Exclusive: कैसे सिर्फ तीन अंगुलियों से यूपीएससी में चमके मैनपुरी के सूरज
- Ayodhya Prasad Singh
- Published on 29 May 2023, 2:36 pm IST
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हाइलाइट्स
- पहली ही कोशिश में सूरज तिवारी ने UPSC CSE-2022 में हासिल कर ली 917वीं रैंक
- एक दुर्घटना में दोनों पैर, दाहिना हाथ और बाएं हाथ की दो उंगलियों को गंवा दिया था,
- सिर्फ तीन अंगुलियों से दी थी परीक्षा इंटरव्यू में उनसे रूस-यूक्रेन युद्ध के बारे में विस्तार से बताने के लिए कहा गया था
प्राचीन ग्रीक पौराणिक कथाओं में फीनिक्स एक जादुई पक्षी है, जो लंबे समय तक जीवित रहता है। आग की लपटों में मर जाता है और उसी राख से फिर से जन्म ले लेता है। यह सिर्फ एक कहावत है, लेकिन 21वीं सदी के भारत में हमारे पास सूरज तिवारी के रूप में एक असली फीनिक्स मौजूद है।
संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) से हर साल हजारों प्रेरक कहानियां निकलती हैं। बावजूद इसके, सूरज की कहानी असाधारण है। दोनों पैर और दाहिना हाथ खोने के बाद लोगों ने कभी भी उनसे आत्मनिर्भर बनने की उम्मीद नहीं की थी। मगर उन्होंने हर बार सभी बाधाओं से ऊपर उठकर सबको गलत साबित किया है।
उत्तर प्रदेश के मैनपुरी के निवासी तिवारी ने अपने पहले ही प्रयास में सबसे कठिन परीक्षा संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की सिविल सेवा परीक्षा (सीएसई) में 917वीं रैंक हासिल की है। और फिजिकल डिसेबिलिटी यानी दिव्यांग श्रेणी में दूसरा स्थान पाया है।
उनके बायें हाथ में सिर्फ तीन अंगुलियां हैं, लेकिन देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक में सफल होने के लिए ये काफी साबित हुईं।
इंडियन मास्टरमाइंड्स के साथ बातचीत में तिवारी ने कहा, ‘मेरी यात्रा संघर्षों से भरी थी। मैंने हर दिन कई लड़ाइयां लड़ीं। यह लड़ाइयां खुद से और अपने रास्ते में आने वाली चुनौतियों से थीं। इसलिए मुझे बहुत संतुष्टि मिली है। इस पल का वर्णन करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं।’
बदल गई जिंदगीः
29 जनवरी, 2017 का दिन सूरज के लिए अंधेरा भरा था। दिल्ली से अलीगढ़ जाने के दौरान सूरज एक खचाखच भरी ट्रेन से फिसल गए। दादरी के नजदीक हुई इस दुर्घटना में सूरज गंभीर रूप से घायल हो गए। पुलिस उन्हें फौरन अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), दिल्ली लेकर गई।
कुछ दिनों के बाद जब उन्हें होश आया था, तो उन्होंने पाया कि दोनों घुटनों के नीचे से पैर कटे हुए हैं। दाहिना हाथ और बाएं हाथ की दो अंगुलियां भी नहीं हैं। उनके साथ हुई दुर्घटना ने उनके परिवार को भी तोड़ कर रख दिया। घर वाले पहले से ही कर्ज में डूबे हुए थे, ऊपर से उनके साथ यह दुर्घटना हो गई। सूरत का इलाज चल ही रहा था कि उनके भाई राहुल ने मई में आत्महत्या कर ली। यह उनके जीवन का सबसे खराब दौर था।
नहीं हैं कमजोरः
सूरज कहते हैं, ‘जिस तरह से देखते ही देखते मेरी पूरी दुनिया बदल गई, उसकी केवल कल्पना ही की जा सकती है। उसे समझा नहीं जा सकता है। मेरे सामने केवल एक ही रास्ता लड़ने का था। मैंने कभी हार नहीं मानने का फैसला किया।’
वह खुद को विकलांग नहीं मानते हैं। उन्हें लगता है कि विकलांगता की समाज की परिभाषा गलत है। वह कहते हैं, ‘खुद के अलावा कोई भी चीज किसी को नहीं रोक सकती। लोगों की अक्षमता की व्याख्या गलत है। दिमागी विकलांगता शारीरिक से बड़ी समस्या है।’
गर्वित माता-पिता
सूरज के माता-पिता इस समय दुनिया में सबसे ज्यादा खुश हैं। उनके दर्जी पिता ने कहा कि मेरे बेटे ने मुझे गौरवान्वित किया है। वह बहुत बहादुर है। सफल होने के लिए उसकी तीन अंगुलियां ही काफी हैं। भावुक पिता ने कहा, ‘उसने मुझसे कहा था कि चिंता मत कीजिए, अभी मेरी तीन अंगुलियां बाकी हैं। लेकिन एक अंगुली से भी वह मुझे निराश नहीं होने देता और आज उसने ऐसा कर दिखाया है।’
सूरज की मां याद करती हैं, ‘मेरे बड़े बेटे के चले जाने के बाद हमारे पास केवल पति की आमदनी बची थी। सूरज ने भगवान के फैसले को स्वीकार किया और कुछ बड़ा करने का फैसला किया। उसने सभी बाधाओं को पार करने के लिए कड़ी मेहनत की। वह अपने छोटे भाई-बहनों के लिए प्रेरणास्रोत है।’
बड़े सपनेः
आर्थिक रूप से कमजोर श्रेणी (ईडब्ल्यूएस) से ताल्लुक रखने वाले सूरज की पढ़ाई शहर के ही महर्षि परशुराम पब्लिक स्कूल से हुई है। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) में एक बार फेल होने के बाद उन्होंने 2014 में संपूर्णानंद इंटर कॉलेज से इंटरमीडिएट पास किया था।
आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के कारण वह अपनी बीएससी की पढ़ाई तक पूरी नहीं कर सके। वर्ष 2017 में जीवन को बदलने वाली दुर्घटना के बाद उन्होंने अपनी शिक्षा को फिर से शुरू करने के लिए 2018 में जेएनयू दाखिला लिया और 2021 में रूसी भाषा में ग्रेजुएशन किया।
जेएनयू में उन्होंने सिविल सेवाओं के बारे में जाना और 2019 में इसकी तैयारी शुरू की।
उनके पिता ने कहा, ‘एम्स में चार महीने के इलाज के दौरान उनकी मुलाकात एक लड़के से हुई, जिसने उन्हें जेएनयू की तैयारी में मदद की। दूसरी बार क्वालीफाई करने से पहले वह एक बार जेएनयू की परीक्षा में फेल हो गए थे। सरकार ने उनकी पढ़ाई की जिम्मेदारी ली।’
यूपीएससीः
सूरज ने कभी कोचिंग नहीं ली और सेल्फ स्टडी पर निर्भर रहे। उन्होंने एनसीईआरटी का एक से ज्यादा बार अच्छी तरह अध्ययन किया और शॉर्ट नोट्स बनाए। फिर उन्होंने यूपीएससी के लिए संदर्भ पुस्तकों पर ध्यान केंद्रित किया। उसने यूट्यूब पर जेएनयू के सीनियर्स और टॉपर्स के वीडियो की मदद ली।
इंटरव्यू वाले पैनल के सभी अधिकारियों का व्यवहार सौहार्दपूर्ण था। उन्होंने उनसे उनके गृहनगर और ग्रेजुएशन के लिए रूसी भाषा की पसंद के बारे में पूछा। उन्होंने उनसे रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध, इसके संभावित परिणामों और वैश्विक स्तर पर इसके प्रभाव के बारे में पूछा।
सूरज यूपीएससी की तैयारी करने वालों को सलाह देते हैं, ‘कभी रुको मत, चलते रहो। जीवन में आपको बहुत सी कठिनाइयां मिलेंगी। लेकिन रुकने का मतलब दौड़ हारना है। प्रयास करते रहें, भाग्य आपका इंतजार कर रहा है।’
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