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मिलिए 7 बार प्रीलिम्स क्लियर करने वाले एयरोस्पेस इंजीनियर से, इस साल बने IFS ऑफिसर
- Ayodhya Prasad Singh
- Published on 20 Jul 2023, 10:53 am IST
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हाइलाइट्स
- आंध्र प्रदेश के भुवनेश्वर बाबू ने छठे प्रयास में IFS 2022 में पाई सफलता
- वह 6 बार मेन्स परीक्षा में फेल हो गए, क्योंकि उन्होंने जवाब लिखने की प्रैक्टिस नहीं की थी
- भुवनेश्वर बाबू ने यूपीएससी-2023 का प्रीलिम्स भी पास कर लिया है, मगर वह मेन्स में शामिल नहीं होंगे
जैसे परीक्षा देने वाले सभी इंडियन फॉरेस्ट सर्विस (IFS) के रिजल्ट की ओर टकटकी लगाए रहते हैं, वैसे ही भुवनेश्वर बाबू भी कर रहे थे। रिजल्ट आया, लेकिन अनोखे तरीके से। उन्हें मैसेजिंग ऐप्लिकेशन टेलीग्राम पर रिजल्ट की पीडीएफ मिली। पहले तो उन्होंने सोचा कि यह फर्जी हो सकता है, क्योंकि उस दिन शनिवार था और यूपीएससी बंद होगा। फिर कांपते हाथों से जैसे ही उन्होंने स्क्रॉल किया, अचानक अपना नाम आंखों के सामने घूम गया। उन्होंने सोचा कि आंखें धोखा खा रही हैं, जैसे उनकी किस्मत उन्हें 2016 से लगातार धोखा दे रही है। इसलिए उन्होंने अपने करीबी दोस्त वेंकट श्रीकांत के नाम की जांच की। वह श्रीकांत का नाम AIR 1 पर देखकर चौंक गए। उन्होंने तुरंत उन्हें फोन किया। श्रीकांत ने पुष्टि की कि हां, यह रिजल्ट सही है।तब जाकर भुवनेश्वर ने राहत की सांस ली। थोड़ा भावुक हुए। आखिरकार वह समय जो आ गया था,जिसके लिए उन्होंने आठ वर्षों तक प्रतीक्षा की थी। जो सपना उन्होंने वर्षों से सहेज कर रखा था, आखिरकार सच हो रहा था! उनकी धैर्य की कहानी हर किसी के लिए प्रेरणादायक है।आखिरकार मिली सफलता
आंध्र प्रदेश के एयरोस्पेस इंजीनियर नारा भुवनेश्वर बाबू ने 31वीं रैंक के साथ आईएफएस-2022 में सफलता हासिल की। यह आईएफएस के लिए उनका दूसरा प्रयास था। कुल मिलाकर यह यूपीएससी के लिए उनका 7वां प्रयास था। उन्होंने वर्षों तक लगातार असफलताएं देखीं, लेकिन कभी हार नहीं मानी। हालांकि, कोई बैकअप योजना नहीं थी। इसलिए मानसिक तनाव का सामना करना पड़ा। फिर भी वह अपने सपने को लेकर डटे रहे और इसे सच करने के लिए प्रयास जारी रखा। उनकी पूरी यूपीएससी यात्रा इस बात का प्रमाण है कि क्यों कैंडिडेट्स के पास स्पष्ट लक्ष्य होने चाहिए। यानी कुछ भी हो जाए, कोशिश जारी रहनी चाहिए।
अब तक की यात्रा
भुवनेश्वर ने ग्रेजुएशन के तुरंत बाद 2015 में तैयारी शुरू कर दी थी। इससे पहले वह केवल यूपीएससी सीएसई की तैयारी कर रहे थे, क्योंकि उनका लक्ष्य आईएएस में जाना था। लेकिन 2021 में वह IFS की ओर बढ़ गए। उन्होंने कुल मिलाकर आठ बार कोशिश की, लेकिन सफलता इस बार ही मिली। उन्होंने सभी प्रीलिम्स क्लियर कर लिए थे, लेकिन अपने पिछले प्रयासों में केवल 2021 मेन्स ही क्लियर कर पाए थे।उन्होंने पहला प्रयास 2016 में किया था, लेकिन मेन्स क्लियर नहीं कर सके। उसके बाद 2021 तक उन्होंने लगातार प्रीलिम्स क्लियर किया। इनमें IFS के लिए कटऑफ भी शामिल था। लेकिन उन्होंने 2021 तक आईएफएस विकल्प नहीं भरा था। अपनी गलतियों से सीखते हुए यूपीएससी-2021 में उन्होंने सीएसई को पूरी तरह से छोड़ दिया और केवल आईएफएस पर ध्यान लगाया। इसलिए कि उन्हें पता था कि दोनों परीक्षाओं की तैयारी करना बहुत तनावपूर्ण हो सकता है।दिलचस्प बात यह है कि उस साल किस्मत ने उनके साथ धोखा किया। उन्होंने सीएसई प्रीलिम्स की कटऑफ तो पास कर ली, लेकिन आईएफएस नहीं। इंडियन मास्टरमाइंड्स से बात करते हुए उन्होंने कहा, ‘यूपीएससी-2021 प्रीलिम्स के एक महीने पहले मेरी शादी हो गई थी। इससे मेरी कटऑफ प्रभावित हुई। मैं करेंट अफेयर्स की तैयारी ठीक से नहीं कर सका, जिसका असर मेरे रिजल्ट पर पड़ा। आखिरकार IFS-2022 में मुझे सफलता मिली। यह लगभग 8 वर्षों की बहुत लंबी यात्रा रही है।’
स्पेश साइंस के बाद सिविल सर्विसेज क्यों
कोई भी यह जानने को उत्सुक होगा कि एक एयरोस्पेस इंजीनियर ने अपने लिए दूसरा करियर क्यों चुना। भुवनेश्वर इसका सीधा जवाब देते हैं ‘12वीं के बाद मैं एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में शामिल हो गया। दरअसल में उस विषय को जानने के लिए उत्सुक था। लेकिन जब मैं ग्रेजुएशन कर रहा था तो मुझे सिविल सर्विसेज के बारे में विस्तार से पता चला। उन्हीं दिनों मेरे चचेरे भाई का भी आईएएस में चयन हो गया। यही वह समय था, जब मुझमें सिविल सेवाओं के प्रति अधिक रुचि विकसित हुई। फिर ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के तुरंत बाद मैंने इसकी तैयारी शुरू कर दी।’
साथ ही उन्होंने कहा कि जंगलों के प्रति उनका प्रेम भी दिन-ब-दिन बढ़ता गया। अब वह आईएफएस से खुश हैं, क्योंकि यहां उन्हें हमेशा हरियाली के साथ काम करने, जंगल में रहने और उसके संरक्षण की दिशा में काम करने का मौका मिलेगा।
बैकग्राउंड
वह आंध्र प्रदेश के अन्नामय्या जिले के मदनपल्ले शहर के रहने वाले हैं। वह अपने शिक्षक माता-पिता की इकलौती संतान हैं। उन्होंने 12वीं तक की स्कूली शिक्षा अपने गृह नगर में ही की। उसके बाद 2015 में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, तिरुवनंतपुरम से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में बी.टेक किया। इसके तुरंत बाद उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी।यूपीएससी
उनकी तैयारी समयबद्ध थी। शुरुआती वर्षों में उन्होंने कभी भी जवाब लिखने की प्रैक्टिस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। शायद इसीलिए हर साल प्रीलिम्स क्लियर करने के बाद भी वह मेन्स क्लियर नहीं कर पाए। उन्होंने कहा, ‘मेन्स में मेरे लगातार फेल होने का कारण था- जवाब लिखने पर ज्यादा ध्यान न देना। यह एक बड़ी गलती थी, जिसने मुझे कई वर्षों तक सफलता से दूर रखा।’
IFS में उनका ऑप्शनल विषय जियोलॉजी और फॉरेस्ट्री था। सीएसई के लिए उनका ऑप्शनल विषय पीएसआईआर (पॉलिटिकल साइंस और इंटरनेशनल रिलेशंस) था। उन्होंने अपने वैकल्पिक विषयों के लिए कोचिंग ली, लेकिन अपना जीएस पेपर खुद ही तैयार किया। जियोलॉजी के लिए उन्होंने प्लैनेट नोट्स का अध्ययन किया। फॉरेस्ट्री के लिए उन्होंने मणिकंदन पढ़ा।
वह कहते हैं, ‘प्रीलिम्स के लिए कटऑफ पास करने के लिए बहुत अधिक ज्ञान की आवश्यकता होती है। प्रीलिम्स से पहले तीन महीने तक मैंने लगातार परीक्षा पर ध्यान केंद्रित किया और प्रतिदिन कम से कम 10 घंटे पढ़ाई की। मैंने करेंट अफेयर्स का अध्ययन किया। फिर मेन्स के लिए मैंने लिखने का खूब अभ्यास किया।’
उनकी रणनीति सबसे पहले जीएस और वैकल्पिक के समय पर संशोधन के साथ कई टेस्ट पेपर और पीवाईक्यू को हल करने की थी। ताकि बाद में करेंट अफेयर्स पढ़ने के लिए पर्याप्त समय मिल सके।
इंटरव्यू
उनका इंटरव्यू डीएएफ और उनकी रुचियों पर आधारित था। उनकी पढ़ाई-लिखाई को लेकर कई सवाल पूछे गए। उनसे पूछा गया कि उन्होंने इंजीनियरिंग से यूपीएससी की ओर रुख क्यों किया? साथ ही, उन्हें आईएएस से ज्यादा आईएफएस में दिलचस्पी क्यों है?
असफलताओं से निपटना
उन्होंने साल दर साल असफलता का सामना कैसे किया? इस पर वह कहते हैं कि मैं भाग्यशाली हूं कि मेरे माता-पिता हमेशा सहायक रहे। फिर भी, सफलता के लिए सात साल तक इंतजार करना एक लंबा समय है। लेकिन, वह चलता रहा। उन्होंने बताया कि यह एक आसान यात्रा नहीं थी, क्योंकि चयन नहीं होने के बाद मुझे मानसिक तनाव झेलना पड़ा। उसी समय मैंने अपने दोस्तों को करियर में आगे बढ़ते देखा और मुझे लगा कि मैं पीछे रह गया हूं। बैकअप होना हमेशा अच्छा होता है। तब मेरे पास यह नहीं था, जो एक बड़ी गलती थी। इसका मुझ पर बहुत प्रभाव पड़ा, क्योंकि मैं लगातार अपने भविष्य को लेकर चिंतित रहता था और अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पा रहा था।
सलाह
एक कठिन लंबी यात्रा से गुजरने के बाद उन्होंने तैयारी करने वालों के लिए एक संदेश दिया है- ‘कंपीटिशन बहुत बढ़ गई है। इसलिए गंभीरता के साथ एक अच्छा प्रयास करने की आवश्यकता है। अपना समय बर्बाद नहीं करना चाहिए, जैसा कि मैंने तैयारी के शुरुआती दिनों में किया था। और, बेहतर होगा कि आप पहले से ही उत्तर लिखने का अभ्यास कर लें।‘
उन्होंने सोशल मीडिया पर भी संक्षेप में बात करते हुए कहा कि यह ध्यान भटकाने वाला है लेकिन अगर समझदारी से इस्तेमाल किया जाए, तो अच्छा स्रोत भी है। उन्होंने निष्कर्ष निकाला, व्यक्ति को संतुलन बनाना सीखना होगा।
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