्षाएं देती। जीवन में कभी भी कुछ खत्म नहीं होता, बस कुछ बेहतर करने का हौसला बना रहना चाहिए।”
तैयारी और सुझाव
वर्तमान में नॉर्थ-गुरुग्राम में एसडीएम अंकिता का यूपीएससी में वैकल्पिक विषय पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन (लोक प्रशासन) था। इस पर वो कहती हैं कि 2014 तक यूपीएससी में दो वैकल्पिक विषय लेने होते थे, तो मैंने सोच रखा था कि एक विषय विज्ञान से और एक आर्ट से चुन लूंगी। लेकिन जब एक ही वैकल्पिक विषय का चुनाव करना था तो विज्ञान की बजाय मैंने पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन चुना, क्योंकि इससे मुझे जीएस यानी सामान्य ज्ञान में बहुत सहायता मिलती।
तैयारी को लेकर अपनी रणनीतियों पर अंकिता कहती हैं, “देखिये तैयारी को लेकर वैसे तो हर किसी की अपनी स्ट्रैटजी होती है। लेकिन अगर मैं खुद के बारे में कहूं तो मैंने ‘हार्ड वर्क से ज्यादा स्मार्ट वर्क’ वाली स्ट्रेटजी में भरोसा किया। आपको एकदम क्लियर होना चाहिए कि क्या पढ़ना है, कितने वक्त में पढ़ना है और सबसे जरूरी कि उसे कब और कैसे रिवाइज करना है। साथ ही अपनी गलतियों की पहचान करें और उसमें सुधार करते जाएं। प्री परीक्षा के पहले कब से मॉक टेस्ट देना है, मेंस से कितना पहले आन्सर राइटिंग के लिए अभ्यास करना है, ये सब भी आपकी रणनीतियों का अहम हिस्सा होना चाहिए। कैसे फैक्ट इस्तेमाल करना है और कितना डाटा देना है, ये भी बहुत जरूरी है। तैयारी के बेहतर तरीके से रिवीजन के लिए छोटे-छोटे नोट्स भी बनाएं। स्मार्ट तरीके से काम करें, न कि बस पढ़ते जाएं।”
लड़कियों के लिए संदेश
हरियाणा कैडर की आईएएस अधिकारी अंकिता एक ऐसे समाज से आती हैं जहां आज भी लड़कियों के लिए कई पाबंदियां हैं। लेकिन उनका उन लड़कियों के लिए एक खास संदेश हैं। अंकिता कहती हैं, “देश के किसी भी हिस्से में किसी भी लड़की को डरना नहीं चाहिए, आपने जिसके ख्वाब देखे हैं उसके लिए आगे बढ़िए। आपके जीवन का जो भी उद्देश्य हो, उसे पूरा करने की कोशिश करिए। एक वक्त के बाद फर्क नहीं पड़ेगा की आप क्या हैं, सपने देखने का लड़का या लड़की होने से कोई मतलब नहीं है। फर्क इससे पड़ता है कि आप कितनी मेहनत करते हैं और अपने गोल के लिए कितना समर्पित हैं। अगर आप ने एक बार खुद को साबित कर दिया तो समाज को भी आपके आगे झुकना होगा।”
अंकिता कहती हैं, “मैं खूब पढ़ना चाहती थी और मेरे माता-पिता ने हमेशा इसमें मेरा पूरा समर्थन किया। इसलिए समाज से ज्यादा ये आपके माता-पिता पर निर्भर है कि वो आपको कितना सपोर्ट करते हैं।”
कोविड की तीसरी लहर
कोविड-19 की तीसरी लहर से लड़ने के लिए क्या उपाय किए जा रहे हैं? इंडियन मास्टरमाइण्ड्स के इस सवाल पर अंकिता कहती हैं, “हम सभी जरूरी तैयारियां कर रहे हैं, ऑक्सीजन प्लांट लगाए जा रहे हैं, एम्बुलेंस बढ़ाई जा रही हैं, अस्पतालों में नए बेड की व्यवस्थाएं भी की जा रही है। यह एक सतत प्रयास है या यूं कहें कि एक निरंतर प्रक्रिया है, जिसपर हम तेजी से काम कर रहे हैं। अभी हमारे लिए कोरोना की दूसरी लहर ही बेंचमार्क है और उसी आधार पर हम फैसले लेकर तीसरी लहर से आमजन को बचाने के सभी प्रयास कर रहे हैं।
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