आईएएस अधिकारी सौरभ सुमन यादव की कहानी, जिन्होंने अपने बचपन के सपने को पूरा करने के लिए पांच प्रयास किए और आखिरकार कर दिखाया
- Ayodhya Prasad Singh
- Published on 20 Dec 2021, 11:01 am IST
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हाइलाइट्स
- 2019 बैच के आईएएस अधिकारी सौरभ सुमन यादव की कहानी में धैर्य के रास्ते सफलता हासिल करने की प्रेरणा है
- कोलकाता से बी टेक करने के बाद आईआईएम लखनऊ से एमबीए करने वाले सौरभ ने 5 प्रयासों तक अपनी तैयारी जारी रखी और आखिरकार सफलता हासिल की
- सौरभ वर्तमान में मोतिहारी के एसडीएम हैं और उनका लक्ष्य समाज के हर तबके तक सरकारी सेवाओं को पहुंचाना है
- आईएएस सौरभ सुमन यादव, यूपीएससी-2018, 55 वीं रैंक (क्रेडिट: सोशल मीडिया)
सफलता के लिए सबसे जरूरी है, धैर्य और लगातार मेहनत करने का दृढ़ संकल्प। अगर ये दो आदतें किसी ने अपने व्यक्तित्व में ढाल ली, तो उसे सफल होने से कोई नहीं रोक सकता। यकीन न आ रहा हो, तो बिहार के नालंदा जिले से आने वाले 2019 बैच के आईएएस अधिकारी सौरभ सुमन यादव की कहानी जान लीजिए। सौरभ ने अपने स्कूल के दिनों में खुद से वादा किया था कि सिविल सेवा में ही जाएंगे। अपने 5 प्रयासों के बाद वो वादा उन्होंने पूरा किया और आईएएस अधिकारी बने। साल 2014 में उन्होंने पहली बार सिविल सेवा की परीक्षा पास की, जिसके बाद उनका चयन इंडियन इंफॉर्मेशन सर्विस के लिए था हुआ था। लेकिन उनका सपना आईएएस का था, इसलिए उन्होंने अपनी तैयारी जारी रखी। आखिरकार यूपीएससी-2018 में अपना पांचवा प्रयास देते हुए देश भर में 55 वीं रैंक के साथ आईएएस बने।
इंडियन मास्टरमाइण्ड्स ने आईएएस सौरभ से बात की और उनकी प्रेरणादायक कहानी के कई अनछुए पहलुओं के बारे में जाना। वर्तमान में पूर्वी चंपारण जिले के मुख्यालय मोतिहारी में एसडीएम सदर के पद पर तैनात सौरभ की कहानी से हर कोई सफलता के कई गुर सीख सकता है।
शुरुआत
सौरभ नालंदा जिले सरमेरा प्रखंड के नरसिंहपुर गांव के रहने वाले हैं। वो बचपन से ही एक होनहार छात्र थे। उनके पिता भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) में क्लर्क हैं, जबकि मां गृहणी हैं। साल 2016 में उनकी शादी डॉ. ननिता कुमारी से हुई थी। सौरभ के मन में स्कूल के दिनों से ही आईएएस बनने का ख्वाब पल रहा था। लेकिन घर की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि पढ़ाई के तुरंत बाद तैयारी शुरू की जा सके। इसलिए यूपीएससी की तैयारी से पहले, सौरभ ने भविष्य की प्लानिंग की।
सौरभ जब 12 साल के थे तो वो अपने पिता कमल किशोर यादव के साथ पश्चिम बंगाल के कल्याणी आ गए, क्योंकि उनकी पोस्टिंग यहीं थी। पैसे की तंगी के बाद भी उनके पिता ने उन्हें अच्छे स्कूल में पढ़ाने की कोशिश की।
शिक्षा
सौरभ ने कल्याणी के जुलियन डे स्कूल से पढ़ाई की है। सौरभ ने 10 वीं में करीब 93 फीसदी अंक और 12वीं 90 फीसदी अंक हासिल किए। सौरभ सुमन ने 12 वीं की पढ़ाई नालंदा जिले से ही पूरी की है। उसके बाद, उन्होंने कोलकाता के हेरिटेज स्कूल ऑफ टेक्नोलॉजी से इलेक्ट्रिकल एंड कम्युनिकेशन से साल 2010 में बीटेक किया। इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद, उन्होंने बेहद कठिन माने जाने वाली कैट परीक्षा को शानदार अंकों से पास करते हुए देश के सबसे प्रतिष्ठित मैनेजमेंट कॉलेजों में से एक ‘आईआईएम लखनऊ’ से एमबीए की पढ़ाई पूरी की। साल 2012 में एमबीए करने के बाद सौरभ ने लगभग साढ़े तीन सालों तक की निजी क्षेत्र में नौकरी की। लेकिन उनका लक्ष्य तो आईएएस था, इसलिए जब भविष्य को लेकर एक स्थिरता आ गई, तो उन्होंने यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी। इस बीच उन्होंने अपने आईएएस के सपने को कभी भी मरने नहीं दिया।
सौरभ कहते हैं, “सिविल सेवा में जाना हमेशा से ही मेरा लक्ष्य था। जब मैं निजी क्षेत्र में काम कर रहा था, तब भी मेरा मन में कहीं न कहीं ये ख्वाब जिंदा था कि एक दिन मुझे सिविल सेवा में ही जाना है।”
यूपीएससी तैयारी
यूपीएससी की तैयारी को लेकर सौरभ कहते हैं कि पूरी तरह समर्पित और फोकस्ड होकर तैयारी करें। यूपीएससी की यात्रा बहुत लंबी होती है, इसलिए कई बार उसमें बहुत सी समस्याएं आती हैं। लेकिन आपको हतोत्साहित नहीं होना है। अपने टार्गेट पे नजर बनाए रखिए, स्थिति चाहे जैसी भी हो। इसके साथ ही इस तैयारी में खुद के लिए वक्त जरूर निकालें। अपनी हॉबी फॉलो करें। कोई स्पोर्ट्स खेलें, कुछ बेहतर देखें, कहीं घूमें और खुद को वक्त दें, जिससे कि बिना थके हुए लंबे समय तक तैयारी कर सकें। सौरभ को खुद भी फुटबॉल और बैडमिंटन खेलना बहुत पसंद है।
सौरभ पहली बार साल 2014 में सफलता मिली, लेकिन उनकी रैंक 1068वीं थी और उन्हें इंडियन इंफॉर्मेशन सर्विस मिला। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय में असिस्टेंट डायरेक्टर के पद पर उन्हें नियुक्ति मिल गई। लेकिन अपने लक्ष्य के प्रति वे अडिग रहे और तैयारी करते रहे। आखिरकार साल 2019 में अपने पांचवे प्रयास में उन्हें सफलता मिली और वो आईएएस अधिकारी बन गए।
14 से 19 का लंबा गैप क्यों
सौरभ को यूपीएससी में 2014 में सफलता हासिल करने के बाद बेहतर रैंक के लिए 2019 तक इंतजार करना पड़ा। आखिर इतना लंबा गैप क्यों और वो कौन सी गलतियां थी जो उनसे हो रही थीं! इस सवाल पर सौरभ कहते हैं, “परीक्षा में कई बार जैसा आप सोचते हैं, वैसा नहीं होता है। लेकिन मेरे अंदर भी धैर्य बहुत था, मुझे पता था कि मेहनत कभी खाली नहीं जाती। मेरी साथ समस्या मेरी राइटिंग स्किल पर थी। वहां मुझे कम नंबर मिल रहे थे। इसके साथ ही मेरे वैकल्पिक विषय में भी नंबर कम आ रहे थे। इन दोनों गलतियों को जब मैंने ठीक कर लिया, तो मुझे वो सफलता हासिल हुई जिसकी मेरी चाहत थी।”
यूपीएससी उम्मीदवारों के लिए सलाह
यूपीएससी उम्मीदवारों को सलाह देते हुए सौरभ कहते हैं कि देखिए ये सिविल सेवा बहुत ही चुनौतीपूर्ण नौकरी है। इसलिए इसमें आने से पहले से ही तैयार रहिए। यहां सरकार से लेकर आम लोगों तक को आपसे बहुत उम्मीदें रहती हैं। इसलिए सिविल सेवा के पहले और बाद केजीवन में बहुत अंतर होता है। बस कोशिश करते रहिए और बेहतर बनते रहिए। सौरभ कहते हैं कि लक्ष्य हर किसी का समाज की सेवा उसके सम्पूर्ण विकास का होना चाहिए।
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