Exclusive: प्रीलिम्स में तीन बार फेल होने वाले राहुल श्रीवास्तव की कहानी, जिन्होंने यूपीएससी-2022 में हासिल की 10वीं रैंक
- Pallavi Priya
- Published on 26 May 2023, 5:04 pm IST
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हाइलाइट्स
- इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने यूपीएससी की तैयारी शुरू की
- असफलताओं ने उन्हें निराश किया, लेकिन उससे टूटे नहीं
- खेलों से बने रहे पॉजिटिव, दोस्तों संग खेलने से मिलती रही ऊर्जा
“लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।” प्रसिद्ध कवि हरिवंश राय बच्चन की ये पंक्तियां राहुल श्रीवास्तव पर सटीक बैठती हैं। उन्होंने यूपीएसी-सीएसई 2022 में देशभर में 10वीं रैंक हासिल की है। यह उनका चौथा प्रयास था। दिलचस्प बात यह कि वह पहले तीन प्रयासों में प्रीलिम्स भी पास नहीं कर सके थे। हालांकि, न तो उन्होंने उम्मीद खोई और न ही मेहनत छोड़ी।
इंडियन मास्टरमाइंड्स के साथ विशेष बातचीत में पटना में रहने वाले श्रीवास्तव ने उतार-चढ़ाव से भरी अब तक की अपनी यात्रा के बारे में बताया। बताया कि कैसे इस इलेक्ट्रिकल इंजीनियर ने अपने सिविल सेवाओं के सपने को पूरा करने के लिए कैंपस सेलेक्शन को चकमा दिया।
विफलताओं से घबराएँ नहीं
श्री श्रीवास्तव अपने माता-पिता के साथ रहते हैं। उनके पिता रिटायर बैंक कर्मी हैं, जबकि मां गृहिणी हैं। सेंट करेन से 10वीं और डीएवी पब्लिक स्कूल से 12वीं करने के बाद वह इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बी.टेक के लिए एनआईटी, तिरुचिरापल्ली (तमिलनाडु) चले गए।
अपनी स्नातक स्तर की पढ़ाई के बाद ही श्रीवास्तव ने यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी। वैकल्पिक विषय के रूप में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग को चुना। उन्होंने कहा, “इस विषय की पढ़ाई मेरी पूरी थी। इसलिए वैकल्पिक विषय के रूप में इसे चुनना बहुत आसान था। अंतिम वर्ष की पढ़ाई के दौरान ही मैंने नौकरशाह बनने का फैसला कर लिया था। इसलिए कैंपस सेलेक्शन में भी नहीं गया।”
हालांकि, प्रीलिम्स क्लियर नहीं कर पाने के बाद उन्हें निराशा हाथ लगी। उनका कहना है कि वह मेन्स के लिए पूरी तरह से तैयार थे, लेकिन उन्हें मौका ही नहीं मिल रहा था। लगातार असफलताओं ने उनकी तैयारी को भी प्रभावित किया।
वह कहते हैं, “मेरा लक्ष्य स्पष्ट था। इसलिए मैं वापस नहीं बैठ सकता था। बस, थोड़ा निराश था। मैंने खुद को संभाला और अधिक उत्साह के साथ नई शुरुआत की।” इस साल उन्हें उम्मीद थी, लेकिन 10वीं रैंक की उम्मीद कतई नहीं थी। वह इस नतीजे से खुश हैं।
स्पोर्ट्स से मिली मदद
वॉलीबॉल, शतरंज और क्रिकेट के प्रति उत्साही इस खिलाड़ी ने अपने कठिन परिश्रम और तैयारी के दौरान खेलों में सुकून पाया।
आईएएस अधिकारी बनने की इच्छा रखने वाले श्रीवास्तव कहते हैं, “मैंने रोजाना कम से कम 5-6 घंटे पढ़ने की कोशिश की। कभी-कभी घंटे बढ़ जाते थे, तो कभी-कभी मैं निर्धारित लक्ष्य को पूरा नहीं कर पाता था। लेकिन एक बात ठान ली थी कि चाहे मैं जो कुछ भी पढ़ूं, पूरी एकाग्रता के साथ ही पढ़ना है।”
वह कहते हैं कि अपने दोस्तों और पड़ोसियों के साथ खेलने से उन्हें असफलताओं से निपटने और पॉजिटिव बने रहने में मदद मिली।
बदली रणनीति
तैयारी के शुरुआती दिनों में वह हर जगह पढ़ाई करते रहते थे। वह कुछ भी खोना नहीं चाहते थे। लेकिन असफलताओं ने उन्हें सिखाया कि बहुत अधिक करने के फेर में गुमराह होने का जोखिम भी अधिक रहता है।
गलतियों से सीखते हुए उन्होंने बुनियादी किताबों पर ध्यान केंद्रित किया और उन्हें कई बार रिवाइज करते रहे। वह प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वालों को इसी नियम का पालन करने की सलाह देते हैं।
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